पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वायुविज्ञान १६५ यन्नविशेष संयह बाप के कगन ( Vibration ! शद क्रमशः ही परिस्फुट पसे धुत होने लगा। इसी. of air ) द्वारा अनेक तरहके वाद्ययन्त्रोंका आविष्कार लिपे ही महर्षि कणाद शब्दके साथ वायुका जो घनिष्ट हुआ है। घंगो, शस. सिंगा, तुरही और अन्यान्य । सम्बन्ध है , हजारों वर्ष पहले इस सिद्धान्तको सूत्रा बहुमेरे गाद्ययन्त्रको सृष्टि हुई है। इन सब यन्त्रोंके । कारमें संस्थापित कर गये हैं। मपस्थित पाय राशि हो शब्दउत्पादनको कारण पायुका भस्तित्व अनुमय और प्रभाव । है। ..यन्त्र के वांस, काठ या पीतल आदि केवल __वायु हमारो यांखोंसे दिखाई न देने पर भी हम इसके शब्द झडार परिवर्तनका सहायमान है। शब्दविज्ञान | अस्तित्वको कई तरहसे अनुभव करते हैं। हम वायुके चायुके इस शतिस्तक सम्बन्धों बहुन गवेषणा मोर ! प्रवाहसे समझ सकने है, कि हया बह रही है। हमारी गणित प्रक्रियासाध्य सिद्धान्त दिवाई देना है। गेस। हमें जब वायु स्पर्श करती है, तय अनायास हो हम हारमोनिश्म एक तरह का अद्भुन वाधयन्त्र है । कोयले का समझ जाते हैं । सरोवरको मृदुल वीचिमाला-समुद्र. गेम या हाइयोजग गेस, इस याद्ययन्त्रका यादक है। की उत्ताल तरङ्गमें-कुसुमकाननमें सलन रोके नुको. यन्त्र इस तहसे बना है, कि उसके ग्लासनलिका गेस मल पत्रके स्निग्ध आहान और प्रलयङ्कर प्रमञ्जनके रख कर यह गेस प्रयलिन कर देने पर उससे जो घायु माम भयङ्कर सृधिपंहारक मास्फालगमें-सर्यन हो मयादिन होती है, उससे हो यन्त्र भभुत गीतिननि यायुका अस्तित्व परिलक्षिा होता है। अन्य जद उठा करती है। इस तरह के घाद्ययन्त्र में ग्रेजोंमें Singing } पदार्थों में जिस तरह प्रतिरोधिका शक्ति है, वायु लघुतर Hames के नाम विधान है। घेवल यन्त्रधृत पाय- होने पर भी वैसे ही इसमें भी प्रतिरोधिका शक्ति है। घाय याद ही इस शन्दका उपादान है। परिचालिका शक्ति भी है। घायु अनन्त शनिशाली है घायशम्दको प्रवल परिचालक है। साफ्टर टिण्डलने और रसका गुण भी मनात है। मानवीय विज्ञान ममी भी प्राचीन पण्डित हपसीके पदाङका अनुसरण इसका लेशमात्र भी जानने में समर्थ नहीं हुआ है। कर रसके सम्बन्ध में बहुनरो परोक्षाये' को हैं। डापटर। वायुप्रवाह। टिएडलने रायल इस्टोटियुशन में शब्दके सम्बन्ध में जो पहले हो कहा गया है, कि वायुमें तरल पदार्थ के सब प्याएया की थी, उसमें उन्होंने हमलीके प्रस्तुत किये तरह का धर्म विद्यमान है। इसीलिये उसको तरल हुए यन्त्रको तरह एक गस्त्र के साहायसे वायफे साथ पदार्थो गणना होती है। जिस नियमसे तरल पदार्थकी शका सम्बन्ध बहुन सुन्दरम्पले दिपलाया है । एक घायु गति निस्पन होती है, वायु भी कई शर्म उसो नियमके निकालनेवाले यन्त्र के लास निर्मित माघार पर पक, अधीन है। किन्तु प्रभेद इतना हो कि भन्यान्य तरल. घण्टा रख पायु निकालनेवाले यन्त्र द्वारा उमको | पदार्थों में अन्तराकर्षण अपेक्षायत हद है, किन्तु यायुमें पायु निकाल लेते हैं, इस मवस्या में इसके योन घरटे। यह मन्तराकर्षणशक्ति बहुत लघु है। इसी कारणसे को यथेष्ट रूपसे हिलाने पर भी कोई शब्द सुनाई ।। पाय अन्यान्य तरल पदार्थों की अपेक्षा सक्षम हो स्फोत नहीं देता। इसके बाद उन्होंने इमको हाइलोजन याप होतोद, मन्याग्य तरल पदार्थ मूढ़ताया घेमी स्फीति से भर दिया। हारमोशन याप्प पाय की अपेक्षा १४ | महोती। गुना लघुतर है। इससे यदुत यस्नके बाद धोतृवर्ग सरल पदार्थका साधारण एक धर्म यह है कि यह इसका भनि मार द सुन सके। फिर ये उसको सर्पत हो समोचता सम्पादन करना है। किसी कारण पाय अन्य कर घण्टा बजाने लगे, श्रोतागण या इम समोचता यिन्न होने से यह स्वामायिक धर्मा. बहुग निकट कान लगा करमो कोई शब्द सुन न सके। नुसार एक दार आन्दोलित हो कर फिर समोपनाको इसके बाद जब ये मला अल्प पाय प्रषिट करा कर घण्टा रक्षामै यस्नगोल होता है। फिर यह शांतसे संकुचित दिलाने लगे, सब वायुक घनत्यको एतिक अनुपात | भोर तापसे स्फोत या पिपदित होता रहता है। पातय _Vol. XXI, 47