पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

विक्रम-विक्रमपुर २७५ विक्रम (स.पु०) विक्रम-धम् । १ शौर्यातिशय, पुत्र। अनेक ताम्रशासनों और शिलालिपियोंसे तथा शौर्य या शक्तिकी अधिकता। पर्याय-भतिशक्तिता | 'विक्रमचोटन उला' नामक तानिल प्रन्यसे इन चोल राज- शौर्य, घोरत्य, पराक्रम, सामध्यं, शक्ति, साहस । विशेषण का परिचय मिलता है। शेपोक्त अन्धमें लिखा है, कि झामतोनि वि-मम अव । २ विष्णु। ३ कान्तिमाल । इन्होंने चेर, पाण्य, मालय, सिंहल और कोहणपतिको ४ पादविक्षेप । (रामा० ११० ) ५ विक्रमादित्य परास्त किया था। पल्लवराज तोण्डमान, शेञ्जिपति राजा । विक्रमादित्य देखो। ६ चरण, पैर। शक्ति, काड्यन्, नुम्बवाडीके अधिपति पल्लभ, अनन्तपाल, ताकत । ८ स्थिति। विक्रमास्थितिः प्रतिसक्रमा महा वत्सराज, वाणराज, त्रिगर्तराज, चेदिपति गौर कलिङ्ग- प्रलया। (स्वामी) ६ प्रभवादि साठ संवत्समिसे चौद पनि इनके महासमान्त गिने जाते थे। इनके प्रधान 'हयां सघरसर । इस वर्ष में सभी प्रकारके शस्य उत्पन्न मन्त्रीका नाम था कपणन् या कृष्ण! विक्रमचोलने होते हैं और पृथ्यो उपद्रवशून्य होती है। किन्तु लवण, १९१२ से ११२७ १० तक चोलराज्यका शासन किया। मधु और गव्यद्रव्य महगा विकता है। १० स्वनामख्यात | माप शैव थे। कविविशेष। इन्होंने नेमिदूत नामक एक खण्डकाव्य २एक दूसरे चोल राजा। पे विक्रमचन्द्र नामस लिखा है । ११ वत्सप्रपुन (मार्कपडेयपु० ११५१६) १२ / भी परिचित थे। इनके पिताका नाम राजपरेण्ड का। पक्षिको गति । १३ चलन, दंग। १४ आक्रमण, चढ़ाई। माप १०५० शकमें कोनमण्डलका शासन करते थे। (त्रि०) १५ श्रेष्ठ, उत्तम। ३ पूर्वनालुफ्यवंशीय एक राजा। विक्रम-१ कामरूपमें प्रवाहित एक नदी । (भ०ब्रमख० १६६३), विममण ( स० क्लो०) विक्रम ल्युट्। विक्षेप, कदम '२ आसामफे भरतर्गत एक प्राचीन प्राम। (१६६४०)। रखना। ३ पूर्व यङ्गका एक प्राचीन प्राम । (१५।५३) ४ कुशद्वीप- विकमतुङ्ग ( स पु०) पाटलीपुत्रके एक राजा। के अन्तर्गत एक पर्वत । (शिनपु० ५३७) (कथासरित् ) विक्रमक (० पु.) कात्तिफेरफे एक गणका नाम । विक्रमदेव (सं० पु०) चन्द्रगुप्तका दूसरा नाम । विक्रमफेशरी (२० पु.) १ पाटलिपुत्र के एक राता| २ | विक्रमपट्टन (सं० लो० ) "विक्रमस्य पट्टन । उजयिनी चएडोमङ्गलयर्णित उर्जायनोके एक राजा । ३ मृङ्गाक- नगरो । 'दत्तराजके मन्लो। (कथासरित) विक्रमपति (सं० पु.) विक्रमादित्य। विकमकेशरोरस (i० पु०) ज्यराधिकारोक्त मोपविशेष । विक्रमपाण्य-पाण्ड्यवंशीय एक राजा। मदुराम प्रस्तुत-प्रणाली-~जारित ताम्र १ तोला, रौप्य २ तोला, | इनकी राजधानो थो। योरपाण्डय के मारे जाने पर फजलो २ तोला और कोठषिष १ तोला, इनमेंसे पहले | कुलोत्तुङ्ग चोलको सहायतासे आप मदुराके सिंहासन तानं और रोप्यको मच्छी तरह मईम कर एकत्र मिलाये। पर बैठे थे। यह १२खों सीके मध्यमागकी घटना है। पोछे उसमें कजली और विष मिला कर नीयूके मूलको विक्रमपुर (सं० लो०) विक्रमस्य पुरं । यिफमपुरी, छाल के रससे २१ बार भाषना दे और बादमें १ रत्तोकी उजयिनी। . गोली बनाये। इसका सेवन करनेसे सभी प्रकारके | यिफमपुर-बगाल-ढाकाफे जिलेका एक बड़ा परगना । ज्यर नए होते है। : . दाकानगरसे १२ मोल देक्षिणसे यह परगना शुरू हुआ विफमचरित ( स० लो० ) विक्रमादित्यका चरितविषयक है। इसके पूर्व इच्छामती और मेघना नदी. इसके पश्चिम 'प्रन्धमेद। पुढीगङ्गा, उत्तर जलालपुर परगनी तथा इसके दक्षिण विक्रमाद-कुमायू'फे एक राजा, परिचादफे पुन्न। ये कीर्तिनाशा नदी प्रयाहित हो रही है। -दाका जिले में यह प्रायः १४२३६० विद्यमान थे। परगना पड़ा ही उपशाम और शस्यशाली है।" यहाँ विक्रमचोल-पक महापराममो घोल राज्ञा, रामरामदेयके' मधिक परिमाणमें धान, मन, कपाम, पान, सुपारा ।