पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२०५

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वायुविज्ञान पायुकी यह शैत्य पृद्धि शीतल यायु समिणमित । यिविध अयस्थागत जलीयवाप्पकी स्थितिस्थापकता नहीं हैं। तायकोरणयशता भी नहीं, अथवा आदिका परिमाण कर उसके सम्बन्ध थालोचना करना मद्य देशको स्वभाव शीलताके कारण भी नहीं है। हो हाइमोमेट्रो नामक विज्ञानका उद्देश्य है। इन दोनों इस प्रौत्य प्राप्तिका हेतु स्वतन्त्र है । सन् १८२६ / विज्ञानोम पायुफ जलीयवाप्प सम्बन्धीय विविध तथ्य १०में य मानिक पण्डित पसपाईने (ESIS) ताप जाने जा सकते हैं। साधुनिक मेटेयरलजी ( Meteo- विज्ञानका नियम मायिष्कार किया है, उससे मालूम | rology ) सम्वन्धीय प्रन्यों में भी इसके सम्याध बहु. होता है, कि तापकार्यफलसे विमिश्रित होता रहता तेरे सूक्ष्म तत्त्य लिखे जा रहे हैं। सिया इसके लाइ. है। वायुप्रयोद निधि परिमाणसे ऊपर उठने पर | मेटेलजी (Glimatalogs) सम्बन्धीय गयेपणा यायुफे शीतल होता है. और उसके फलसे घायुमें मिश्रित | जलीय वाष्पका कुछ कुछ यियरण लिखा गया है। जलीयवाप्प धनीभूत होता. है। मेघ गठनफे समय | लण्डनफे मिटियरसिकेल माफिससे भी इस विषयक तापराशिम प्रच्छन्नमावसे विमिश्रित रहता है। मेघयक्त , बहुतेरे प्रत्य निकल रहे हैं। सन् १८८५ ई० में पेशानिक पायुफे निम्नंगामी होने पर इसमें प्रच्छा ताप प्रकाशित | पण्डित फेरेलेने Recent Advances in meteorologs होता है। इसमें विकीरण द्वारा वायुराशिसे खूब कम | । नामक जिस प्रथको रचना की है, उसमें भी इस विषय- माना ताप कम हो जाता है। पुष्टि होने के समय यदि | के अनेक आधुनिक सिद्धान्त जाने जा सकते हैं। पायुका प्रच्छन्न ताप कम न हो, तो उक्त यायुके गधो. हमने लेखके मारम्भमें कहा है, कि यायुमएडल नाइ. गामी हो जाने पर भूपृष्ठ पर अत्यन्त उष्ण वायुका द्रोजन, अक्सिजन, जलोययाप्प, फायोनिक एसिह गेस, प्रयाह अनुभूत होता है.... दिनफे प्रखर सूर्योत्तापर्म और आमोनिया, मारगन, नियन, हेलियम, झिपटन शीर निरि- शुष्क यायु प्रयादगे भनेक समय मेघ गठित होते न होते | तशय कम माता दारोमन और बालो-कार्यन पदार्थ हो याप्पीभूत . हो जाता है। इसी बायुको झझायायु का एक मिश्रण पदार्थ है। इसमें नाना प्रकार बोजाणु कहते हैं। किन्तु पायुफे भाद्र होने पर इस वायुः। और धूलि यादि भी उडतो फिरतो है। किन्तु ये सत्र राशिम .सूर्योत्ताप जो परियत्न होता रदता है, यह ) पदाय वायुफे अनीय नहीं। याय के इन सब उपादान. परियत्न अधिो-संघटन अनुकूल है। . . . पदार्थो में जलीय दापोंका परिमाण चिरचञ्चल है । - थायुके जलोप चापका विस्तृत वियरण प्रकाशित | देश, काल गौर उरणता भादि मेदसे जलीय पाएका फरने पर पूष्टि, शिला गौर शिशिरराशिको धात विस्तृत यथेष्ट सारतम्य हो जाता है। सिया इसके अन्याम्प रूपसे लिखनो पड़ेगो। किन्तु यहां उसका स्थानाभाव, उपादानों में पैसा तारतम्य नदों होता। हमने पहले है। इन सब विपणको उन उन शब्दांकी व्याख्या में देखो। हो कदा है,-कि याय में - ... हाहोमिटियरजजो भौर हाइपोमेटी अक्सिजन . २३.१६ भाग पायुफे जन्टोययापके सम्यग्धमे जोः सपिस्तार | .. नाइट्रोजन मीर गारगन ७६७७ भाग . . गालोचना देना चाहें, उनको चादिपे, दिये हाइडोमिः | .. · कार्यानिक सिट . ४ भाग टियरलजी (Hydrometeorology ) और हारमोमेट्रो . जलीय यार. . . मनिर्दिए . (lyrgrouctry :)-फे सम्बन्ध धेशानिक प्रयोका मामोनिया और गन्याय पाप पदार्थ . ०.०१ पाठ करें। हाड़ोमेटियालजी विशाम कुदरा, मेध, । मात्रामें विद्यमान हैं। हमने मा तक सब उपादानों पृष्टि, तुपा, शिविर, शिला म.दिका विस्तृत विवरण | मापेममन, नाइट्रोजन, फादों निक पसिह मोर जलीय लिखा हुआ है। दिग्दोविश्वकोपी ए शम्दमें भी इस याप्पके सम्बन्धागे मालोचना फो ६ । पाय में जो विधानफे सम्बम्प मालोचना देखनी चाहिये । हार- मार्गन (Argon) नेपन (Scon), हेलिपम ( Helium) प्रोमिटर ( Hygrometer ) पान द्वारा पाएरानिक घोर किपरन ( Keypton.) नामफे नयायिष्यत म्ल . Vol. I. 16