पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१८५

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वायुविज्ञान . ज्ञापेगी और न वाप्प ही जलेगा। कार्यानिक पसिष्ट गेस | कार नहीं होता। फिर भी विचित् चाय के साथ मिल - अग्निशिखा युझाने में परम सहायक है । इसीलिये यह कर इसके बाघात करने पर जीवननाशको भयङ्कर कहीं कहीं खानको माग घुझाने के लिये ध्ययन हुआ आशङ्का हो सकती है। कार्यानिक पसिड गेससे है। यह वाप यायुकी अपेक्षा भारो है। यद्यपि यह दीपक बुझ जाता है। इसके लिये जलते हुए दोपकसं अदृश्य है, तथापि इसको एक पानसे दूसरे पात्र में मना- परीक्षा को जा सकती है, वाप्प कार्यानिक एमिकी यांस हो ढाला जाता है। रसायनविद् निम्नलिखित मात्रा अधिक है या नहीं किन्तु इस परीक्षा पर हो प्रक्रियासे इसकी परीक्षा करते हैं। पहले तो यह एक निर्भर रद्दी रहना चाहिये। जिस पाय में सुन्दरता- काँचके पात्रका वशन स्थिर कर लेते हैं। पोछे यह पलड़े। पूर्वक जलनक्रिया निहित होती है, उस याप्प पर रख कर उसमें कार्योनिक एसिहसे भरी शीगीको | आमाणसे भी अचेतनता, नाना तरहको पीड़ा और ती ढाल देते है। यद्यपि अदृश्य वापको देख न सकेगा, क्या मृत्यु तक होते देखी गई है। ययद्वीपके 'उपास' किन्तु यह दिखाई देगा, कि इसके भारी बजनस पलड़ा उपत्यका और नेपलसके निकटवत्ती गेमिकाकी उप- नोचा हो गया। त्यकाम और रेनिस प्रसिया, झोलके निकट यात प्रस्तुत पणाली। , काबॉनिक एसिड गेस उत्पन्न होता है। सफेद बड़ी के साथ यो मार्चलके साथ सलफ्यूरिक ___ हमने यहा यायुके तीन उपादानोंक सम्बन्धमें या हाइड्रोक्लोरिक एसिडके फियोनियन्धन-यन्त्रविशेषसे किञ्चित आलोचना की। इसके बाद घायुमै मिली कायोनिक एसिड गेस उसान होता है। कार्दनेट ाय | हुई एक यस्तुको मालोचना करना आवश्यक प्रतीत लाइम भो कोराइह अय कालसियममें परिणत होता है। होता है। वह पदार्थ-जलीय पाप है। याय में इसी समय कार्यानिक एसिड उत्पन्न होता है। जलीय पाप्प मिला रहता है । इसलिपे मेघ, ____ कार्योनिक एसिडको मस्या '. "कार्यानिक सिद्ध कठिन, तरल और याययीय पदार्थ दृष्टि, कुहरे आदिको उत्पत्ति होती है। किन्तु यहां है। यह तीन अयस्थाओं में दिनाई देता है। कारण इस पदाथकी आलोचना करनेसे पहले मानध. होटको ३० डिग्री तापमै कार्वोमिक एसिड तरल भयस्या देहमें घायुका भक्सिजन और कार्यानिक पसि पया में परिणरा होता है। तरल कार्यानिक पसिष्ट वर्णहोन क्या काम करते हैं, उसकी थोड़ी मालोचना करनी या रङ्गरहित है, जलों और चर्को पक्षम द्रवतीय जरूरी है। गतपर अपिसजन, नाइट्रोजन भीर कार्या. है। किन्तु यह इधर, गलकोहल, याइसलफाइड आय निक पसिद्ध तत्त्वोंका उल्लेख करने के बाद ही यहां देहमें कार्वोग, नापथा और तारपीन तेलमें मिश्रित होता है। पायु सम्बन्ध विचार प्रसङ्गका उल्लेन करना चाहिये। fr.किट कार्यानिक गेस विकीर्ण होते होते अत्यन्त शीतल अतः पदलै इसके सम्बन्धमें मालोचना कर पीछे जलीय हो जाता है। इस अवस्था कार्यानिक एसि तुपार- यापके (Aqueous Vapour) समय मालोचना को तद जम जाता है। को ज्ञापेगो। . पाणीय कायानिक पसिट रङ्गविहीन है। कुछ , मानवदेहमें पायकी क्रिया। लोग कहने है, जिसमें गन्ध मीर अलसाद है। मनुष्पको बेदके प्रधान उपादानों में रक्त-राशिको पात खामायिक उष्णतासे यह जलम द्रवीभूत हो जाता है। पहले उल्लेख करनेको जरूरत है। यह शोणिसगशि किन्तु निर्दिष्ट अशफे अधिक किसी प्रकार प्रचापसे दो। दो तरहक पप जीयक देहरा त्यमे विचरण करती है- शोपित नहीं होता । प्रचाप दूर हो जाने पर गेस जन्ट धमनी (Artery) में और शिरा (Tein ) धर्म । से निकलते समय घुयुद्ध दिखाई देता है। सोडायाटर घमनोका रक्त उयल लोहित, निराकारकरणाम या लेमनेष्टयाटरफा खोलने समय इसी कारण बुद्धयुद्ध लाल है। परीक्षा कर देखा गया है कि धामिक दिखाई देता है। कार्यानिक एसिह पोस फाई अप-1 और शेरिफ र. इस पर्ण पार्यपयका एकमात्र कारण- Vol. XXI. 42