पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/९३

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मुधोल-मुनि इतिहास पढ़नेसे मालूम होता है, कि इन्होंने वीजा- : मुनमुना (हिं० पु०) मैदेका बना हुआ एक प्रकारका पक- पुर राज-सरकारमें नौकरी करके सौभाग्यलक्ष्मीको प्राप्त वान जो रस्तोकी तरह वांट कर छाना जाता है । किया था। उक्त राजवंशको दी हुई भूसम्पत्तिको अभो मुनरा (हिं० पु. ) कानमें पहननेका एक प्रकारका गहना। भी यहाँके सामन्त लोग भोग कर रहे हैं। शिवाजीकी यह कमाऊ आदि पहाड़ी जिलों के निवासी पहनते हैं। बढ़ती पर जल कर इन्होंने महाराष्ट्रशक्तिपुञ्जके विरुद्ध | यह अधिकतर लोहेका हो वनता है। अस्त्र उठाया था। किन्तु जव इन्होंने देखा, कि महा. मुनष्पोन - मूल्यवान् प्रस्ताविशेष, चन्द्रकान्त (!!oon राष्ट्र प्रभावसे दाक्षिणात्यकी मुसलमानशक्ति चूर चूर stone )| निम्न श्रेणोका Cat's eye या oiral कभी हो गई, तव पेशवाकी अधीनता स्वीकार कर ली । १क्ष्यों कभी मुनष्टोन नामसे विक्री होता है। सिंहलद्वीपजात सदीसे ये वृटिश सरकारको वार्षिक २६७२ रु० कर देते ! यह पत्थर सर्वापेक्षा उत्कृष्ट है।। भा रहे हैं। राजा वेङ्कटराव वलवन्त घोरपड़े (१८८१२ मुनादी ( अ० स्त्री० ) कसो वातकी वह घोषणा जो कोई ई०)-को बुटिश-सरकारने प्रथम श्रेणीका सरदार समझ मनुष्य डुग्गी या ढोल आदि पोटता हुआ सारे शहर में लिया था। राज्यको आय कुल मिला कर ३ लाख रुपये करता फिरे, ढिंढोरा। से ऊपर है। सरदारको राजकीय सभी अधिकार है। मुनाफा ( अ० पु० ) किसी व्यापार आदिमें प्राप्त वह धन अपराधीको फांसी देने में और और सामन्तोंकी तरह जो मूलधनके अतिरिक्त होता है, लाभ, नफा। इन्हें पालिरिकल एजेएटकी सलाह नहीं लेनी पड़ती। मुनासिव ( अ० वि० ) उचित, वाजिव। . इनकी सैन्यसंख्या ४५० है। दत्तकपुत लेने का अधिकार मुनि (सं० पु०) मनुने जानाति यः इति मन-इन् है। पिताके मरने पर बड़े लड़के राजसिंहासन पर (मनेरुश्च । उण ४११२२ ) अत उच्च । १ मौनव्रतो, वैठते हैं। राज्यमें कुल मिला कर १७ स्कूल और ३ . मननशील महात्मा। पर्याय--वाच यम, मौनो, व्रती, अस्पताल हैं। ऋपि, शापास्त्र, सत्यवाक् । २ उक्त राज्यका एक शहर। यह अक्षा० १६२० । "फलेन मूलेन च वारिभरुहां उ० तथा देशा० ७५ १६ पू० घाटप्रभा नदीके वायें मुनेरिवेत्थं मम यस्य वृत्तयः ॥" (नैषध १।१३३) किनारे अवस्थित है। जनसंख्या ८ हजारसे ऊपर है।। मुनि कौन हैं ? उनका लक्षण क्या है ? इस संबंध शहरमें एक चिकित्सालय है। । भगवान कृष्णने अर्जुनसे कहा है-दुःखमें जो घबहाते मुधोल-१ हैदरावाद राज्यके नान्दर जिले का एक नहीं, सुखमें जिनको स्पृहा नहीं, अनुराग, भय अथवा ' तालुक। भूपरिमाण ३३५ वर्गमील है। इसमें मुधोल | क्रोध जिन्हें छू नहीं सकता, वही व्यक्ति मुनि हैं। नामक एक शहर और ११५ ग्राम लगते हैं। जनसंख्या "दुःखेष्वनुद्विममनाः सुखेषु विगतस्पृहः । ६० हजारसे ऊपर है। वीतरागमयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते.॥" (गीता० २।४५) २ उक्त तालुकका एक शहर। यह अक्षा० १६५६ गरुडपुराणमें लिखा है,-मुनिगण सभी वासनाओं उ० तथा देशा० ७७ ५५ पूछफे मध्य विस्तुत है। जन- संख्या ६ हजारसे ऊपर है। शहर में एक डाकघर, पुलिस | का परित्याग कर एकमात्र विष्णुमें लीन रहते और सर्वदा उनको प्रसन्न करनेको कोशिश करते हैं। वे इन्सपेक्टरका आफिस और एक स्कूल है। तर्पण, होम, सन्ध्यावन्दन आदि सभी क्रियाओं द्वारा मुनक्का ( अ० पु०) एक प्रकारकी वड़ो किशमिश या धर्मकामार्थ मोक्षके एकमात्र देनेवाले भगवान् विष्णुको सूखा हुआ अंगूर । यह रेचक होता है । और प्रायः दवा. प्राप्त करते हैं। उनके धर्म, व्रत, पूजा, तर्पण, होम, के काममें आता है। विशेष विवरण अङ्ग र शब्दमें देखो। संध्या, ध्यान, धारणा सभी विष्णु हैं,-समी हरि हैं। मुनगा (हिं० पु०) सहिंजन । हरिके सिवा वे जगत्में और किसीको नहीं जानने, न मुनव्वतकारी ( अ० स्त्रो०) पत्थरों पर उभरे बेल-बूटोंका किसीको देखते तथा सभोको नश्वर समझते हैं। काम।