पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१३७

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वाद्ययन्त्र ११७ य 'ज्युस हार्प- यह यालकोंके खेलनेका याद्ययंत्र है।। किसोका कहना है, कि नोकराज कपोनियसने ७५५६० में म्यूट --यह गोटर या सितार आदि जैसा पाच- एक मरगान मामके राजा पेपिनको प्रदान किया। उन्हों- सितारको तरह वजाया जाता है। अति ने इस कमिन नगरके सेएट कर-लिनो गिरजामें रम्बा। प्राचीन समयमें यह यत्र प्रचलित था। प्राचीनतम . चालमनके शासन कालमें यूरोपके अधिकांश नगरके मंगरेज-कवि चसारके प्रधमें इस वाद्ययंत्र का उल्लेख है। गिरजाघरमें हो अरगानका व्यवहार प्रचलित हुआ।१८वीं गीटरके प्रचलन के बाद न्यू टका व्यवहार घट गया है। सदोके पहले तक इसको उतना उन्नति नहीं हुई थी। । लायर-तारविशिष्ट बाघयत्रो मिसे यही वाद्ययन ११वीं सदीके शेष भागसे हो अरगानको चावीका सबस प्राचीन है। इजिप्टके अधिवासिमि प्रवाद | बनना शुरु हुमा । इस समय मेलाडियर्गके गिरजामें जो है, कि पृथियो निर्माणके दो हजार वर्ष पीछे मर्करीदेवने | भरगान रखा गया था उसमें १६ चावियां थीं । इसके बाद इस यत्रकी सृष्टि की। एरिएफेनिसके प्रथमें इस पत्र । से चायोकी संख्या बढ़ने और उसकी उन्नति होने लगो। का उल्लेख देखा जाता है। प्रोसवासियोंने इजिप्ट | द्वितीय चासके राजत्व काल तक भी इङ्गलैएडमें अरगान वासियांसे इस यत्रका ध्यवहार सौखा है। पहले लायर नहीं बनाया गया था। इस समय पूरिटन ईसाइयों के तीन तारोंसे मनाया जाता था । इसके बाद म्युजेनने / प्रादुर्भावसे गिरजाघरमें सङ्गीत-माधुर्यादि घिलुप्त एक तार और बढ़ा दिया। पीछे आर्कियसने एक तार, हुए । किन्तु उसके बाद होसे इङ्गलैएडमें फिर थरगानका लीनस्ने एक तार और सङ्गीता पण्डितोंने एक और तार व्यवहार होने लगा। इस समयसे अगरेज शिल्पियोंने पढ़ा कर लापरको सप्तस्वरों में परिणत किया। पाइयो. अरगानका बनाना आरम्भ किया। अभी अङ्करेजों के बनाये गरसने इसमें एक और तार जोड़ दिया था। पारद हुए अरगानका बहुत भादर है। यूरोपके निम्नलिखित हात लायर भी देखनेमें माता है । रघुनार्डों स्थानोंमें बड़े बड़े अरगान देखने में आते हैं। हायरलेनका दामिन्सी नामक एक वाद्ययंत्रके निर्माताने घोड़े के मरगान १०३ फुट ऊंचा और ५० फुट चौड़ा है। इसमें शिरको हडोके सांचों पक लायर बनाया था! ८००० पाइप लगे हैं। १७३८ ई० में मूलरने इस गरगान- • •ओ-यय-इसका दूसरा नाम हटवय है। यह यंत्र को बनाया था। रटारडममें भी प्राय। उसी तरहका फूक कर बजाया जाता है। इसकी आवाज मीठो और एक अरगान है । सेभेली गगरफे यन्समें ५३०० पाइप हैं। बहुत स्पष्ट होती है। इडलैएडके परमिंघम राउनहालमें, क्रिष्टल प्रासादमें, रायल अफि पाइद-सन् १८४० ई० में यह वाद्ययंत आधि अलबर्टहालमें तथा अलेकजण्डा प्रासादमें मादर्शनीय एकृत हुआ। सट नामक यसको उन्नतिके लिये इस बड़े बड़े अरगान हैं। यंत्रकी सृष्टि हुई थी। ' पै ऐडयन पाइप-यह प्राचीन पाद्ययंत्र है । यूरोपीय अरगान-पाश्चात्य प्रदेशमें जितने प्रकारके वाद्ययन्त पैन नाम: देवनाने इसका आविष्कार किया, इस कारण हैं, भरगान उनमें सबसे बड़ा और प्रधान है । वहुन दिन | यह यन उन्दों के नाम पर पुकारा जाता है। gमा, इस वाद्ययन्त्रको सृष्टि हुई है। इसकी प्राचीन पियानो-फर्टि-'पियानो' शम्मका अर्थ कोमल और इतिहासका पता नहीं लगता। इस जातिके यन्त्रमें. 'फर्टि' का अर्थ उच्च है अर्थात् जिस यन्त्रसे कोमल और डााडेनके काध्यमें 'भोकल फेम' नामक पन्त का उल्लेव उच्च दोनों प्रकारके म्या निकलते हैं उसका नाम पियानो. मिलता है। उन्होंने लिया है. कि. सेएट सेसिना फर्टि है। १५वीं सदोफे पहले भी इस प्रकारका यन्त्र इसके माविहारक थे। यूरोपीयनों के उपासना मन्दिरमें प्रचलित का, इसके बटुतसे प्रमाण भी मिलते हैं। सान यह यन्त्र रखा जाता है । यह यन्त्र सबसे पहले गिरजामें | लिमर, घाइकाई, पारजिनल आदि यन्त्र मी जातिके का प्रार्शिन हुभा था उसका स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता। हैं। पलिजावेथः ममय पारजिन्यास यन्त प्रचलित कुछ लोग कहने हैं, कि सन् ६७० ई०में पोप मिटालियनने हुआ। इसके बाद हार्पसिकर्डका नाम भी हयाण्टेल, गिरिजाघरमें इस यन्त्रका व्यवहार प्रवर्तित किया। फिर! हेडन, मोजार्ट और कारनोटीफे प्रन्धमें मिलता है। VolXXI, 30.