पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२६४

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२२८ वाल्मीकीय-धाशन कर तार कार्य गारम्म करना पड़ा। एक दिन अपनो घाय ( स अध्य० ) यथार्थतः, दस्तुनः : पति परिचालन करने के समय कई ऋपियोंसे मेरा! याघदक (सं० वि०) पुनः पुनरतिशयेन मा गति- साक्षात् हमा, उन पर मैंने माफमण किया। इस पर : यह लुगात वायद धातु (उलू कादयश्च । उपा: ४.४१) इति उन लोगोंने मुझसे पूछा, कि तुम इस निकायों अब ऊसर्वस्वेतु ( • नजपदशामिति । पा ३.२१६६ ) ka लम्पन लिपे हो। इस पर मैंने उत्तर दिया, कि अपने परि- बहुलघवनादन्यतोऽपि अक। १ मतिशय यमनमोर पारके पालन-पोषण के लिये ! यह सुन कर उन्होंने कहा, यामी। पर्याप-यानायुनिगटु, पाग्मो, यता, गना, fr तुम पहले अपने घर जा कर पृछ भागो, कि ये तुम्हारे । सुयस प्रयाम् । (जटाधर ) जो शाशाम समय इस पाप मागी होंगे या नहीं। पीछे हम लोगों के पाम तथा गतिशय युक्तियुक्त यचन बोल सकते है, उगई . जो कुछ है, उसको तुम्हें दे जायेंगे । यदि तुमको विश्वास यायदूक कहते है। २६हुत पोलनेवाला। महो तो तुम हम लोगों को इस पृक्षमें बांध कर जायो। बायकत्व ( स० को०) पायदूकस्य भाया त्या पाय- प्रपेयापको सुन कर में घर गया और अपने परियार-दुकका भाव या धर्म, यागिता। पालो से पूछा, कि मेरे किये पापोंका भागीदार तुम लोग घायदूषय (सपु०) यापदूकसा गोवारस्य (सर्या दियो ।' हो सकते हो या नहीं। परिवार लोगोंने कहा "नहीं"। एय। पा ४१२१५१) इति ण्य । पायदुरका गोलापस्य । इससे मैं यहुत डर गया गार दीक्षा ऋपियों के पास यायय ( स० पु.) तुलसीविशेष । आया। मैंने उन लोगोंसे बड़ो गर्ज मिग्नते को', कि 'बारसे ( स० स्त्री० ) ययुरपक्ष, पयूलका पेट। .. . भाप लोग मुझे इस पापपसे निकाले । आप लोग यायदि (स' त्रि०) अत्यर्थ यहति या, यर । '. ऐसा फोई पथ पतलाये, कि में इस पापसे निवृत्त । यायद धातु म । अत्यन्त यइनकारों, देवतामी होऊ। उन्होंने बहुत सोच विचार कर मुझे 'राम' , तृप्तिके लिये यहुत ले जानेयाला । "सप्तपश्यति वाहि" नाम जप करनेका उपदेश दिया। इस पर मैंने कहा कि (भूक ६) 'यायहि देवानां तृप्तरत्यम्म योद्धा' (सापक) . ऐसा कर मैं क्षम। फिर उन्होंने विचार कर पायात ( स० वि०) यर्थ याति या यह टुक-याया. एक प्रेसको दिनला कर कहा, कि देखो इस वृक्षको धातुक्त । पुनः पुनः अभिगमनकारी। . पया करते है, तब मैंने कहा कि इसको 'मरा' करते पायातु ( स० लि ) याया त। स ममनोप, बगनीय। है। भच्छा तो तुम इमी वृक्षका नाम 'मरा - (भूक ८१८) तर तक जपते रहो, जब तक हम लोग पुना नयापुर (म.पु.) हिल, नाय, येड़ा। जाये। मैंने ऐसा ही किया। यहुत दिनों तक यावृत्त (म०नि०)पा-गृत क । कृतवरण, जिसका परण'. ऐसा करते रहने पर यह नाम मेरी जवान पर जम गया। किया गया हो। (अमर) स तरह सहमा युग तक पद नाम जपते रहने पर मेरे बाघेला (१० पु.) १ विलाप, रोना पोटगा। शोरगुल, जारीपर परमीक सम गया। ऐस समय प्रापयाना हलाभिलाटा मुझको पुकारा। पुकार सुनते ही मैं उठा गौर उनक, पाश (स० वि०) १ नियेदिन । २ पन्दनगोल, पहुन रोने साप पहुँचा। उन्होंने कहा, कि जब तुम्हारा बलोकम याला । (पु०) ३यासक, भटुसा । बासम येसो । ४ एक . भीतर फिर जन्म हुमा, तुम्हारा नाम वाल्मीकिमा। सामका नाम। अब तुम ग्रामपि म गिने जागोगे।" प.मोपीय (स• सि.) याल्मोति गहादिस्यात् छ। यात्र. (स'० लि.) १ निनावकारी, मियाला यामोनि-सम्यन्धीय।२ याल्मीरिकी बनाई। martin यातिको RT २ मादनशील, रोपाला। (पु०)३ यासा, मसा। पोभ्यर (सफ्लो०) सोमेद। पाग ( f.) १ नायफारी, चिसागपाल।। - MAR ( 0) पतमध्यप् । यस्लमता, प्यार चहामेयाला ३ मिन मिनानपाला (e) पक्षियो का बोलना। ५मरिक्षयोका निभिनागा। करनेका भाप या धर्म।