पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३९४

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३२६ विजागापहम् । सारा किस्सा तमाम हुभा । यह सन् १८७४ ई०को १०वों । और दूसरे भाग गये। ऐसे समय पालकुण्डाके जमी. जुलाईको घटना है। इस घटनामें उनके कितने प्रिय दार भी विद्रोही हुए । रसेल साहयमे उनको भी पाया। फार्मचारियों को जाने गई थीं। इसके बाद मिटर रसेलके परामर्शानुसार इस जिले की मृत राजाके पुत्र नारायण यावू पैतृक सम्पत्तिके शासम-ध्ययस्थामें बहुत परिवर्तन किया गया। पाप गधिकारो हुए । यहुत कठिनतासे उनको पैतृक सम्पत्ति करद जमीन्दाको सम्पूर्ण रूपसे जिले के कलेकरके अधीन उसके हाथ पाई। वह भी कुल नहीं, जगपुर आदि रखा गया । सन् १८३६ ई० में यह कानून जारी हुआ। पार्यस्य पद के अधिकृत प्रदेशोंका शासनभार भर | इस कानूनके अनुसार इस. जिलेका आठवां संश रेजों ने शपने हाथ में रखा। शासित होने लगा। केवल प्राचीन हादिली जमीन तया घङ्गालमें निरस्तायो यन्दोवस्तसे कर वसूलीको | कुछ और स्थान इस पजेन्सी में न रहनेके कारण त्रिका सुविधा देख सन् १८०२ ई०में उत्तर सरकार प्रदेशमें | कोलके सिविल और सेसन जज वहांके विचारक हुए। भी मन्द्राज सरकारने घेसो हो व्यवस्था कराई अर्थात् | सन् १८६३ ई० तक ऐसो हो थ्यवस्था रही। इसके बाद यहां भो चिरस्थायी वन्दोवस्त हुआ। उस समय यह ! विजयनगरम्, चम्किलो गौर गोलकुण्डा उक्त एजेन्सीके जिला १६ जमीन्दारियों में विभक्त था और इसका | शासनसे बाहर कर दिये गये । पेसब हो इस समय . राजस्य ८०२५८०) रुग्या निर्धालि हुमा मन्द्राज सर पार्वत्य प्रदेश कहे जाते हैं। , फारने उस समयको सरकारी जमीनको छोटी-छोटी | इस परिवर्तनके वादसे हो यहाँका विद्रोह यहुत कम जमीन्दारियों में यांट दिया । इस तरह २६ जमीन्दारियों को हो गया। सन् १८४५ से १८४८ ई० तक गोलकुण्डेके मिला कर विजागापरम तथा फलेकृरीको सृष्टि हुई। । पार्वत्य सरदारोंने अप्रेजी फौजोंको विशेषरूपसे नितिन इस तरहके वन्दोधस्तसे राजा-प्रजामें बहुत असु.| किया। सरकारने यहांको रानीको मार कर उनको सम्पत्ति विधा हुई। अप्रेजों के प्रति प्रजाका फोध दिनों दिन | को जम कर लिया । सन् १८५७५८६ में यहां भी बढ़ने लगा। इसी मनोमालिन्यके कारण मप्रेजों के साथ ) एफ चार विद्रोह हुआ था, किन्तु यह बहुत दूर तक न पार्वत्य सामन्त राजो का महरहा युद्ध हुआ था। अनेक फैल सका अर्थात् शीघ्र ही दवा दिया गया । सन् १८४६० युद्धों में अंग्रेजी सेना पराजित हुई। इस तरह विप्लव ५० और १८५५-५६ ई०में राजा और उनके पुत्र के बोच में ३० घर्ष गुजर गये। अरतमें सन् १८३२ ई०को गञ्जाम | विरोध होने की घजह जयपुर राज्यमें विद्रोह खड़ा हुआ। में एक भयानक विद्रोह खड़ा हुआ। अब मन्द्राज सर.| इस गृहविवादको मिटाने के लिये सरकारने हस्तक्षेप फार स्थिर न रह सकी। इस विद्रोहफे दमन करनेके | किया। अन्तमें अंग्रेज सरकारने घाटपर्वतमालाको शोर लिये एक फौज भेनो गई। जार्ज रसैल गामक एक के चार तालुकोंको अपने हाथमें कर लिया। इस तरह 'ग्रेज यहाँका स्पेशल कमिश्नर नियुक्त किये गये। जयपुर राज्यके वाप-येटेका झगड़ा तय हुआ। पोछे जय उनके ऊपर ही विद्रोहके कारण अनुसन्धान करनेका | राजाको मृत्यु हुई, तब उनका लएको तम्बत्नशीन हुई। भार दिया गया। उनका यह माशा दी गई, कि वे जा इस समय सरकारने उन चार तालुकको उन्हें लौटा . कर विद्रोहका दमन करें और जरूरत होतो 'मार्शलला' दिया । यह सन् १८६० ई० को घटना है। उस समय से भी जारी कर दे और ऐसी चेष्टा करें कि भविष्य यहां जयपुरको शासनङलाका विस्तार करने के लिये एक फिर ऐसा विद्रोह न होने पाये। असिएण्ट एजेण्ट और एक सिटण्ट पुलिस सुपरिग्डेएट मिटर रसेलने कार्यक्षेतमें उतरते ही देखा, फि विजा- रखे गये । इस समय यह जयपुर इन दो अफसरों के तरवाय गापटम्के दो जमान्दार ही इस विद्रोहके कारण है। यह धानमें शासित हो रहा है। दीयानी गौर फौजदारी गा. देख कर उन्होंने देर न कर उन दोनोंको दण्ड देनेके लिये लते इन्होंके हाथ में हैं। सन् १८८९ १० १० में गोदावरी उन पर माममण कर दिया । उनमें एक सरदार पकड़े गये' जिलेके रम्पा प्रदेश में एक विद्रोह उठा। पद धीरे धीरे