पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१०२

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बाद । म्यायानुगत यवन परम्पराका माम योकपन है। यह उसमें सम्माणमाग दोरका सएटन करें। प्रतियादी को | चोपायन तीन प्रकारका ई-याद, जल्प भौर वितण्डा महानादिको दूर करने के लिपे मर्यात पे यायोकी बातो जय-पराजय लिपे नहीं, फेयल सस्यनिर्णएफे उद्देशस गच्छो तरद समम सफे हैं, यह दिपलाने के लिपे पादोके, जो पान-चीत होती है उसका नाम याद है। यादमें यादो मतका अनुवाद पर दोष दिखलाते हुए उसका सरन पौर प्रतिवादी दोनोंके तस्यनिर्णयको गोर ही लक्ष्य तथा प्रमाणोपम्पासपूर्वक अपने मतका स्थापन करें। रहतेइसमें दानों मपने अपने कयना प्रमाणों | इसके बाद यादो मनियादोके कपोका अनुपाद ; पारा पुष्ट करते हुए दूसरे प्रमाणों का ग्राहन करते हैं। अपने पक्ष में प्रतियादो द्वारा दिसलापे गये दोनोको उद्धार इसी सिद्धान्तका किसी तरह मालाप नहीं किया जाता। कर प्रतियादीफे स्थापित पक्षका प्रएटन करें। इस तथा यह पयअययपसे युक्त होता है। फलतः योतराग निपमके गनुसार यादो और प्रतियादीका पिगार पलता गर्थात् मपनी जप पा प्रतिपक्षको पराजयके विषय मामः रदेगा । गाविरमें जो इस नियमका उलन करने या लापान्य पकिका कथन हो याव है। सत्यनिर्णपणे गयसरमें भर्यात् जिस माय परपसमें दोपविगाना प्रति लश्य न रख कर प्रतिपक्षको पराजय तथा अपनी बोता है उस समय न दिसला कर, दूसरे समय दिस. जपके उद्देशमं जो बातचीत होती है उसका नाम जला लाते हैं, ये मो निगरोत पर्थात् पराजित होते हैं। .. है। सास पादरी गार प्रतियादी दोनों ही अपने पक्षा| इस नियम मनुसार विचार करके जयलाम करने समपंग मौर पर-पक्षका मण्डन करते हैं। अपगा फोर होसे याद होगा ऐमा नहीं, सिक्षाम्सित विपप उक्त नियम भी पक्ष निदेश न फरफे, फेघल दूसरे पक्ष एम. के गनुसार प्रमाणादि द्वारा मिद्धान्त होनेको दो पार फे उदेशसे जो कधीपावन होताउसका नाम | कहते है। वितएडा। सका तात्पर्य पवि गौर भी पिशवरूपसे किया शाप, . ल्प और पितएका प्रतिपक्षको परामपफे लिये सो पद कहा जा सकता है, कि परस्पर पिभिगोषु गती छल, शाशि और निरस्पानका उद्गायन किया जा कर फेगम प्रत विषयका सरय-गिर्णय करने लिपे . सकता है। पातु पावणे यह महीं दो सकता। फेयल यादो भीर प्रतिवादोका जो विचार उसको पार करो . सत्यनिर्णय लिपे देत्यागास गया और गो यो एक प्रमाण मोर तर्फ द्वारा अपने पक्षमा समर्थन गौर पर- निप्रदानका उमायन किया जा सकता है। जो तर, पक्षमा प्रण्टन कर सिमान्तके मपिराधी पसायरपयुक्त निर्णय पा विजय मिलापी सर्यसनसिद गनुभयका होनेवाली यादी और प्रतियादीको उति मौर परमिको अपलाप मदों करते, जो थपणादिस पटु . कथनफे उपयुक्त याद बहने हैं। यहां पहना हो सकती है कि व्यापारने उनि प्रत्युणिमादि समर्थ मयप कलकारी यादो भीर प्रतियायो दोनों पाप किस प्रकार AnIT- गदा है. ये ही कपन गधिकारो। फिर शो सत्य तादियिनिए हो सकते है। इसका उत्तर पदो है, कि . शागेतु उगित बात बोलते है. मतिमाशाहो है मौर माखने मिन्द प्रमाण, मर्यादिवतलापा ६ हो मनुः । गुलिसिस मासीकार करते है, जो प्रतारक गदी हैं तगा। मार यापोपण्याम करमा होगा, इच्छानुसार पाय प्रतिभा तिरस्कार नहीं करने, ये दो पादके मधिकारी प्रयोग करने में काम नहीं चलेगा। ६। पाइने समाको अपेक्षा गदी, नर गौर पिता . यदि मनुष्य भूनसे प्रमाणामास, मास, सिक्षात समाको भरोसा । जिस मनमा माया को गो गौर यापामामा प्रयोग करे, तो भी विचार पारी TAIAries अध्याय रहते हैं उनमम्हा दानिग होगी। पापियारक ममी अधिकारी नहीं है। माम सभा है। मो प्रारगिय. यमायादी, पदि दोष पागालोग यिनारप्रपाली ग प्रकार है। हर सपोगी यापपरम सम माले पास पासपूर पाने पEATRE Rr मा मिस पिपा माटाप महो रले ।