पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३१०

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विकन्धिका-विक्टप्राप विषय विविध प्रणालियों के विषय पर उपदेश दिया है।। यौफे लिपे या इमोको लकलो बनाने का विधान है। मुत विनोत्तरीका पिगार करने पर एकमाव परासका पान लघु, दीपन मीर पाक सपा कम भार । मरदिनाका मालम्बन कर विचार करनेमे उत्तम रूपमे प्लीहाका नाशक माना गया है। . . . विचार किया जा सकता। मष्टोतरी महादगाकी विमा (स.सी.) मतिषला। विचारप्रणाली यिनोत्तरोफे ममाग नहीं, पूर्णरूपसे विनोमुखी ( स० वि०) एटकयुक मुबंधिनिए, . विभिन्न है। कुछ लोग एक नियममे दोनोदशाभोंक मिसके मुंह पर कांटे होते हैं। पितार करते है। किन्तु इस फल का तारतम्प दियाई रिफर (म. पु०) विगतः कचौ यस्य सम्पत्यान.. देना। ऐमी दशा समझना होगा,कि विचारप्रणालो. या विशिष्टः, फची पस्य प्रभूतफेशत्यात् । १ क्षण २ पेतु. ध्याना। ३ फेतुप्रह। इनकी म फिर जो ग्रहदुस्थानगत है अर्थात् पष्ठ, अष्टम गरिहाद- ३५५ पेपरस्पतिके पुत्र माने जाते हैं। इसमें शिक्षा सत्य है; ये दोनों शाममि अशुभ फलमद होते है । यिशप नहीं होती। यर्ण सफेद तामीर माया दक्षिण मायसे विवेचना कर दशा विचार करना चाहिये । ना . दिशाम उदय होते है। इनके उदपका फल गशुम माना तो प्रतिपद पर फलका भ्रम हो सकता है। यिशातरा जाता है। (नि०) विकरति पिकगतीति विहग .. बमा विचार करने पर परागरमदिताको अच्छी तरहसे ! अच्छा तरइस अच् । ४ विकसित, तिला मा पिगतः कयौ यस्य । . पर लेगा चाहिये, उसीके तात्पर्यफे अनुसार पिचार तममाला करना उचित है। दमा पर विचार करते समय महायिकथा (स' स्रो०) महायागणिका, गोरखमुण्डौ। दशा मानना और प्रत्यन्तशा इन तीनों को सामने सिचालावास खो०) दुर्गा। रानफे सम्बधर्म अयस्थान मोर आधिपरय देषयिकच्छ (सरसो) विगतः कमो यस्य । कप्तादिल. हात फल निर्णय करना उचित है । परारपिशोत्तरीदिन का। विकास हो कर भीत् पिना का शादी एकमात फलप्रदा है, किन्तु यह भी कहना ठोक' लगापे कोई भी धर्म कामही करगा चाहिये। fig महोगा कि महोत्तरी दशा का फल ठीक नहीं होता। पराशरसा देखो। मूत्रत्यागरे, समय यिका हानाही कमी नहींनी पिपरिया (सी ) मेकका वियत सदा । काछवादिनी या बाई मोरसे पेशाब करनेसे गद पणा.. विक (स .) सामृता गोभीर, तरको प्या' प्राम देयता या पितमुराम पतिम होता है। गोहान। २लिसके दोनों ओर सराया काडार हो, सि. मिर (सं० पु. ) गोशुर, गोसा। । के किनारे पर दलदल या गीली जमीगगो । .. विदुटिक (स० वि०) विकट सम्पम्योप। ।पिकच्या (स० वि० ) कपमाना। पिपम (सं० पु०) पदरी सहा मझा फनका पक्ष, (कपास ) पप्रकारका गलो पेड़। इसे घटा, रिषिणी भौर । विकर (स० पु.) पिरति पूररकारिक मोतिदि. ..

  • मो करते हैं । सरत-पायादुएट कट पचाप । एपिम्फोटक । (ARI २ मा .

न पापक्ष, पिल, ध्यानपान्, ५ गयाग, मधुपणी, क.एट- मण्डपक्ष । (रानि० ) समसा । (दायि) पाय, परफल, गोपएएटा, गाद ग, गुदपाल, ता. ४ तरादो पर पुष का नाम । ( मारत RESTR- . पसोय प्रताप पिलधार, द्विमर, पूल, लिमिो , पैक (संदरन कटा। पा२।२६) निकटम । (fat)५ . जन, पनिर, कएट कारो, विद्विरो, ख गदार । प्रारपिनाल६ पिस, गर । पा रहा। कठिन .... इस एपरा छोटे और मौर सानियोग कटिहोमे मुशिमा दुर्गम । १० स्राप । ११ , । म फार वेरक गाहारपे, ता पाने पर मोठे । हो. मग गोदाम नरमीटहाग है। गिरमा (म.पु.) मगरमा - " .