पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३९५

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विजागापट्टम् ३२७ गुमसे फेल कर जयपुर तक चला आया। सरकारको। पान, घर सजानेकी सामग्री आदि कई चीजें यहां तय्यार इसके दमन करने में यहो कोटा करनी पड़ी थी। होती है। । - विजयनगाम् राज्यमें भी उस समय कई राजद्रोह । ___ पहले स्थल और जलपधसे यहांके व्यवसायका उठ खड़े हुए थे, किन्तु वे शीघ्र ही दया दिये गये। पाणिज्य होता था। इस समय रेल हो जानेसे कलकशेसे विजयनगरम् देखो। मन्द्राज तक व्यवसाय पाणिज्यको बहुत सुविधा हो गई इस जिले में विभागापटम् नगर, विजयनगरम्, पग्लिो । है । विजागापटम्के उच्च कण्ठमें सुप्रसिद्ध चल्तेयर नामक पंतन, अलंकापल्लो, आलूर, पार्यतीपुर, पालकुण्डा, विमली. | स्थानमें खास्थ्यबास है। यहां कितने ही गोरोंके रहने के पटम्, कासोमकोटा और शृङ्गवेरपुकोटा नामके दश नगर लिये यासभवन दिखाई देते हैं। बनतेरु देखो । और प्रायः ८७५२ ग्राम हैं। यहां कई वर्षों के मनुष्योंका २ उक्त निलेका एक उपविभाग । भूपरिमाण १४२ वर्ग: वास है । ईसाई और मुसलमानों का भी भभाय नहीं। मोल है। किन्तु हिन्दुओंको मायादी ही अधिक है, पहाड़ी प्रदेशों में ३ उक्त जिलेका प्रधान नगर मोर विचार-सदर । कन्द, गोड़, गड्या, कोई प्रभृति जातियोंका निवास है। यह मक्षा० १७४२ ३० तथा देशा० ८३ १८ पू०के दक्षिण भागमें पतिया, कन्दमोरा, कन्दकापू, मतिया, मध्य अवस्थित है। यह नगर मन्दाजसे (रेलसे) ४८४ और कोई नामक जातियों के साथ उनके भाषागत विशेष | मोल पर गौर कलकत्तेसे ५४६ मील पर पड़ता है। इस पार्थक्य नहीं । कन्द जाति पहले नरबलि देती थी। जिस | नगरको जनसख्या ४० हजारसे ऊपर है और ७१४१ उत्सव में यह नरवलि दी जाती थी, उस उत्सवका नाम मकान हैं। जनसयपा, ३६३४६ हिन्दू और बाकी सब था-"मेरिया"। पालकोण्डाफे ढालु देशसे गुणापुरके | इतर जातिके लोग। पूर्षभाग तक स्थानों में शयर (सौर ) नामंक और एक यहां शिक्षालयों की भी कमी नहीं है। नीचे दरजांके गादिम असभ्य जातिका वास है। स्कूलोंके सिवा दूमरे दरजे हा कालेज ( Theirs, A विशेष यात उन जातियेफैि स्वतन्त्र विवरणमें देखो। | V, Narosingh Rao कालेज ) है । इसमें लगभग ५०३ यहां नाना जातिफे अनाज पैदा होते हैं । वराह नदी, लड़के शिक्षा प्राप्त करते हैं। तोन हाई-रकूट भी है। दो सारदा नछो गौर नागायली नदी तथा कोमरवोलू और | वालिकाओं के लिये भी हाई स्कूल हैं। एक रोमन केप. कोएड कोली नामको झीलोंसे यहांके खेतोंको सिंचाई | लिकों और दुसरा लण्डनमिशनरो सोसाइटो द्वारा . होती है। सिवा इसके उत्कृष्ट काम पत्र और नकासी चलाया जाता है। सिया इनके एक मिडिल स्कूल और दार वरतनोंका बहुत बड़ा कारवार होता है। अनेकापल्ली, एक अस्पताल भो है। सन् १८६४ ई०में विजयमग- पैकारे।पेटा, नमझिल्ली, तुन्नी और अन्याग्य प्रामों में १२० रम्ने एक महाराजने इसकी प्रतिष्ठा की थी। नम्मरंके सूतसे एक प्रकारका कपडा तयार किया जाता समुदके किनारे विशाखपत्तन धन्दर अवस्थित है। है। यह पाआम' नामसे प्रसिद्ध है। विशाखपत्तन और इसकी दक्षिणो सोमा पर डलफिन-नोज नामक पर्वतश्रङ्ग चिकाकोलमें भी इस तरहका और दूसरी तरहका कपड़ा | और उत्तरी सीमा पर सुप्रसिद्ध वाल्टेयराका स्वास्थ्यनिवास तैयार होता है। तौलिया और टेविल-साथ (मेजको ढकने है । पन्दरघाटसे कुछ उत्तर विशाम्नपत्तन नगर अवस्थित का पत्र) जिलेके नाना स्थानों में घुना जाता है । विशाख | है। यहांक अधिष्ठात्री देवता विशाख या कार्तिकेयके पसनमें हाथो दांत, भैसके सींग, शाहिलके कांटे और नामानुसार इस स्थानका नाम विशाखपत्तन हुआ है। चांदो तरह-तरह खिलौने, अलङ्कार (गहने गाभूषण)विशाल स्वामीको मन्दिर समुहगर्म में निर्माजन है। गृहशोभाको सामग्री तय्यार होती है । इसी शिलपके लिये | हिन्दू अधियासी गाज भी योगके उपलक्षमें इस मन्दिर- यह स्थान प्रसिद्ध है । लकड़ीको सुन्दर सुन्दर खुदाई | के निकट सागर-स्नान किया करते हैं। विश खपत्तनको मादि शिल्पका यहां अमाष नहीं । फिर पास रखनेका | माचीन दुगतीमाफे बोच लिनिय जजकी अदालत, द्रजरो,