पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/९९

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मुन्यन्न-मुवारक खाँ श्य मुन्यन्न (सं० क्ली०) मुनेरन्नं । मुनियों के खानेका अन्न, | मुबारक अली खां-वङ्गाल विहार और उड़ीसाका एक • तिन्नीका चावल आदि। सूवेदार। यह १८२४ ई०की २३वीं दिसम्बरको बंगाल- "मुन्यन्नानि पयः सोमो मांस यच्चानुपस्कृतम् । की मसनद पर बैठा। अक्षारलवणञ्चैव प्रकृत्या हविरुच्यते ॥" मुवारक उद्दौला-बलेश्वर मीरजाफर अलो खाका छोटा (मनु ३१२५७) लड़का। १७७०के मार्च मासमें अपने भाई सैफउद्दौला- मुन्ययन (सं० पु० ) यज्ञभेद । | के मरने पर यह पितृसम्पत्तिका अधिकारो हुआ । मुन्यालय (सं० पु०) एक प्राचीन तीर्थका नाम। । अङ्ग्रेजराजके साथ इसको शर्त थी, कि वह- १६ लाख मुन्येरु-मान्द्राजप्रदेशके कृष्णा जिलान्तर्गत एक नदी। रुपया मासिक लेगा और निजामतकी देखरेखका भार यह निजाम राज्यसे निकल कर वेजवाड़ाके आनिकटसे उसके सहकारीके हाथ रहेगा। १७६३ ईमें मुर्शिदा- १० कोस उत्तर कृष्णा नदीमें आ मिली है। वाद नगरमें उसकी मृत्यु हुई। डा. हामिलटनके मत- मुन्शो कालीनाथ राय-२४ परगनेके अन्तर्गत टांकीका से १७६६ ई०में इसका देहान्त हुआ। फोरेटरके भ्रमण सुप्रसिद्ध जमींदार। दानशीलताके लिये इनका नाम वृत्तान्तमें इसे मोरजाफरका पौत्र और मोरनका पुत्र वत- बङ्गालमें प्रसिद्ध है। लाया है। मुन्शी यशोवन्त राय-एक पारसी दोवानके रचयिता । मुवारक खाँ-१ अहमद शाहका पुत्र । मोलवके राजा १७१२ ई० में ये जोवित थे। सुलतान महम्मदका दरवारी था । सुलतान महम्मदके मुन्शी मूलचांद-दिल्लीवासी 'एक कायस्थ सन्तान || मरनेके बाद उनका पुत्र कुतबुद्दीन तख्त पर बैठा। इसो कविता-शक्तिके कारण इनकी उपाधि मुन्शी थी। ये समय महम्मद खिलजी गुजरात पर चढ़ाई करनेके उद्देश्य कवि नासिरके शिष्य थे। उर्दू भाषामै लिखित शाह- से ससैन्य चढ़ आया। उसके सुलतानपुरमें आने पर नामाका कुछ अंश इनका बनाया हुआ है। १८२२ ई० वहांके मालिक अलाउद्दीनने किलेको बन्द कर ऊपरसे में इनकी मृत्यु हुई। गोलावारी करने लगे। महम्मद खिलजोंने सात दिन मुन्शो श्यामप्रसाद-उर्दू भाषाकं गौड़-इतिहासके प्रणेता। तक इस किलेको रोक रक्खा था। इसके बाद कुतुबुद्दीन- मुफलिस (अ० वि०) धनहीन, निर्धन । के चाचा मुवारक खांने वोचमें पड़ कर इन दोनोंमें मुफलिसी (अ० स्त्रो०) निधनता, गरीवो। सुलह करा दो। मुफसिद (अ० पु. ) झगड़ा या फसाद करनेवाला मुवारक खां २य-सुलतान महमाद शाहका भाई । आदमी। महम्मद शाहके मरनेको खबर पा कर गुजरातके सरदार मुफस्सल (अ०वि०) १ वह जिसकी तफसील की गई | तथा मन्त्रियोंने भतीजा महमूद खां तथा मुवारक खाँको हो, व्योरेवार । (पु०) २ किसो केन्द्रस्थ नगरके चारों | गद्दीका उत्तराधिकारी समझ कर इन दोनोंको खानदेशके मोरके कुछ दूरके स्थान । वावल नगरमें कैद कर दिया। मुफीद (अ० वि०) लाभदायक, फायदेमन्द । कुछ लोग कहते हैं, कि वहादुर खाने गहो पानेको मुफ्त ( म०वि० ) जिसमें कुछ मूल्य न लगे, सेंतका। आशामें अपने भाइयों तथा अन्यान्य कुटुम्बियों को मार मुफ्ती (अ० पु०)१ धर्मशास्त्रो। (वि०)२ जो विना डाला था। केवल महमूद खां वच गया था। दाम दिये मिला हो, मुफ्तका। महम्मदशाहको मृत्युके वाद मन्त्रियोंने उसके पुत्र. 'मुवतिला ( अ० वि० ) गृहीत, पकड़ा हुआ। को तख्त पर बैठाया। यह नावालिग था। किन्तु मुवादिला (अ० पु०) वदला, पलटा। मुवारक खांको अक्लवन्द तथा होशियार समझ मन्त्रियोंने उसको मार डालनेके लिये अकवर खां नामक एक जमी . मुवारक ( स० वि०) १ जिसके कारण वरकत हो । २ दारको सपुर्द कर दिया। दूसरे दिन सबेरे मुबारक खांको । शुभ, मङ्गलप्रद ।