पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३४०

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२६२ विको-यिकोयासम्प्रदान यहां पर उपनाममून मन्द्रारिम्य गौर पन्नगर्भ ये दो प्रतिया, • पण्यकालको अपेक्षा पण्यदायकाल में यदि ६. इसमे उस्को घार उधत होने कारण यदनको मूला पर पामारमे विक । परन्तु आपकाली मरेगा उस यिनि दुई। मो प्रकार प्रतिको समता होनेसे | समय पर पार पण्य कम दाम में विकता हो, तो ममार पिक्रियोपमा मलद्वार हुमा है। इस तरह मातको विकृति मूल्य हिसाबसे पप्य लोटा कर उसके साप ' द्वारा ममता दोगी यहां यह मलद्वार होगा। फ्रयकालिक यदित मूल्य माफी देना पडेगा। पिको (R ) १ रनेको फिया या भाय, विक्रय ।। यदि उस समय पण्यमूलप समानभाव भी है. हमी २यह घन सोयेचने पर मिले। सरोदवारको कुछ सूद लगा कर देना होगा। यहां पिमोह (स.पु.) विविध प्रोला। शास्त्र-व्यवस्था। शिमगासम्पदान (मलो ) विक्रीय म सम्प्रदान । पाशयन्फ्यने कहा है, कि मोसा या परोदर देना क्षेसं पत्र। मष्टादश विवादोमसे एक। इस विवाद तरमै आ कर यदि माल सरोदे, पर पिके ताने माग पा व्यवदारक सम्बन्ध पौमित्रोदयमे इस प्रकार मांगने पर मो न मिले, तो रोवारको देशांतरकार लिना है-नाद कहते हैं, कि मूल्य ले कर कोई यस्तु यह माल येचनेमें जो लाग होता, उसी लागला . परोदो गई, पर घरीदारको यह नदी गई, इसीका से विकता फ्रेताको मार लौटा ने लिये पाय है। मागायक्रियासम्प्रदान है मीर यदी विवादपद कहलाता धर्मशास्त्रकार विष्णुने ऐसी दालतमे विकताको दएर देनको व्यवस्था दी है। उसके गत राजा प्रधानतः पप्पदव्य दो प्रकारका है, स्पायर दौर चाहिये, किमिकतासे सूद समेग पासूस पर फ्रेमा ।' जनम। इन दो प्रकारके पपपकी क्रय-विक्रय विधि६ को देयेस मलाया उस एफ मी पण दर मी १२' प्रकार की है। यथा--गणित. तुलिममेय, मियान्वित, वियोता सम्पन्ध जो व्यगया हो गई है उमे मनुः झपमान मोर धीयुक। पण्य-क यिमयफे व्यापार मापदोन तृप्तिसम्पन्न गिमाता पिपपने ही शामगा होगा। गये . प्रकारको यिधियां निर्दिए हैं। इनामे जो निम्त दायिफेना गाना माल पेच कर मी ममग नु .. गिन कर परोदा जाना , उसका नाम गणित है अर्थात् तापयतः यह माल केताको नभौर जो मला मार समारोग्य, पणा कमुक फलादि । सगजू पर जो गरीदने के बाद अनुतप्त हो कर उसे गले. गो मी, पतन किया जाता है, उसे तुलिम करने है, यथा--देम.! दालतगे माता यिन सा दोनोको दो प्रपम्मका l मापनादि। मेय अर्थात् माप लेने योग्य, गणा भाग नुकमान सदगा होगा। किन्तु केमा पिताके पयादि। सम्पन्न अर्थात् अपयुक्त. यातुः गणा- मय ऐमा अनुताप गदिदा दिन दाय, Ation १७मा प्रभृति । प्रोयुक्तामर्थ यीतिमान है- मूल्याशियां माग फिसीको भी नही देना पड़ेगा। पारागादि। . . यह पण्य या माल दाहग या पाहणयोग्य, atist यिनाने का मन्य लिया, कनाने पर उक्त व्ययाम न ला सापेगी। पैमी धाम मांगा, गर विकसाने गदिया ऐमो हाल यदि दश दिन मर भनुसार उपस्थित नेमे या माग पाrauage. विक्रमाको 'उसको क्षति पूरा नुकमान मा करना पपा गुम पाता करगी दगी भर्यान् गिमाप करलेबाद उस यनुका पापेगा। दश दिन बाद मनुतारमा अनुपम ।। पदि उगमोग कियाam, सो उसकी शंकर गो । पो उस माप हप या मूरप यापम पाम देगी। फिर यदि घर जहम फिमक : नही है। . . . मायताको पप देना होगा। क्रियामा ni. - विकमा निरमे माह र कर प्रताप सहमादि मामन गाहिये। :.. प्राण न करे और परमास गुममाम हो , किन्तु इस परको mt and मामा, मरिये. मामा दोष मारित होगा उगाको पर शत ना ..