पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३६७

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विजयनगरम्

- अन्याय १५ बढ़ो बड़ो जमींदारियोंका कार्य सञ्चालन | लिये यह विपदका कारण बनें। पद विवरण पढ़नेसे न होता था। उन उन स्थानों के अधिवासो विजयनग वहांके अधिकारियों को बन्द माखें खुली। हिरेहरोंने 'रमराज को ही अपने राजा मानते थे। .. सीतारामराजको कुछ दिनों के लिये राज्यमे अलग • . सीताराम विशेष दूढ़ता, मनोयोगिता तथा कुशलता किया। किन्तु सन् १७६० ६०में फिर सौतारामने के साथ राजकार्य किया करते थे। ये नियमितरूपसे ३ | विजयनगरमें था कर अपना पद ग्रहण किया। इस बार लाख रुपये वार्षिक पेशकस् देते थे और अगरेमा कम्पनी भो पहलेको तरह इन्होंने उगतम राजकर्मचारी, साधारण का सदा राजभकिदिखाते थे। उनकी यह राजभक्ति प्रजामण्डलो तथा सामन्तों को भी निर्यातन करना इसलिये थी, जिससे घे कम्पनीसे अन्यान्य सुविधाओंकी | भारम्भ किया । फलतः उनका राजभोग कठिन हो गया। प्राप्तिके साथ साथ दुई पात्य सामन्तोंको पशर्म सन् १७६३ ईमें कम्पनीके अधिकारियों ने उनको मन्दाज. • लानेके लिये भगुरेजोसेनाको . सहायता पा सकें।में जा कर रहनेको भाना दी । उस समयसे विजयनगर- यथार्शमें इसी उपायसे पशुपतिगण अपनी शक्ति मौर| के इतिहासमे उनका नाम चिलत हमा। • अपनो घंशमर्यादाको अक्षण्ण रखने में समर्थ हुए थे। । पूर्व पर्णित नवालिग राजा विजयरामराजको नवा- .:. राजा सीतारामने इस समय निर्विरोध प्रभुत्य परि लगी वोत गई. अब ये वालिग हो गये थे। इन दिनों मालिन किया था। यह उनके मासा राजा यिसयरामको तक ये सोताराम भयसे एक नरहसे जड़मातको तरह 'ममय हो उठा। फेवल उन्हों को नहीं, घरं कितने ही दिन बिता रहे थे। उनके हृदय में राज चलानेको कोई ... सामन्त या सरदारों को भो यह मत हो गया। इन शक्ति हो न थी ये सर्पदशों थे और उनमें सोताराम. लोगों ने कम्पनीले प्रार्थना की, हिरामा मोतारामसे को तरद राजकार्य चलानेको शक्ति, न रहने के कारण पदत्याग करा दिया मापे मोर रापकार्ग चलानेके | ये जमीन्दारोका काम उत्तमतासे- चला न सके । फलतः लिये जगरनाथराजको उस पद पर भारत करायाजापे, कम्पनीको नियमित समय पर पेशासादियान गया। किन्तु राजा सीताराम पोशृद्ध टासे राज्यकार्ता सम्पा. इमलिये उनकी मम्पत्ति वाकी मालगुजारीमें फंस दन कर रहे थे मोर कम्पनोफे छोटे बड़े कर्मचारी उनसे गई। मृणमार तथा राज्यको गड़बड़ीसे राजकार्यादिका सन्तुए थे। इससे उन लोगों को माना ममाहा हुई। माग विगढ़ गया । कम्पनीने रुपये की पमूलीफ लिये 1. , महामान्य कोई माय डिरर्स इलैएडमें बैठ कर 'सम्मन' जारी किया। राजाने उसे अस्वीकृत कर दिया यहांको कम्पनी के कर्मचारियों पर जो दोपारोपण करती मोर अगरेजों के यिद युद्धको तैयारी करनो भारम्भ थी, उसका कोई फल नहीं होता था। फलतः कम्पनीक कर दो। इस समय उन्होंने स्पष्ट हो कहा था, कि कर्मचारियों पर रिश्वत लेनेके मभियोगमें कई नालिश मैं जीवित रह कर यदि पशुपतिराजय'शको तरह राज्य ‘शयर हुई। इस पर कोरं श्राप हिरेपटसं मद्रास के गय-1 शासन न कर सका, तो उनमें एक आदमाका तरद रण. नर सर टि बोलको और कॉन्सिलके दो सदस्पोको क्षेत्र में वोरको तरह मवश्य मर सगा। स्थानान्तर मेजने पर वाध्य हुए। यह सन् १७८५०को सन् १७६४ को १०यो उनको कर्नल प्रेगडर. घटना है। . .. । गाने पमनामम् नामक स्थान राजा यिजयराम पर सन् १७८४ ६०में विशाबान जिलेका यथार्थ | मामामा किया। राजाने एक घण्टे तक मजाका .पियरण संग्रह करमे के लिये एक 'सार्किट कमिटी नियुक्त सामना किया, किन्तु उनको फोर अधिक देर तक यहां हुई। उसने पूरी तौरसे वियर मार कर डाइरेहरोके | रिफन सको। ये तितर-बितर हो कर माग खड़ी । . पास भेजा। उसने उसमें लिखा था, कि विजयनगरम् | इस युदमे स्वयं राजा विनयराम सपा का सामग्तराजे राम गौर उनके सामन्तों के पास एक १२ सहमसे मो मारे गये थे। मधिक फौजे है। सम्मप, कि किसो समय कम्पनो राजा विपरामराज के मरने के बाद पशुपतिराजांशका