पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३३९

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5 विक्रय-विक्रियोपमा २६. तो एक व्यक्तिको 'मी स्थाघरसम्पत्ति येचनेका मधि-1 विमान्त (सं० लो०) वि-मत। १ चैकान्त मणि। (राजनि०) २ त्रिविक्रमावतार विष्णुके दितीय पादक्षेप इस सम्बन्धका विस्तृत विनार आलोचना और द्वारा अन्तरीक्ष भाक्रमण | ३ सिह. शेर । ४ हिरण्याक्षके मीमांसा दायभाग तथा मिताक्षराम .लिखा जा चुका है। एक पुत्रका नाम । ( हरिवश ३३८) ५ पुराणानुमार इमलिये बद मानेके मयसे यहां पर, उनका उल्लेख नहीं | कुवलयाश्या का नाम जिमका जन्म महालमा किरा गया। .. . गर्भसे हुआ था। (मारडेयपु० २५.८) ६ व्याकरणमें '. शास्त्रम वर्णमेदसे द्रव्यविशेषका विक्रय निषिद्ध यताय | एक प्रकारको संधि जिसमें पिसर्ग अधिकृत हो रहता गया है । मद्यमांस ये बनेसे शूद्र उसी समय पतित समझा है। एक प्रजापतिका नाम । ८ चलनेका ढंगा। जायेगा, यही स्मृतिका मत है । कालिकापुराणमें लिया साहस, हिम्मत । १० एक प्रकारका मादक पेय पदार्थ है, कि शूद्रको मधु, चर्म, सुरा, लाक्षा और मांसको छोड (त्रि०) ११ विक्रमशाली, तेजसो, प्रतापी । १२ जिसकी और सभी प्रकारको यस्तु येवनेका अधिकार है। क्रान्ति नष्ट हो गई हो। . . मनुने कहा है, कि ब्राह्मण लोह, लाक्षा और लवण ये विक्रान्ता (सं० स्त्री) विक्रान्त-टाप् । १ वत्सादनी लता, तोन वस्तु येवोसे तुरत पतित होता है। क्षोर अर्थात् गुह च, गिलोय। २ अग्निमयक्ष, मरणो। ३ जगाती। दूध येवसे तीन दिनके भीतर ही ब्राह्मणको शूदमे ४ मूपिकपर्णिका। ५ वराहकान्ता। ६ आदित्यभक्ता, गिनती की जायेगी। अड़हुल । ७ अपराजिता। ८ रक्त लजालुका, लाल • यमके घनमें लिखा है, कि जो गाय येचता है उसे लजालू । मादी लता। गायके शरीरमे जितने रोये हैं उतने ही हजार वर्ष गारमें विकान्ति (स स्त्री०) वि.कम.क्तिन्। १श्वको एक धमि है। कर रहना पड़ता है।। गति, घोड़े को सरपट चाल । पर्याय-पुलायित । २ मनुने ग्यारहों अध्यायमें कहा है कि भात्मविक्रय पादविक्षेप, कंदग उठाना। ३ गति, चाल । '४ विकम, तथा तडाग, उचान, उपवन, खो भीर अपटय यादि । यनं। ५ पोरता, भरता, बहादुरी। विक्रय-कार्य उपपातकमे गणनीय है। | विकायक (सपु०) विकोणातीति विफ्री-प्युल। विफरक (सं० पु०) विक्रो-ज्वुल । विकता, येवने विकता, येचनेवाला। घालो। विकिया (९० स्रो०) विकरणमिति वि-कृ (काशम् । विकरण (सं० लो०) विमो ल्युट् । यिझर, विक्रो।. पा'।३।१००) इति श राप । १ विकार, प्रकृति का अन्यथा. विकापन्न ( सं० पी०) विफयस्य पत्न । विकका पत्र. भाव! विरुद्ध होनेवाली किया । माहित्यदर्पणमें लिखा यह पत्र जिसमें यह लिया हो. कि अमुक पदार्थ अमुक है कि नायकनायिकों के निर्यिकार चित्त नायिका या व्यक्ति के नाम इतने मूल्य पर पेवा गया। मायकको देख जो प्रथम अनुराग उत्पन्न होता है उसे विक्रयिक (सं० पु० विपारेण जायतोति विकर ( पस्त्र- विक्रिया कहते है। - - . शिप-विक्रयात दन। पा ४.१३) इति उन्, यद्वा वि-को किमी क्रियाविरुद्ध होनेवाली किया। । (क्रीप-इकन । उण ४) इति इकन् । विक्रेता, येचने- विक्रियोपमा (स.. स्रो०) उपमालङ्कारमेद । इसका पाला। लक्षण-जवां उपमानफे विकार द्वारा साम्य अर्थात् विक्रयो (सं०नि०) फ्रिोणातीति यि को णिनि । विक्रय | तुलना होती है. मर्यात् 'जहां प्रशति घिति द्वारा कता, येचनेवाला। (पाश ल्यपम्र० २१७३) - समना होती है या उपमेपको उपमान विकत होता है विक्रन (२० पु०) (पौरसेः । 'उण २०१५) कस गती यापुग्दै यहीं पर यिकियोपमा होगी। रगुत्यं चोरधारा, वर्णपिशेके पुनयाधायां पहुन पच उदाहरण-है तम्यति! तुम्हारा गह यदन चन्द्रः मात् रेफादेशः । यादमा । ( उमा) विम्यसे उटकोणं तया पागो उद्धनको तरद हैं।