पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१९३

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वायविज्ञान पृद्धिसे देहका उत्ताप घट जाने पर इस गेसको मात्रा | मिल जायगी फिर चाय के भई मायतन जलमें यदि मो पद जाती है। फिर दूसरी ओर वाहरकी यायु जरा निर्दिए परिमाणसे चाय सङ्कचित को जाय, तो भी भी शीतल हो गीर उसमें यदि दैहिक उत्तापका हास | जल उसी परिमाणसे चाय को हो भात्ममात करेगा। म हो, तो अधिक मात्रामें कार्यानिक एसिड परित्यक्त | चाय का आयतन चौगुना अधिक होने यह मो इस निर्दिष्ट होता है। यायुमें सैकड़े. ८ भाग कार्यानिक एसिड | परिमाणसे अधिक जलमें मिल न सकेगा। उत्पन्न होने पर यह असुखकर हो जाता है और सैकड़े। शैरिक रक्तमाय झोपफ पार्श्वस्थ कैशिकामे पहुचनेके एक भाग कार्यानिक एसिहमें वह विपवत् हो उठता है।। समय उसका हिमोग्लोविनों में अफिमजन नहीं रहता। स्वासक्रिया में वायवीय पदार्थोका विनिमय । इससे कार्योन-डाइ अपसाइड अधिक मात्रामें विद्यमान जलीय पदार्थ के साथ पायवीय पदार्थका समिश्रण | रहता है। दूरबत्ती यन्तोंके गठनोपादान या रोशुसे शैरिक होने पर कई छोटो छोटो क्रियाये दिग्नाई देने लगती हैं। रक्त कार्यान-डाइ-अपसाइड में प्रवेश कर जाता है। घर यहां फुस्फुसीय रकम आकाशीय वायुके संस्पर्श और चाय कोपके प्राचीरफे साथ इस अपरिष्कृत रक्ताधारके माघातके फलसे घायवीय पदार्थो में परस्पर आदान-प्रदान | प्राचौरमें सटे रहनेसे चाय कोपर्क अपिसजन प्रहण किया जो परिवर्तन होता है, उसके सम्बन्धमे बहुत करने में इनकी यथेट सुविधा होती है। थाप.कोपको थोड़ो आलोचना करते हैं। हमारे रक्त के साथ अफिम चाय में सैकड़े दश भाग अक्सिजन रहता है। कुत्ते जन और कार्यानिक-डाइ-अक्साइडका जो सम्बन्ध है, के फुस्फुमको परीक्षा कर देखा गया है, कि उममें अवसे पहले उसका उल्लेख किया गया है। अर्थात् सैकड़े २८ भाग कार्योन डाइ-अपसाइड रहता है। इस रक्तके हिमोग्लोयिनमें अक्सिजन आकृष्ट होता है। दूसरी समय प्रश्यासवाय में कावों न डाइ-अपसाइटका परिमाण ओर प्लगमा पदार्थ के ( Na HC03) कार्योन अपसा सैकड़े २८ भाग परिलक्षित होता है । डालटेनने ( Dal. इसका बहुन थोडा रासायनिक सम्यन्ध है। और यह t.n ) सरल गौर घाययोय पदार्थफे संघात सम्बन्धम सम्यन्ध भो बहुत शिपिल है। घायुशून्य पातो रक्त रख जिस नियमका माविष्कार किया है, उसके अनुसार कर उसमें जरा उत्ताप देने पर ही यायचीय पदार्थ पृथक अनुमान किया जा सकता है, कि इस अवस्था अपिप्स. हो जाते हैं। इस समय फुस्फुसफे भीतर इनका कुछ। जन रक्त में प्रविष्ट होगा और उसके प्रयापमं फाोंन परिवर्शन साधित होता है या नहीं, इसके सम्बन्ध | डाइ-गफ्साइड पाय कोप मा उपस्थित होगा। आम धार जरा झालोचना करके देखा जाये। भी इस पर सूक्ष्मरूपसं विचार कर रहे हैं। पुम्पुसमे फुस्फुमके रक्ताधारमे मारिष्टन रस भी प्रयादित १.भाग अक्सिजन रहेगा. भपिसजनके प्रचाप. होता है। इन सूक्ष्मतम और मूक्ष्मतर रक्ताधारके दोनों का परिमाण ७६ मिलिमिटर है । पनीस मिलीमिटर पायों में ही यायकोप (Alreolarair cells) दिखाई प्रचाप हो हिमोग्लोयिनसे अफिमजन पृथक हो जाता देता है। रक्ताधारका रक्त कार्यानिक पसिस पूर्ण है। उसकी तुलगा अपिसानका चाप अत्यन ६। फिर घायुकोषको यायमें अफिमसमका परिमाण अधिक है। किन्तु शैरिक रक्ता हिमादिन सभा अधिक है। कादों निक एसिड रक्त.के साथ मिला हुआ| हो अप्तिमनयिहीन ( Reduced) है । पर म नु रहता है। प्रचाप गौर उत्तापफे सिवा उससे उक्त गान किया जा सकता है, कि हम स्थ गित भ्यासके यिश्लिष्ट होने का दूसरा कोई उपाय नहीं। इस मयभूमिको तरद या सानिपारिक मरने वनित रोगों गातको मालोचना करने के पहले तरल पदाधे. साप के जल पानेको नरद रिद विमानोंको गेमका जो सम्बन्ध है, उसके बारे कुछ उल्लेपाना आत्मसात् शरने में बरा करेगा। मि . मावाद। खुला यायुमें विशद अल जनिर्दिष्ट लय वार गिरने दिन होने पर पार परिमाणस ताप देने पर निर्दिष्ट परिमाणसे पाय जलमें! म मरिनरत नरहता है। फिर, Vol. III,