पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वायुविज्ञान हो.मुलभ है । भूमागकी: जलराशिम इसका नौका । अत्यन्त तीन माल पदार्थ है। फिर भी, इसमें कण- ८ अंश, वायुमें चारका एक अश, सिलिका, चक और मात्र भी अपिमजन नहीं है। फिर दूसरी ओर सेशियम • एलिमोमिनामें आधा अंश. विद्यमान है । सिलिका और पोटाशियम आदि पदार्थ अलजन या आफ्मिजन 'चक और एलिभोमिना-पे तीन ही पदार्थ पृथ्वीफे के साथ मिल कर जिन सद यौगिक पदार्थों को राष्टि प्रधानतम उपादान है। प्राणियोंकी. प्राण रक्षाके लिये करने हैं, उन सय पदार्थो में: अम्लस्वाद विलकुल हो नहीं . अक्सिजनकी नित्य आवश्यकता है। मङ्गलमय भगवान्ने रदता। उल्टे इसमें तीवक्षारका दो स्वाद मिलता है। इसीके लिये जगत्के सव'शेमि इस प्रयोजनीय पदार्थ- अतएव अक्सिजन नामकी व्यत्पत्तिगत अर्धा ले. कर फो समावेश कर रखा है। गनन्त भूवायु नाइट्रोजनको विचार करने पर यह जिस पदार्थके याचकरूपमे ध्यय. '. सांय अक्सिजन मिधित भावसे पड़ा हुआ है। उद्भिद हत हुआ है, उसके विषयका यथार्थ भाय इस नामसे जगत्के अभ्यन्तर अधिसजनको प्रचुरता दिखाई देती है। प्रकट नहीं होता । प्रत्युत यह भ्रान्तिका ही उत्पादक है। जगत्याण सूर्य अपनी किरणों को उभिदुपत्रके माद अन्त- - . . अक्सिजनमें जलनेकी शक्ति । स्नलको पार कर उससे अफिमजन खोचता है और धरणी. अक्सिजन अग्निका अधिष्ठात्री-देवता है । अक्सिजन- के प्राणियों के उपकारार्थ अक्सिजन सञ्जय और वितरण के विना 'जलन-क्रिया' असम्भव हो जाती है। इसीलिये 'करं प्राणियों का हितसाधन करता है। इससे उभिद्- | पाश्चात्य विज्ञान में किसी समय अक्सिजन अग्नियायु राज्यको भी परम उपकार होता है। कार्योग उभिदों के | (Fire air) नामसे पुकारा जाता था । धधकतो लकड़ियां जोयनापाप है। भूवायुमे जो कार्यामिक पसि सञ्चित | अक्सिजनके स्पर्श करते ही और भी जल उठती हैं । जो • होती है, पत्रराशिविनिर्गत भक्सिजन द्वारा यह कार्यो. सब पदार्थ साधारणत: अदाय कहे जाते है, उनमें यदि निक एसिड विश्लिष्ट हो कर उभिदीको कार्योन द्वारा | अक्सिजनका स्पर्श हो जाये, तो यह जलने लायक हो जाते परिपुष्ट करता है। उभिद् प्राणिराज्य कार्यानिक है। लोहा जव अग्निमें जल कर लास हो जाता है, तब असिजनके इस तरह आदान-प्रदान द्वारा विश्वनियन्ता- इसमें अक्सिजन गेस स्पृष्ट होने पर लोह भी जल उटता के विश्व कार्य में सुखला, मितव्ययिता गॉर निरतिशय (लो निकल आतो) है । अक्सिजन गेसमें जब फम्फारस सुन्दर विधान दिनाई देता है। जलता है, तब उस अग्निका जो प्रकाश होता है, यह - पहले हो कहा गया है, कि फ्रान्सीसो पण्डित असह्य हो जाता। . . . लागोयाजीयने इस पदार्थका अक्सिजन नाम रखा है। ... मषिसजनका गेस न रहने पर कुछ भी नहीं जलता। oxus एक यूनानी शब्द है। इसका अर्थ अम्ल है कोयला ही हो या फिरासन तेल. हो-इनमें कोई भी विना Genrao अर्थात् "मैं उत्पादन करता है" इन दो गोसे मक्सिजनके नदी जल सकता। हाइड्रोजन याप्य दाहा, Oxygen शब्दको उत्पत्ति हुई है। यह मालगादक किन्तु दाहक नहीं। तुम हाइड्रोजनसे भरी बोतल नांचे है। इससे लाभोपाजीयने इसका भक्सिजन नाम रखा मुख करके रखो और इसमें जलता हुई यत्तीका संयोग करो था। उस समय इसका ऐसा नाम रखने के कई कारण तो यह तुरन्त ही घुम्म जायगी। फिन्तु हाइभोजन घे। . भवार या गन्धक रद्ध यायुमै जलानेसे एक तरह याप पोतल मुहमें प्रमाहीन शिक्षामे जलती रहेंगी। के यायपोय पदार्थको सृष्टि होती है । भङ्गार या गन्धरः | हापोजनसे भरी बोतल में एक दीपशिखा घुसहने पर धन-जनित याय जलमें द्रवीभूत होती है। इस अलकां, दोपशिखा घुझ जाती है। इसका कारण यह है कि - अलमार होता है। इसीलिये लामायाजीयने उक्त याय-हाइट्रोजन दादक पदार्थ नहीं। किन्तु कोई अग्निमुन घीय पदार्थमा अषिमजन या शन्लान नाम रखा। पदार्थ अक्सिजनसे मरो दोतल के मुम्न में प्रवेश करते ही रितु इसके बाद देयो ( DAYS ) पचोरिनने पदार्थको यह-अधिकतर प्रबल येगसे जल उठता है। . . . . परीक्षा :मारम कर देखा. शि. दारोक्लोरिक पसि! अव प्रश्न यह है, कि भक्सिजन स्वयं दाह्य पदार्थ