पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/९६

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पुनिसुन्दरपूरि-मुनीश्वर सार्वभौम मुनिसुन्दरसूरि-अध्यात्म कल्पद्रुमके प्रणेता। । प्रधान सचिव और दिल्लीका एक प्रसिद्ध उमरा ! मुनिसुवंत (स० पु०) मुनिषु सुव्रतः। जैनि के एक १५६० ई०में खानखानान वैराम खांकी पदच्युतके वाद तीर्थङ्करका नाम । जैन शब्द देखो। दिल्लीश्वरने इसे महामान्य सचिवके पद पर नियुक्त मुनिस्थल ( स० क्लो०) जनपदभेद । किया। खान जमानकी मृत्युके बाद यह जौनपुरका मुनिस्थान ( स० क्ली० ) मुनीनां स्थानं । आश्रम ! शासनकर्ता हुआ। १५६७ ई०में यहां इसने गोमती मुनिहत (सं० पु०) राजा पुष्पमित्रकी एक उपाधि । नदीका एक पुल निर्माण किया। वह पुल आज भी मुनिह्वय (सं० पु०) समष्टिल क्षप, कोकुआ नामका उसको अक्षय कीर्तिकी घोषणा कर रहा है । १५७५ ई. में कंटीला पौधा। वङ्गश्वर दाऊद खाँके पराभवके बाद यह बंगालका मुगल मुनीन्द्र (सं० पु०) मुनीनां मनन शीलानां योगिनामिन्द्रः । प्रतिनिधि हो कर आया। श्रेष्ठः । १ बुद्धदेव । २ ऋषिश्रेष्ठ । ___ महम्मद-इ-वतियारसे ले कर शेरशाहके राज्यकाल "पतन्तमेव तस्माच्च पाणिभ्यां स तमग्रहीत् । तक गौड़ ( लक्ष्मणावती ) नगरमें मुसलमानोंकी राज- मुनीन्द्रः प्रकटीभूय समाश्वास्य जगाद च ॥" धानो थी। पोछे इस स्थानको अस्वास्थ्यकर देख कर (कथासरित्सा. ३२-३०६) नवावगण खावासपुर तोड़ामें राजधानी उठा ले गये। ३ दानवभेद । ( हरिव० २५५५) ४ पाषण्डमुख मुनीम खाँ बङ्गालमें आ कर गौड़नगरकी शोभा देख चपेटिकाके प्रणेता। विमोहित हो गया था। परित्यक्तं राजधानीका जीर्ण मुनीन्द्रता ( स० स्त्री० ) मुनीन्द्रस्य भावः तल-टाप् । संस्कार करा कर वहीं इसने अपना राजप्रासाद वन- मुमोन्द्रका भाव या धर्म। वाया। थोड़े ही दिनोंके अन्दर भोषण रोगसे गौड़. मुनीम ( अ० पु० ) १ नायव, सहायक । २ साहूकारों- नगरमें इसकी मृत्यु हुई। का हिसाब किताब लिखनेवाला । मुनीमुष (सं० क्ली०) नगरभेद । मुनीम-नूर-उल हक नामक एक मुसलमान कवि । वरेली मुनीवतो ( सं० स्त्रो०) स्थानभेद । नगरमें ये काशी-पद पर अधिष्ठित थे। इनकी वनाई मुनीर लाहोरो (-मुल्ला ) लाहोरवासी एक मुसलमान हुई पारसी कविताको मुसलमानमात बड़े आदरसे कवि, मूलतानवासो मुल्ला अबदुल मजीदका लड़का। पढ़ते हैं । इन्होंने कवितामें कुरानका अनुवाद किया इसका असल- नाम अवुल-वरकत था। इसने पहले है। इसके अतिरिक्त ये अरवी और पारसी भाषामें | 'सखूनसञ्ज' और पीछे 'मुनीर'को उपाधि प्राप्त की। कसोदा, मसनवी और पारसी दीवानकी रचना कर 'इनसाए मुनोर' नामक इसका बनाया हुआ एक इनसा गये हैं। इन्होंने कुल मिला कर ३ लाख श्लोकोंकी जनसाधारणका विशेष आदरणीय है। रचना की थी। १७८६ ई०में दिल्ली नगरमें ये विद्यमान मुनीश (सं० पु०) मुनेरोशः। १ वाल्मीकि । २ वुद्धदेव । थे। ३ मुनिश्रेष्ठ। मुनीम खां-मुगल बादशाह वहादुरशाहका एक मंत्री। मुनीम शेख-वङ्गेश्वर सुलतान सुजाके एक सभा-कवि । इसके पिताका नाम सुलतान वेग वलंस था । वादशाह- १६५८ ई० में सम्राट आलमगीरके साथ सुजाका जव युद्ध के अनुग्रहसे इसने कावुलके प्रतिनिधि-पदको प्राप्त किया चल रहा था, उस समय घे रणक्षेत्रमें उपस्थित थे। इन- था। सम्राट् वहादुरशाहने दिल्लीके सिंहासन पर की रचो कविताओंकी भणितामें 'मुनोम' उपाधि देखी बैठते ही इसे अपना वजोर बनाया और खानखानाको | जाती है। उपाधि दो । १७११ ई में इसको मृत्यु हुई । यह मुनीश्वर (सं० पु०) १ मुनिओंमें श्रेष्ठ। २ विष्णु । ३ 'इल्लामात मुनोमी' नामसे एक पुस्तक लिख गया है।। वुद्ध । मुनीम खाँ (खानखाना)-मुगल-वादशाह अकबरशाहका मुनीश्वर सार्वभौम-१ सिद्धान्तसार्वभौम नामक सिद्धान्त- Vol, AVIII. 24