पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३४१

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. विट-वितत. २६३ पड़ेगी। जहां के ताने माल खरीद कर विक्रेतासे मांगा , फोड़ा, नाना प्रकारके खेल। (निका विविध कोढ़ायुक्त नहीं और यिमताने भी नहीं दिया इधर चोरोंके उपद्रवसे | जिसमें तरह तरह के खेल हो। माल नष्ट हो गया, तो क्रेता और विकता दोनों होको विकत (स.नि० ) वि क क । कृतविक्रय, जो घेच समान हानि होगी। यही देवलमट्टका मत है। दिया गया हो। . नारद का कहना है, कि दृष्य खरीदने के बाद फ्रेताको विक्रतव्य ( सं०नि० ) विक्रो-तथ्य । विक्रयाद, येचने अनुसाप हुआ, कताफे देने पर भी उसने नहीं लिया। | योग्य । ऐमी हालत में विकता यदि यह द्रव्य दूसरेके हाय वेचविशय (सं० त्रि०) विक्रोगते इति विका (भचो यत् । हाले, तो उसका कोई अपराध न होगा। पा ११९७ ) इति यत्। विक्रययोग्र दृश्य, विकोपाला । ___ जो यिकता पहले कताको निर्दोप घस्त दिखा कर | पर्याय-पाणितथ्य, पण्य । पोछे चालाकीसे उसके हाथ दोपयुक्त वस्तु विक्रय करे विक्रेता (स.पु०) विक्रीतृ देखो। और जी विक्रेता एकफे हाथ माल घेच कर पीछे उसके | विकोश (स'० पु०) विश धम् । विकृत शब्द । अनुताप उपस्थित नहीं होने पर भी दूसरे के हाथ पेच विकोशयित ( स० वि०) यिश तृच । विकोश- हाले, तो दोनों ही हालतोंमें विकता हो अपराधी है। कारक। इस अपराध दण्डस्वरूप पिता नेताको दूना मूल्य | विकोष्ट ( स० वि० | विकोष्ट्र ( स० वि० ) विक्रश-तृव । विक्रोशकारी। देवें, साथ साथ विनय भी दिखाये। विकोव (स० वि०) विधावते इति यि-क-पचायच् । . ऊपर जो नारदात व्यवस्था कही गई, वृहस्पति, । १ विहल, बेचैन । २ विवश । ३ चञ्चल। ४ उद्भ्रान्त । याशयत्यय आदि धर्मशास्त्रकारगण भी उस व्यवस्थाको | ५ कातर । ६ भीय, भीत। ७ उपहन । ८ अवधारणा समर्थन कर गये हैं। समर्थ । कर्तव्याकर्तव्यनिर्णयमें असमर्थ । १० फिकर्तव्य- इसके अलाया गृहस्पतिने कहा है, कि विकता यदि विमूढ़ । ११ व्याकुलता । १२ जड़ता। १३ उदासीनता । मत्त, उन्मत्त, भीत, मस्यायोन या मा अयस्थामे अधिक १४ भ्रान्ति। मूल्यका द्रध्य कम मूल्यों दे साले तो फेताको घर लौटा | विक्लयता (स' स्रो० ) विक्लवस्य भावः तल-टाप । विल देना उचित है। पत्य. येचैनो। • फेता 'माल बरोदूंगा' ऐसा कह कर चला गया, | मिक्लायित (सं० नि०) विक्लव युक्त, येचैन । विकित्ति ( सं० खो०) यिहिद-क्तिच। १ मनादिका उसका मूल्प नहीं दिया और न पोछे समय पर खरोदने । पाक । २ द्रवोभाय । ३ आदता। के लिपे माया तो विकता कताको वह माल दे या न विशिम (सं० वि० ) विलिद-क। १जरा द्वारा जोर्ण, द, उसकी खुशी है, उसे कोई दाप न होगा! जहाँ मता। जो पुराना हो जानेके कारण सद या गल गया हो। पो पात करके विफताके हाथ कुछ मूल्य दे चला गया; किन्तु निkिट समयके मध्य यह लंने नहीं' गोर्ण, पुराना । ३ मा, गीला । (मेदिनी) विमिन्दु (सं० पु.) विशेष दुः। साया तो विकता - उस मालको दूसरेके हाथ पेच उसे माला दूसरक दाथ पंच चिलिए (सं० लि. ) विशेष रूपसे फ्रान्त, बहुन थका सकता है। विकट (सं० नि०) वि क शक्तः । निष्ठुर, निर्दय, विषलेद ( सं० १०) विहिद धम् । १ आता, गोला. पन । २ नासारोग, नाकको एक पीमारी। विकत (महि०) विकणानि यि क-तृच । पार्याययः । विशम (सं० पु०) विशेष सहेज, भारी तकलीफ । कर्ता, बेचनेवाला । पर्याय-विमयिक, विक्रपी, पिका- विक्षन (सं० वि०) पि-क्षणका विशेष रूपमै क्षत, पुरी यक। | तरह घायल। २ माघानमात, जिमें चोट लगी हो। यिक हित (स' हो० ) विमोह माये त । २विविध । ३ खण्डिन, नई मंद किया दुभा) . ___Vol. Xxt. हुआ। निठुर।.