पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२७२

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२४० वास्त राता और सेनापति गृहा जो याम उममें 00 मिस यान्तुफे शालाकुक्ष्य भारो मोर मो. शोह का गागाभागफल जो होगा प्रधान ; न्द प्रदक्षिण भायमें निम्न गाग ना गाने 1 m'. द्वारका विस्तार उतना हो जानना होगा। विस्तारको ' गन्यायर्स गामक यान्तु कहते हैं। इसके परिणामोर अंगों में भाप र तिना गलो होगो ने ही उसे द्वार नहीं रहेगा, किन्तु दुसरी गोर द्वार गगा। जिन . गादा करना होगा। बार पिस्तारका मापा हो तारका यास्तुके. मलिन्य प्रदक्षिणभाप वा निम्न माग ता . Arm-मान कहा गया। जाने हैं यह शुभदायक है, इसके मिया मोर ममी मा प्राणानिनि जातियों में गृहप्पाम. पञ्चमाशमे हैं। इस यातुका नाम पगार है। रममें दक्षिण में । गठाग उगलो जोर से जो होगा यह उनके द्वार हार नहीं रहता। जिसके पश्निा ओर एक और पूर्व सर का परिमाण है। द्वारगरिमाणका भएमांग द्वारका दो मलिन्द शेष तक रहते है सपा शिमफे दो मोरपं विकास और विनमे दुने धारको ऊनाई होनी अन्लिन्द उरियत और शेष सीमा वियत रहती है, उस . मादिए । 'स्पस्तिक' नामक यास्तु कहते हैं। इसमें पूर्व मा. उध्याय मिनना हाय अचा होगा, उतनी ही उगी। यह नहीं है। उR नौडाई होगी। घरको दोनों दो नापाएं इसी। जिसके पूर्व और पश्चिमफे बलिन्द मानगा होने प्रकार होंगी तथा मामा परिमाणसे है गुना उदुम्यर है, तथा बाकी दो पूर्य पार पश्चिमारिन्दना का परिमाण होगा। जिसका जितना ताप उछाय होगा। जाने । उमे 'गवा' नामक यास्तु. कदा है। इसमें उमको १० गुना कर ८०में भाग देने पर भागशेष उत्ता द्वार प्रसार, पिन्तु भन्यान्य ममी बार शुमा शो होगा या इमफे मूलकी नीला। रायमे नी : हाने हैं। स्वस्तिक और रचा मध्याद तथा मानिस गुने और स्मो हाथों उमर दनांगको घटागसे जो. यास्तु राजा के लिये ही शुभप्रद है। जिसके गर भोर बचेगा यही स्लाम सप्र मागका परिमाण है। शलासा नहीं रहती यह दिग्णयाम, निमालानिनिए होने , मम्मका मा भाग होने पर उसे सचा, मठमोना, मे 'धन्य' भौर पूर्य को मार माला नहीं रहने पर जोग पस, मोलकोमा होने पर टियस, यस्तोम कोमा 'मुदौत्र' नामक गातु कहलाता है। पेमय गागु गम होने पर प्रतीगर गौर ग गुम होने पर उसे वृत्तः फलमद सिमफे दक्षिणशाला नहीं रदतो उसे 'युती. ' का है। ये गांचा प्रसारफे तमा शुगफलप्रद शिक्षा• फ.' कांगे है। यह वास्तु धनानापश्मिनः शालादीन यास्तुको मन कहते हैं। इसमे पुरमा ___ मतम परिमाण हा भाग से मागफल जो मा मौर पर होता है। जिसके पधिगम और सिनमें होगा उमा नाम पान। उनसे मपं निम्नमा नयम शाला होती है उसका नाम 'सिसा है। पश्गिम गौर गागको गहम, अट मागको घट, मम गाय! उरारमै माला र उमसो मम्या: उ. मार पूरी भागको गेष्ठ और पशम भागो भातुन पाने है। माला रहममें दमः' गापू पारदशिम . थे पाम एकमरे परगे। गमागका नाम से उमको 'पास' याम करगे हैं। 'तुला, ममोपमाका नाम उपमा, हिना माग पूर्व और पश्चिमी और मालागिशिष्ट पाया 'य. भARE HIRET मा शशिन्दा मन नगनी' गवा दक्षिण भर मा प्रामाशिष्ट जानु ममम मम होमोगा। काय बनाता । मिया'. पास्तुमे माति, . ____शिम याम्मु गाणे गोरमा प्रकार को पहना 'गमन गृहमामीको गुदा गाम्मे , राना है उसे 'सतम:' मामा यातुन मी यप, 'ग्राम' यागुमे करदाग, चुलीको विकास PAR TRI साधिन र दयनामावलिपे मार कानमाम्मे सनि विरोध होता।। - - TAIMER प्रमो थाम्नुमा म बात लिai NET