. . वारासन-वारिकृमि
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वारासन (सं० लो०) १ घरामन । २ जलाधार। , कोभृगार ( स्वर्णजल-पान ) में स्नान करानेको व्ययस्था
पाराद (स० वि०) यराइस्पेदमिति अण। १ घराह-है।
सम्बन्धीय। २ वराहमिहिर-मत सम्बन्धीय) घराह एक प्रकारका महाकन्द । इसे हिन्दी में गठी, मराठी.
साथ गण । (पु० ) ३घराह, शूकर। ४ महापिण्डोतक में याराहीकन्द, तेलगूमे गेलताडिचेट्ट, ब्राह्मदखिचे,
पक्ष । ५ कृष्णमदनवृक्षा कालो मनोका वृक्ष। इसका गुण- और वम्बई में करकन्द कहते हैं। बहुतोंका कहना है, पर
यमन प्रशस्त, कटु, तिक, रसायन तथा कफ, हृद्रोग, अनूपदेशमें उत्पन्न होता है। इस कन्दफे ऊपर सूगर.
आमाशय और पकाशयशोधक । ६ जलवेतस, पानीफे | के वालों के समान रोएं होते हैं इसका आकार प्रापः
किनारे होनेवाला येत । ७ देशभेद । (रसिंहपु. ६५६१६) गुड़की मेलीफे समान होता है। पत्तियां कंटोलो, वही
घाराक (सं० वि०) याराह-कन् । १ घराहसम्बन्धी । बड़ी तथा मनोदार होती हैं। अन्त्रिक मतसे यह कन्द
(पु.) २ पाणहर कोटभेद, प्राण ले नेवाला एक प्रकार. अर्शीन और घातगुल्मनाशक, राजयलभर्फ मतसे
का कोड़ा। :
,
श्लेष्मण, पित्तकृत् और बलवर्द्धक तथा राजनिघण्टके
पाराहकन्द (सं० पु०) घाराही कन्द 1 पाराहो देखो।
मतसे तिक्त, कटु, पिप, पित्त, कफ, कुष्ठ, मेद और फमि.
पारादत-हिमालयस्थ देवस्थानभेद । .
नाशक, पृष्य, पत्य मोर रसायन माना गया है।
(हिमवतख ३४११२८) |
___४ महीपर्धायशेष । ५ शुमभूमिकुमार, यिलाईकम्प,
पारादतीर्थ-तीर्थविशेष । पाराहतोद्यमाहात्म्यम स- पिदारोकन्द। ६ वृद्धवारक, विधारा नामक क्षुप १७
• का विवरण भाया है। .
प्रियंगु। ८ घराहकान्ता। ६ श्यामा पक्षो।
घारादपत्रा.(सं० स्रो०) पारादीकन्द, असगंध। याराहीकन्द (स.पु०) वाराही देखा।
याराहपुट (सं० लो०) पुटमेद । अररिलमान कुएड में जो पाराहोतन्त-एक प्राचीन महाताल महाशक्ति पाराहा.
पुट दिया माता है उसे घाराहपुट कहते है।
नामानुसार इस तन्त्रका नाम पड़ा है। इस तालमे
पाराहपुटमावना ( स० सी०) भरपल छन भावना। बौद्ध जैनादि तन्त्रीका भी उल्लेख है।
पाराहपुराण (सं० लो० ) अठारह पुराणोमेसं एक महा- याराहीप ( स० ली० ) पराहमिहिर रचित पृटतमहिना
पुराण । · पुराण देखो। . .
सम्बग्धोय।
याराहाङ्गो (सं० स्त्री०) दन्तोवृक्ष ।
पारि (स'० ली०) धारयति सृरामिति -
णिम् (पसिप
याराहा (सं० स्त्री०) याराह-काप । १ प्रमाणी आदि पियजिराजिमजिसदिहनियाशिवादिषारम्य एम् । उण ११२४ )
भाठ मातृकाप्रमिस एक। देयोपुराणमे लिखा कि १ जल, पानी। २ सरल पदार्थ । ३ तारलप, तरलता।
पाराक्षा पराइदेवकी शक्ति है। हरिफ अपरूप यशवराह- ४ हीघेर। ५पाला, मुगन्धवाला। (स्रो०) ६ पाणी,
रूप धारण करने पर उसकी शक्तिने भी याराहीरूप, सरस्पती।७ गावग्धन, माधोफ यांधने को जंजीर धादि।
धारण किया था। (चपढो) . . . गजवधनभूमि, हायोके यांधनेका स्थान, फोल-
दुर्गापूजापद्धतिम इस पाराही देयोका इस प्रकार माना। यन्दि, फेदी। १० छोरा कलमा या गगरा।
'ध्यान लिखा है- ..., .
(नि) ११ घरणीय। (शुवनय ० २१६११
वाराहमियो देवी दंष्टार वसुन्धराम् ।
पारि-नैग्मुक्त के मर्गत एकन(भविन्य प्रमययर)
शुभदा मुनी शुभ्रा वाराह का नमाम्यहम् ॥" " यारिकफ (मपु०) समुद्रफेन । ।
(न्नान्दफेश्वरपु०) यारियर (सं० पु.) इल्लिस-मरम्प, हिलसा मली।
• "हामरतन में पाराहीमासनामस्तोम तथा रुद्रः । पारिपुम्ज (संपु.)हार, सिंघाड़ा।
पामलमें धाराशाग्लोन लिया है।
पारिकुरजक (सं० पु.) रहारक, सिंघाड़ा ।'
२ योगिमोपियें। पूजाम समय म सब योगिनी : योरिकृमि (मपु० जलौका, जोक।
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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२२५
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