पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/९८

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मुन्था-मुन्नू घरमें अर्थात् कर्कट में मुन्था होनेसे अथवा चन्द्रमाके | और धनक्षय होता है। यदि मुन्धाधिपति वर्षलग्नके साथ मुन्थाका योग रहनेसे अथवा मुन्था चन्द्रमा द्वारा अष्टमाधिपति के साथ एकत्र स्थित अथवा अष्टमाधिपति देखी जानेसे नोरोगिता और सन्तोप लाभ होता है । उक्त कतृक क्षुतदृष्टि द्वारा दृष्ट हो, तो शुभ नहीं होता। ये मुन्थामें पापग्रहकी दृष्टि रहनेसे नाना प्रकारका कष्ट होता | दोनों योग यदि समकालमें हो, तो मरण तथा एक योग है । मुन्था मङ्गलगृहस्थित मङ्गलयुक्त वा मङ्गलदष्ट होनेसे हो, तो मरणके समान दुःख होता है । मुन्था और मुन्था- पित्तरोग, अस्त्राघात और रक्तस्राव होता है । शनिगृहस्थित पति जन्मकाल में शुभयुक्त और शुभदृष्ट हो कर वर्षप्रवेश वा शनिदृष्ट मुन्था मङ्गलयुक्त होनेसे भी इसी प्रकारका कालगे अशुभ होनेसे वपके प्रथमार्द्ध में शुभ और शेषाद्ध- फलाफल हुआ करता है। बुध वा शुक्रगृहस्थित में कप्ट और यदि जन्मकालमें अशुभ. तथा वर्षकालमें मुन्थामें बुध वा शुक्रको दृष्टि अथवा योग होनेसे स्त्रीको शुभ हो तो प्रथमार्द्ध में शुभ और शेषार्द्ध में शुभ होगा। वुद्धि द्वारा लाभ, सुख, धर्म और यश होता है। इसमें (नीलकण्ठोक्त ताजक ) वर्षप्रवेश देखो। पापग्रहका योग रहनेसे अत्यन्त कष्ट होता है । मुन्था मन्दरा-धम्बई प्रदेशके कच्छ सामन्तराज्यके अन्तर्गत वृहस्पतिके घरमें हो और बृहस्पतिसे दृष्ट वा युक्त हो, तो एक नगर और वन्दर। यह अक्षा० २२:४६ उ० तथा स्त्री, पुत्र, सुख, सुवर्ण और वस्त्रलाभ होता है तथा उसी देशा०६९५२ पू० कच्छकी खाड़ी पर अवस्थित है। जन- प्रकार मुन्थाके साथ शुभ प्रहका इत्थशाल-सम्भव होनेसे संख्या १० हजारसे ऊपर है । वन्दरसे नगर में माल अस- राज्यको प्राप्ति होती है। शनिगृहस्थित मुन्था शनियुक्त वाव ले जानेके लिये एक - पक्की सड़क दौड़ . गई है। वा शनिद्दष्ट होनेसे वातरोग, मानहानि, अग्निभय और यहांसे १४ मोल उत्तर एक दुर्ग है। दुर्गकी मसजिदको धनक्षय होता है, किन्तु उक्त मुन्थामें यदि वृहस्पतिको उक्त मुन्थाम याद बृहस्पतिका | धवलचूड़ा बहुत दूरसे दिखाई देती है। शहर में एक पूर्णदृष्टि रहे, तो शुभफल होगा। मुन्था राहुकी मुखस्थित अस्पताल है। . होनेसे धनलाभ, यश, सुख और धर्मको उन्नति तथा मुन्नभट्ट (सं० पु० ) एक प्राचीन ग्रन्थकार। उस मुन्धामें वृहस्पति वा शुक्रकी दृष्टि अथवा, योग रहने | | मुन्ना ( हिं० पु० ) १ छोटोंके लिये प्रेमसूचक शब्द, से उच्च पद सुवर्ण और वस्त्रलाभ होता है । जिस राशि । प्यारा। २ तारकशी कारखानेके वे दोनों खूटे जिनमें में राहु रहता है, उस राशिका जितना अंश राहुका ! । जंता लगा रहता है। . .. भोग होगा वह राहुका मुख, जितना अंश भोग हो चुका : है वह पृष्ठ तथा भोग्यराशिको सप्तम राशि उसका पुच्छ मुन्ना ज्ञान-अयोध्याके नवाव नासिर उदोन दरका है, ऐसा जान कर फल निरूपण करना होता है। लड़का। १.३७ ई०में नासिरके मरने पर उसका चचा मुन्था राहुको पृष्ठस्थित होनेसे शुभ, पुच्छ पर होनेसे नासिरउद्दौला आबू मुजफ्फर मुइ-उद्दीन महम्मद आदिल- शनुमय और कष्ट तथा उस पर पापग्रहकी दृष्टि रहनेसे : शाह लखनऊकी मंसनद पर बैठा। उसके आदेशसे | मुन्ना जान चुनार-दुर्गमें कैद किया गया। १८४६ ई०- सुख हुआ करता है। : ग्रहगण जन्मकालमें वलवान् हो कर दि वर्षप्रवेश में कारागारमें ही उसकी मृत्यु हुई। .. कालमें वलवान रहे तो.वर्षके प्रथमार्द्ध में शुभ और शेषाद्ध मुन्नो वेगमे-बङ्गालके नवाव मीरजाफर खाँकी रानी, में अशुभ फल, फिर यदि जन्मकालमें दुर्वल तथा वर्ष- नजम उद्दौलाकी माता। मोरजाफर तथा नजम उद्दौला . प्रवेश कालमें बलवान हो तो प्रथमाद्ध में अशुभ और और सैफ उद्दौला नामक अपने दोनों पुत्रोंके परलोक- . शेपाई में शुभ हुआ करता है। यदि मुन्थाखामी वर्षलग्न- वासी होने पर यह अंगरेज-प्रतिनिधि वारेन हेप्रिंस से चतुर्थ, पष्ट, अष्टम वा द्वादशस्थित हो कर अन्तर्गत द्वारा उक्त नवाव बंशधर मुवारक उद्दौलाकी अभिभा वक्रो वा पापग्रह कत्तुं क दृष्ट वा युक्त हो और पापग्रहसे . विका हुई थी। १७७६ ई०में इसका देहान्त हुआ। चतुर्थ वा सप्तम स्थानस्थित हो, तो शुभ नहीं होता, रोग मुन्नू (हिं० पु० ) मुन्ना देखो।