पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१५६

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वामाचारित-बायक

  • चक्रगत पापुरुष ही उन सब पुलस्त्रियाय पति को जाय। २ जिसमें वाई' मोरका घुमाय या परी.

है, कुलधर्म से विवाहित पति पति नहीं है । पूनाकालके हो। ३ जो याई भोरसं चला दो। : . . :..... मिया अन्य समयमै परपुरुषको हृदयमें स्थान न ।। यामायतफला ( स०पु० ) मुदि । (पंचकमि०) .. पूजाके समय घेश्याकी तरह सोको परितोप करना | सामावर्ता ( स० सो०) भावकी लता। . उचित है। पामिका (खो०) घामा-स्वार्थं फन रापि गतार। . साक्षात् कालोस्वरुपा ऊपर कही गई कुलनारीको | चण्डिका। पूजा करफे यामाचारी मयादि शोधन कर पीने हैं। यामिन् (संवि०) १ पानशील, उल्टी करनेवाला। प्राणतोपिणीतन्त्र में लिखा है कि ललाटमें सिन्दूरचिह २ उनिरणशील, उगलनेवाला। ३ यामाचारी। .. भीर हाथमें मदिरासय धारण कर गुरु गोर देयताका | यामिनी (स स्रो०) योनिरोगविशेष। इसमें गर्भाशय. ध्यान करते हुए उसे पान करे, सुगपातको हासे पकड़ | से छः सात दिन तारजका स्राव होता रहता है। इसमे कर तनन भायमें मद्यपानको इस प्रकार वन्दना करनी | कभी पीड़ा होती है, कमो नहीं होती। : : होती है। पामियान्-अफगानिस्तानको सीमा पर स्थित पर "श्रीमद्भपशेखरमविलसचन्द्रामृतम्मावितम् | शैलमाला | चोगपरिमाजकने यहां इस नाम एक गंगा घोषाधीश्वरयोगिनीमुरगणैः सिद्ध समाराधितम् । गौर उस नगरम भनेक यौद्धमूर्तियोंका उल्लेख किया है। भानन्दायक महात्मकमिद' साक्षात् निस्सपहामृतम् ।। वामिल (सं० वि०) घाम-इलच । १ दाम्मिक, पासण्डो। यन्दै श्रीममय फराम्बुजगत पात्रा पिशुक्षिपदम् ॥ । २ थाम, वायो। (भ्यामारस्प) पामो ( स० सी० ) याम डो। १ शृगाली, गोदशी। .. इस प्रकार विशेष विशेष मन्त्रोचार। पांच पार पात्रको २ वड़या, घोड़ी। ३रासमो, गदहो। चन्दना करके पांच पात्र मद्य ग्रहण करना चाहिये। जब तक दामोयभाष्य (मो0 ) भाष्यप्रम्पमेद । इन्द्रियां चञ्चल न हो जाये, तब तक पान करता रहे। पामतर (स'. त्रि०) घामादितः । दक्षिण, पाएका उन्या । पोछे चमादिके कल्याण मोर उनके विपक्षके विनाश वामोस ( स त्रि०) सुन्दर अमविशिष्ट। ' . उपदेशसे शान्तिस्तोल का पाठ कर फुलक्रियाका अनुष्ठान यामक ( स. खो०) पामी सुन्दरी अरू यस्याः (हिराना करना होता है। इसके बाद मागन्दोल्लास 1-कुला.. फलक्षणयामादेश्च । पा ११४१७० ) इति ऊ नारोगिशेष, .. र्णय के ५म प्रएट में यह लिया है। पिसतार हो जाने सुन्दरी खो। भासे पे मय गुहातिगुन्य नहीं लिचे गरे । पोराचारी देखो। पानी (सं० सी०) एक धेदिक दृषिकन्या। यामानारिन् (सं० रो०) यामाचारः मस्त्ययें इनि । (शिमा ) पामाचारयुक्त, जिन्होंने यामाधार मयलम्यन किया है। याग्नेय ( पु०) पानोफे माध्य। .:: पामापोड़ना ( म पु० ) पीलवृक्ष, पीलूका पेट। याम्य (सं० [सं०) १ पमनीय, यमनयोग्य । (शापरवाहिता) यामागत (सलि०). यामेन गायत्तः। १ पामदिरमे २ घामसम्यग्धोय। (णादित्यदर्पण) (पु.) यामदेय. आयर्शनयुक्त, जो किसो यन्तुको बाई मोरसे मारम्म' भूपिफे एक घोड़े का नाम। .. पान (सं० पु.) १ यतके गोसापत्य ।..२-सामगेद • "भागाकति शम्भुरागमापारसि । पाहि-पशार जिले के अन्तर्गत. प्रामाम प्रांग स पति: मुलावार ने पतिश्च विवाहित . (मपिता विपरितपतित्यागे दुण्यन फलाग्ने याय ( पु०)१ पपन, युगमा। २माधम । विवादित पति ने पोरदौसकमपित" यायक (सं० पु. ) पापतौति धे-गुल। । समू"। ' (तलब)। तुषाय तुलाहां। . . .-..--.. - -