पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३४४

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वितय -रिलिप्तता शिवाय पु.) यक गनुमार पर प्रकारका रोगा। परित्याग कर सुपालाधनोभूत सजनपिन गालो सोधिय-पाम मे होता है। जनक. पनपूमादि सरकारी अनुग्न दोना । र शिक्षा में पु.) विशेपमा क्षरण । अयम्था अनसाधारण नितमें उतरा नहीं होती, विभाग ( म ०) विशेष शमता। यना आदिके चित्तम उपर होतो है। समूह विरार ( म० पु.) यिनिष्ट लक्ष्यवेध । (शिरोपमा अयस्ता शिक्षित गरमा धे, जो भारतमोगुण १३५११० हो चित्तमें गिशेष उपस्थित करना है। मगर निस विधाय10 पु.) विभामिनि यि.श. ( गोषमा मायारे सरयगुणफे प्रबल होने से विद्यापिएर पा ११.) इति प्रन्। सद, मायालकास, महो जाना। रतो भीर तमोगुण सस्यगुणोपरा niमी। भूत हो अयस्थान करता है। विक्षिण {R वि० पिगिय पापध्यमकारोग्नि चित्त रगोगुण द्वारा अभिभूत दो गाना प्रभारी मादि। (गुबर: १६६) माहिसे याद हो कर उमोफे मामार कार्य करता है। यिनन् । म वि०) नियासी, यमनेवाला। गायियगनः यदि किमीफे वित्तमें मस्यगुण का उपय विक्षिा (म० लि. ) पिक्षिय त । १रपना, जिसका हो, तो उसे लेगमाव गो दुःष नही रहता। मो स्याग किया गया हो। कम्पिन, कगामा। प्रेरित विक्षिप्तावस्था मी पागको उपयोगी गद्दी है। योग । भेलामा४ फैफा या छितरापासा । ५णाकुल्य, माध्यमे लिया है- पपरापागा ६ मिमका दिमाग ठिकाने म हो, पागल शिक्षिप्त पसि विक्षोपरानीभूतः समाधिनयोगायोगी।' (0) निततिविशेष । पातलदर्शनमें लिया पोगमा ) किनिमिका निरोध करमे योग होता। गा! इसमें मशगुणकी कुछ प्रयनना रहने पर भी विसति पनि प्रभारी है, शिल, मूह, विशिम, प रसम्रामोजन्य वितयिाप एकदा तिरोहिन नही होता, Hit निमझाया । यह निकायस्था ममाधि लिये। गतपय इस भरधाम भी योग नहीं होगा। उपयोगः गन् पा पार गिरायमदो गोगा इस यिषपमें भाष्यकारने कहा किनिस लिगु.. होता, मिन, मुठ मार यिसिमायस्था ममाधि नहीं। जात्मक है. रजोगुणफे समुद्रक पा अधिकता कारण होती। उम सब विषयों में परिचालित मितको अत्यन्त अधिरा. रजोगुणका उनेर होकर शितो जो नचन्दायस्था या ना तय शित्तका नाम शिा है। तमोगुती । होती हैं. का नाम शिलाया है। इमो पित्त क्षण ममुहकानित निद्रायशा या सदयमा गितामा मान मा सिगर नदी ६ माना, एक पिसे मी कहते है। शित मोर मूर मा योगको हिलो fmail गणता रहता है। इस समय गित या प्रकारको सम्मापना महो। शत मायामे पूछ विप मामह र सुननादिका मांग करता है। विशेषयुग गितका गाम विशित है। पिशित मिती रयोगुणो न नापिनी प्ररण करता है। कदानि मिसा नि कारण उम ममापि in दयानादिमिकी दीक्षिा दोनो ! निरोध हो मरना है महो, पर पर यूमिनिय समोगुण प्रदेशमें पयाग महीनादिका परिपाया था मिजार, महीं होगा। मदर Katarinmayाय. गगोमून दो qिuariदि पिशिताया योग महोदोता। पास देगी। परमा नाम मुहमद पक्ष्या पशिना (2) पद गुमरो मोजमापा या गाड़ा ART FAIR शिम यहोता है। गया हो, नमित यो हो कही फेर दिया गया' Raftaiment~स HITA मरगुभको प्रालि ( मो.) मिसिम पा पागल होमे भाग, रामा कामगि समान साविति माँ का पागलपन ।