पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२३३

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वारेन्द्र २०७ पमानदो उत्तरको भोर क्रमस खिमक गई है। वर्त सम्बन्धमे लोग नाना प्रकारको बाते पहा करते है। भान नदिया जिले के फुष्ठिया नामक स्थान प्रान्तभागमें | कोई कोई अनुमान करने हैं, कि एक ममय पीप नारायणी जो गहई नामक नदी प्रवाहित होती है, यह भी एक महायोग, पाल उपाधिधारो धारह राजे भारतवर्गक 'समय पद्मानदोको धारा थी। वर्तमान वागट्टी के उत्तर | विभिन्न प्रदेशों से इस प्रदेशमें आये। किन्तु पएको दिक स्थ अनेक स्थानसे दो कर यहां तक कि पश्चिममें दुर्गमताके कारण रास्ते ही योगका समय व्यतीत हो भागोरथो तोरस्थ मबद्धोपसे ले कर पूर्वको और प्रतापा-| गया, तब उन राजामोंने भविष्यमे आनेवाले महायोगकी दित्य यशोर नगरमें भी उत्तर भागसे होतो हुई | प्रतीक्षा करने के लिये करतोया नदोके तीरपती कई सेनवंशीय राजाओंके समय एक विशाल नदो प्रवाहित स्थानों में पास, राज्यस्थापन एवं राजधानीका निर्माण होती थो, इस प्रदेशको अवस्था निरीक्षण करनेसे ही किया । क्योंकि बारह राजाओंने यहां राज्य स्थापन किया अच्छी तरह जाना जाता है। और तो घया-इस समप, था, इसका नाम यार+इन्द्र धारेन्द्र पहा । यहाँको भी यहांके कई एक निम्नस्थान' पद्माकी साढ़ी' के नामसे स्थानीय किम्वदन्तो इसका ही समर्थन करती है। किन्तु परिचित है। यह सिद्धान्त बिल्कुल ही अमान्त नहीं माना जा सकता। ___ करतोया नदीको जो शाखा दिनाजपुर जिलेको वारेन्द्र के कुलाचार्यों का कहना है, कि 'परिन्दा' (राज. भाव यो नदीके साथ मिली थी. यह मोर मूल करतोया शाहोके पश्चिम ) नामक स्थानमें प्रद्युम्न नामक व्यक्ति- नदी अगरेजी शासनके प्रारम्भ कालमें यर्तमान तिस्ता के मामानुमार प्रधुम्नेश्वर नामधारी हरिहरकी मूर्ति या त्रिस्रोताके तीन वेगशाली होने के कारण लुप्तप्रायः स्थापित हुई और घरेन्द्रनार द्वारा शासित देश 'यारेन्द्र' हो गई है। दिनाजपुर प्रदेश में पर्यंतसे निकल कर कई नामसे पुकारा गया है। छोटो छोटी नदियाँ मात्र यो नदो गिरती हैं। फाल ___ अङ्ग, यङ्ग, फलिङ्ग. पुण्ट चौर गौड़ आदि देश नाम: • चक्रमे ये सब नदियां रद पवं महानन्दा नौके पूर्यामि की उत्पत्तिको जड़में जैसे राजाओके नाम पर इन देशीका मुनो शाखा विलम प्रायः हो गई है। एक समय नामकरण हुआ था, वैसे ही वरेन्द्रशर के नाम पर पारेन्द्र यारेन्द्र देश आने यी, करतोया तथा महानन्दाकी देशका नामकरण हुमा होगा। जो हो, राद मौर परेन्द्र शाखा प्रशालाओं में सुशोभित था। प्राचीन विलुप्त इन दो नामोंका अत्यधिक प्रचलन पङ्गाली वीर मौर तथा बिध्यस्त जनपदोंका भग्नावशेष उन सब हिन्दू राजाओंके अमल में दिखाई देता है। नदियोंकि तात्यती स्थानों को याद दिला रहा है। इस सुप्रसिद्ध गीड़ महानगरो याद देशफे दक्षिण-पश्चिम ममय भी देवी महाम्नान मन्त्र में अन्यान्य पवित्र नदियों ओर भयस्थित है। एक समय गहा और महानन्दाने इस के साप मानेपीनार करतोयाका नाम लिया जाता है। नगरीको घेर रमा था। पेमा मालूम होता ६.कि कालके भातेपी और करतीया पे दोनों दो नदियों पहले समुह- प्रभायसे गद्दाको गति प्रति हो कर मदानन्दामा कुछ फे माध मिलती थीं 12 अंग पस्त होने के कारण इस मदानगरोंकी मार पारेन्द्र यारेन्द्र देशका नामकरण किम प्रकार हुमा, इस देशका १६ मानो दूर पर लाया गया। गोड-महानगरीके मिया वर्तमान मालदह, दिनाजपुर, राजशादी भीर • महाभारत, विगुपुरापा, सन्दपुगया मादिमें परतीया: पांडा जिले में हिन्द्र गौर वौद्ध गायोंकी काशियों माहारम्प पम्पित माद। करतोपा राम्द देखो। देवीको भना. मानायशेप विद्यमान है। मारदह जिले. शेमालापुर क स्नान-मन्त्र आयो और करतापाया नाम है। "मात्रयों भारती गला करसोपा सरस्वती " युकानग साइपके पटन इपिता • ummingluum's Are httchgical surver of smrit मोर हपटर सायके रसपुरफे विरण प्रभातमें करतोपाकी उस समपत्री भवस्या सिनी । विमापुराग्य।