पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३६६

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३१० विजयनगरम् प्राचीन पहा प्राम। इसका दसरा नाम विजयपुर भो। अपने राज्यको पृद्धि की। सन् १७४०में रहोंने पहने m: यहां गाड़ाधिप शिजयमेनने राजधानो यसाई यो। विकाकोलफे फौजदार जाफरलो मा माहाम्प करने. - पिजयसेन देग्यो। । के लिये उनमे मित्रता कर लो। किन्तु पां" उनहा विजयनगरम् (विजियानाग्राम )-मन्द्राज प्रेमिटेन्सीफे यह सवाल हुमा, कि इस मित्रताको अपेक्षा यदि भागमोमों पिजगापरम मिले की एक बहुम बट्टी जमोन्दारो। दक्षिण सेनापति बुशोफ साथ मित्रता की जाये तो पिशेल. भारत में ऐसा मामीन और प्रतिपत्तिशाली जमीन्दारो होनेको भाशा है। यह सोच कर उन्होंने फौजदारसे : और मरी नहीं है । इसका भूपरिमाण प्रायः २६४ यर्ग | मित्रता भङ्ग र मान्सोमियों के साथ मित्रता कर ली। मोन है। गयसे तोम वर्ष पूर्व इमको जनसंख्या म्होंने अपने पुराने शत्र पत्रिलोके सामन्तको १८५६५८ गौर पक्षा. १७५६ और १८१६३० तथा अपने नये गित मन्सोसियोंकी सहायतासे मार कर देशा० ८३१७और ८३३६ ३०फे मध्य में है। अपना पुराना बदला चुकाया था, हिन्तु इस विजयी ___यहाँ सत्याधिकारी महाराज पशुपति आनन्द गा यहुत दिनों तक आनन्द उपभोग कर न सके । वि. पतिराज (१८८८६०) राजपूनसंशमम्भून थे। वंश फे तीन रातके अन्त होते'म होने पे बरियलोके गुरु . भासपापिकास जाना जाता है, कि इस पफ आदि । घातकोंके हाथ मारे गये थे। ....: . . पुरुष माधययमाने १५६१ ३०में समाधय गा कर कृष्णा राजा पेह-विजयरामके उत्तराधिकारो मानन्दरामने । नदीफे उपत्यकादेशमें एक रामपूत उपनिधेश स्थापन छिद्रान्वेषण में तत्पर रह कर भग्नी बुद्धि दोपसे पित किया। धीरे धीरे इस घंशी बनी थाति प्राप्त को गौर पदर्शित राजनीतिक मार्गको तिलाअलि समैग्य मागे यहुत दिनोंसे इस घंशफे लोग गोलकुएलाराज सरकार पढ़ विशाग्यपत्तन पर माफमण गौर अधिकारकर उमको फे सहकारी सागरतरूपमे गप्प होने लगे। सन् १६५२ , अगरेजोंक दाथ समर्पण किया। उस समप यशान.

  1. इस यन पशुपति माधययर्मा नामक एक व्यक्ति | पत्तन प्रासंसियोंके दायरे था। यह सन् १९९८ को

विज्ञापत्तन राजाके अधीन आ कर काम करने लगे। घटना है।' . . इसके याद इस यश लोगोका पीढ़ी दर पोहोइम राज बङ्गालसे सेनापति फोम समैन्य यहां पहुंच जाने । वश सम्बन्ध चला भाया और युद्ध धादिमें विशेष पर उनके साथ राजा मानन्दरामने राजमहन्त्री भोर सहायता दे कर इन्होंने बटुन प्रतिपत्ति लाम को । इन्हों- मछलीपट्टनको भोर. अपनी विसययात्रा पूरी की। पो के गधर मुसिम राजा गजपति विगगरामराम यहाँसे लौटने पर यह कालके मुदमें पतित । उगये. मासीसो सेनापनि युशी मिल थे। गहोंने अपने भुनः दत्तापुन मामालिग यिनपरामराम राजपद पर प्रतिष्ठित पलसे धीरे धोरे कई सम्पत्तियों पर अधिकार कर अपनी हुप, किन्तु ये कुछ दिनों तक माने थैमानेय माता मोता. सम्पसिका फलेयर पुए किया। उस समय से पद पशु | रामराजके तस्यायधानमें रहे। मोताराम भार, इच्छुहार पतिनश उत्तम सरकारपिक महाशकिगालो रास ना सपंप्रासी थे। । यमों में परिगणित है। । सन् १७६१ ०में उन्होंने पालांकिमडी राज्य पर पेद् पियराम रामने प्रायः सन् १७१०१०में माने | Imमण किया। विकाकोल ममोप माहाकारो पिना, मिहासग पर गारोहण हिश । मन् १७१२०. महाराष्ट्रसेमा साथ पालांकिमोरा पनि हुए। में दीन पासनूरसे रासपाट स्थानान्तरित कर अपने इसके बाद उन्होंने सदलाल रामग्डोकी मोर मप्रसाद गाम परम धागका नाम विजयनगरम् रमा था। इस पर उस पर गो गपिकार कर लिया। इस तरह यि के बाद अपनी राजधानी सुहट करनेगी इच्छासे पे कुछ नगरम् राज्य को दो दिनों में बहुत ददगा । यमुना .दिनाकगिये एक दुर्गनिम्नर्माण करने पस्त हुप । सो मी ममय यिसपनगरम् मामन गो गो गुः । समयमे घोरे धीरे नाना स्थानों पर भविकार कर दी। पतिराजयंक शामनाधीनमें जयपुर, पालकोएडा माँ ।