पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१८८

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१६८ वायुविज्ञान रखता है, वायुकोषके अक्सिजनको प्रचाप उसको अपेक्षा। लोहित रक्ताणा रकके जमा पदार्थ में सम्मिथित गधिकतर है। अतएर वायुकोषस्य अविप्तान शैरिक) करनेये भी फस्फोरिक एसिडको सरह कार्य करती है। रकराशि में प्रवेश करता और रक्त हिमोग्लोविन या रक्त! अर्थात् इसके द्वारा भी प्लममाका कार्यानिक एसिह कणामें मिल जाता है। इस मिले हुए पदार्थ का अक्सि- अंग यार हो सकता है। इसीलिये कुछ लोगोंका करना हिमोग्लोविन (Oxschemoglobin) नाम पड़ा है। ऐमो) है, कि अपितहिमोग्लोविनमें एसिडका धर्म है। एक मी अवस्थामें रक्त के दूसरे पदार्थको (Plasma ) अधिक- भाग शैरिकरक्तमें Veuous blood) ४० भाग कार्यानिक तर अक्सिजन ग्रहण करने को सुविधा प्राप्त होती है। एसिड है। पेशाय या मूत्र में सैकई भाग कार्यानिक फिर दूसरे पक्ष में रक्त का प्लनमा पदार्थ में यदि अक्सिजन- पसिड दिखाई देता है। . .. का प्रचाप अधिक हो, तो और रिशुमै यदि कम हो, तो .. श्वास-क्रियाका विवरण : रतके जमा पदार्थ से दैहिक रिशु अपिसजन प्रभावित . प्राचीन पाश्चात्यनिहित्सा विज्ञानविद पण्डिनोका होता है। अक्सिजनके जमाले देहिक रस (Lymph)/ विश्वास है कि नाक और मुंहसे यायुगलोझी सहमे रससे रिशुमें उपस्थित होता है। इस अवस्था अफ्सि: पाय फुस्फुसके यायुकोप में पहुंच जातो गौर दुपित रक्त- हिमोग्लोबिनसे अफिमजन यिच्युत हो जाता है । इस | का शुद्ध कर देतो है । फुस्फुसमें रक्त का अपरिष्कृत पदार्थ तरह हिमोग्लोविन पिपानको खो कर भो मलिन ! · अक्सिजनको सहायतासे दूर हो जाता है । अता फुस्फुम और विष हो जाता है। हो तापोत्पादन की एकमात्र स्थलो (थैलो) है। रक्तमें कार्यानिक एसिह । किन्तु इसके बाद वैज्ञानिक गवेषणास प्रमाणित 'हुधा पदको जिम जगह याययीय पदार्थका प्रचाप अधिक है, कि शैरिक रक्त फुस्फुममें प्रथिए हानेमे पहले भी तर है, उसी जगह कार्यानिक एसिड अधिक माता | इससे यथेष्ट परिमाणमे कार्यानिक एसिड मिला दता उत्पन्न होता है। देहिक रिशुराशिम हो कार्यानिक है। इससे नये अनुसन्धानका पथ फैल गया। अनु. पम्पाउएड गधिक मात्रामें परिलक्षित दोता है। यह सन्धित्सु बैशानिकांने देखा कि रक्तमें भी गक्सिडेगन टिशुमे पहले दहफे रसमें (Lymph), यहांसे रक्त, यहांसे, या मृदुदहन किया सम्भयनीय है। यह भी साफ पे फुस्फुम भीर बदामे पृषक हो घायुकोषो उपस्तित हो ,तिदेहफे अन्यान्य स्थानों के तापम फुम्फुमका साप कर प्रश्य सफे साथ कार्योनिक एसिडके रूपसे बाहर अधिक नहीं। ये सय देगा कर उन्होंने सामा, किरतो मिलता है। हो मृतु दहनफिया सम्पादेती है। देर म लगी, ___शोणितराशिको शोणितपाय ( Corpuscle ) और उनके अपनी भूल सझ पड़ी। उन्होंने जय सिधा हिया तुममा पदार्थ में विभक्त करने पर शेपोक्त पदार्थ में ही है, कि समग्र देहको धातु या टोशुमें दो यह मृदुदंदनकिया कार्यानिक सिहका परिमाण अधिकतर दिखाई देता (Oxydation) निसन देती है। दोने परीक्षा कर. है। घायु निकालनेवाले रिसी इन्त्रमें रक्त रखनेसे देखा है कि रक्त शिना भो जीयदेही याद किया कुछ दिवाई देता है, कि उमसे घाययोय पापराशि धुदुयुदा- देर तक चल सकती है । एक मेहककी देहमे रक शोषण कारमें बाहर देती है। इसमें किसी तरदका क्षीण प्रभाय कर सकी धमनियों में यदि लगाल पर दिया जाय एसिप मिलानेसे मी इममे फिर कार्यानिक पसि] मोर उमफो विशुद्ध पिमजनके पाप आग, मा वाहर न । रिन्तु जमा पदार्थमे अधिकतर कार्यो मो उसको देहिकपरिभ्रमणमिया ( Metabolisnt) निसिपाहर निकलता है। फिर भी इस प्रायः। कुछ देर तक यन्याहत माती है। उस दर सैकई ५माग कार्यानिक पसिद रद जाना है। फम्को- रकन होने पर मो गपिमान और कार्पोनिक पमिटके रिक एसिएको तमोक्षण एसिम मिलानेसे मासे मादान और परित्याग प्रकिया कुछ देर तक कोई भी निशेषित रूपसे कार्यानिक पसिः निमुन मही हाता।। पायात EिOत नही होता।