विज्ञान-विज्ञानाकल
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____-१८२८६ कोटाकर निल आनंट (Dr. Neil Ariot). | विज्ञानभिक्ष-एक प्रधान दार्शनिक । ये बहुत सी उपनिषद्
ने अपने पदार्थ विज्ञान प्रन्यो विधानके चार विमाग | और दर्शनादिका भाग्य लिख कर विख्यात हो उठे हैं।
.. किये हैं। यथा-प्रदार्थ विज्ञान, रसायन विज्ञान, जोयन | इनके लिखे प्रन्यों में से कठयल्लो, के ग्लप, तैत्तिरीप, प्रश्न,
...विशान और मनोविज्ञान । उन्होंने गणित विज्ञानको भो मुण्डक, माण्डुक्य, मैलेय और श्वेताश्वतर गादि उपनिषदुः.
कोमतेकी तरह सम्मानास्पद आसन दिया है। हाफर का 'आलोक' नामक भाय, वेदान्तालोक नामक बहुनासो
मार्नटने वस्तुतत्यके मध्य ज्योतिर्विज्ञान, भूगोल, पनि प्रकृत उपनिपटुको समालोचना, इनके अतिरिक्त ईश्वर-
विहान ( Minerology ), भूविज्ञान (Geologs ), गोताभाष्य, पाताभाष्यवार्तिक या योगवात्तिक (वैया.
उदिवसान ( Botany ), माणिविज्ञान (Zoology ) | सिम्मायकी टाका ), भगग्गोताटोका, विज्ञानामृत या
और मानवजातिके इतिहास ( Anthropology ) मादि ग्रह्मसूत्रनुव्याख्या, सांस्यसूत्र या सांख्यप्रवचनभाष्य,
'का विशेष उल्लेख किया है। , अभी पाश्चात्य विज्ञान सांख्यकारिकाभाष्य तथा उपदेशरत्नमाला, ब्रह्मादर्श,
शास्त्र शतमुखा गङ्गाप्रवाहको तरद सैकड़ों नामोंसे शिक्षा. योगसारसंग्रह और सांख्यसारयि नामक घहुतसे
पियोंके मानसनेत्रके सामने विज्ञानराज्यके मनन्तत्वको दार्शनिक अन्य मिलने हैं। इन सब प्रन्धों में सांप
महिमा और गौरय प्रकट कर रहा है। यहां तक, हिपक | प्रयचनमाष्य हो विशेष प्रचलित है । इन्होंने सांख्य.
चिकित्सा विज्ञान ही अनेक शाखाओं में विभक्त हुआ है। सूत्रवृत्तिकार अनिरुद्धका मत उद्धत किया है। फिर
प्रत्येक विभागमे हो इस प्रकार विविध शाखा, उपशास्त्रा महादेव सांपसूत्रवृत्ति विमानभिक्ष का मत उद्धत
और प्रशाखाफे प्रसारसे यह विज्ञानमहोरुह ममी हुमा है। ये योगसूत्रवृत्तिकार भावागणेशदीक्षितके
गनवनीय गौरवमयी विशालसाने अपनो महिमा उद्धोः गुरु थे।
पित कर रहा है। वैज्ञानिकतत्त्व शब्दमें विस्तृत विवरण | विज्ञानमय (संत्रि०) शानस्वरूप । (भागवत ११ २६।३८)
देखो।
.... | विज्ञानमयकोप (स' पु०) विज्ञानमयस्तदात्मकः कोप-
.८ ग्रहा। हमात्मा। १० आकाश । ११ निश्चया. इव वाच्छादकत्वात् । श नेन्द्रियों और युद्धिका मभूह ।
'रिमका युद्धि। ...
. विज्ञानमातृक (स० पु०) विज्ञानं मातेय यस्य बहुग्राही
विज्ञान क ( स० वि०) विश नं स्पार्थे कन् । विज्ञान । |, कन् । युद्धका एक नाम ।
'वहार्यविज्ञानाशून्यया'। (हेम) : विज्ञानयति (स० पु. ) विज्ञानभिक्ष ।
विधानकन्द-प्रन्या भेद। ..:: विज्ञानयो गन् ( स० पु० ) विश:नेश्वर देखो। .
विज्ञान केवल (स० पु.) विद्यानाकल। . .. विज्ञानयत् (स' त्रि०) ज्ञानयुक्त, शानो। .
(सर्वदर्शन स०८६५), . . . . । (छान्दो० उ०७६१)
विज्ञानकोश (सपु०) घेदान्तके अनुसार ज्ञानेन्द्रियां | विज्ञानवाद (स.पु.) १ वह याद या सिद्धान्त जिसमें
और बुद्धि, विधानमय कोश । कोप देखो। .. | ब्रह्म और आत्माको एकता प्रतिपादित हो। २ ,यह वाद
विधानको मुदो (स. स्त्रो०) बौद्धरमणीभेद । । या सिद्धान्त जिसमें केवल साधुनिक विज्ञानको दाते' हा
विज्ञानता (संस्खो०) विज्ञानका भाव या धर्म प्रतिपादित या मान्यकी गई हो। ३ योगाचार।
विधानतेलगर्भ (सपु०) अडोलरक्षा (राजनि०) विज्ञानवादिन (स० पु.) विज्ञानवादी देखो। ,
विहानदेशन (संपु० ) युद्धभेद।
विज्ञानयादी (स० पु०) १ वह जो योग मार्गका अनु-
विज्ञामपति (स.पु.),परम ज्ञानी।, - सरण करता हो, योगो। २ नह जा आधुनिक विज्ञान
यिवानपाद (स.पु.) विज्ञानमेव पाद लक्ष्यं यस्य । शास्त्रका पक्षपाती हो, विज्ञानके मतका समर्थन करने.
'घेदव्यासका एक नाम! . , . , . . . . । याला . . . . . . . . . . .
विज्ञानमट्टारक (सपु०) परम पण्डित ।
विहानाफल ( स० त्रि०) विज्ञानफेवल । ...
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४०५
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