पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४१९

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विदरण-विदला राजधानीमें रह कर उन्होंने शासनदण्ड परिचालित ! यिदर नगर येरारके अन्तर्गत है, इस कारण समस्त देश- किया। इस गंगरके चारों ओर विस्तृत प्राचीर है। अभी | का 'विदर्भ' नाम पड़ा है। पासपूर्ण भग्नावस्था में पडा है। प्राचीरके ऊपर एक २ स्वनामख्यात नृपविशेष । पे ज्यामधराशाके पुत्र स्थानके यप्रदेश पर २१ फुट लस्यो एक कमान रखी हुई। थे। इनकी माताका नाम था शेठपा। कहते हैं, कि है। इसके सिवा नगरमें १०० फुट ऊंचा एक स्तम्भ इसी राजाके नाम पर विदर्भ देशका नाम पड़ा था। (iminaret) तथा दक्षिण-पश्चिम भागमें कुछ समाधि कुश, कप, लोमपाद आदि इनके पुत्र थे। मन्दिर माज भी दृष्टिगोचर होते हैं। .. : - ... - (भागवत २४१) धातव पात्रादि बनाने के लिये यह स्थान बहुत प्रसिद्ध | ३ मुनिविशेष। (हरिवंश १६६।१४) ४ दन्तमूलगत है। यहां के कारीगर ताये, सोस. सन और रोगको रोगविशेष, दांतोंमें चोट लगने के कारण मसूड़ा फूलना या .एक साथ मिला कर एक अच्छी धातु बनाते हैं तथा | दांतोंका दिलना। उसीसे नाना प्रकार के चित्रित पान तैयार करते हैं। कभी विदर्भमा (स'० स्त्री०) विदर्भ जायते इति विदर्भ-जन. कभी उन सव पात्रों के भीतर वे सुनहली चा रुपहली डटाप् । १ अगम्य ऋषिकी पत्नीका एक नाम | पर्याय- कल कर देते है। Mo n . कौशीतकी, लोपामुद्रा । (त्रिकापडशेष ) २ दमयन्तीका नति हो गई है। वेदार देखो। . . . . एक नाम जो विदर्भके राजा भीमकी कन्या थी। ३ विवरण (० ) विदलया। विद्यार. Reat रुकमणाका एक नाम । २मध्य और अन्त शब्द पहले रहने से सूर्य चा चन्द्रग्रहणक विदभ राजरस पु० वि GST विदर्भ राज (स'. पु०) विदर्भाणां राजा (राजाहासखिभ्य- . मोक्ष दोनों नाम समझे जाते हैं अर्थात मध्यविदरण ष्टच् । पा ॥४.६१) इति समासान्तटच् । १ दमयन्तीके और अन्तविदरण कहनेसे सूर्य और चन्द्रग्रहणमोक्षके | पिता राजा भीम जो विदर्भके राजा थे। २ रुक्मिणोके दश नामोमोघे दो नाम भी पड़ते हैं। प्रहणके मोक्षकाल- पिता भीष्मक । ३ चम्पूगमायणके प्रणेता । । में पहले मध्यस्थल प्रकाशित होने पर उसे 'मध्यविदरण' | विदर्भसुभ्रू (सं० स्त्री०) विदर्भस्य सुभ्र रमणी । दमयन्ती । मोक्ष कहते हैं। यह सुचारु वृधिप्रद नहीं होने पर भी | विदर्माधिपति ('स' पु०) विदर्भाणामधिपतिः । कुण्डिन- सुभिक्षप्रद है, किन्तु प्राणियोंका मानसिक कोपकारक पति, रुक्मिणीके पिता भीष्मक। हैं। फिर मुक्तिके समय गृहीतमण्डलको अन्तिम सीमा- विदर्भ (म० पु०) एक प्राचीन ऋषिका नाम । - में निमलता और मध्यस्थल में अन्धकारकी अधिकता विदों कौण्डिन्य (स'० पु०) पक चौवेक आचार्यको रहने पर उसे 'अन्तघिदरण' मोक्ष कहेंगे । इस प्रकार नाम। ।(शतपथना० १४।४।५।२२) . मुक्ति होने पर मध्यदेशका विनाश और शारदीय शस्य. विवर्य (म' पु०) फणाहीन सर्प, पिना फनघाला सांप । (शासायनग० ४११८) का क्षय होता है । (यहत्संहिता ५।८१, ८६,६०) ३ विद्रधि विदर्शिन ( स० नि०) सर्वधादीसम्मत । रोग। | विदल (म० पु०) विघट्टितानि दलानि यस्य । १ रक्त. विदर्भ (सं० पु. स्त्री०) विशिष्टा दर्भाः कुशा यन, विगता | काञ्चन, लाल रंगका सोना । २ स्वर्णादिका अवयंचविशेष । दर्भाः कुशा यत इति या। १ फुण्डिन नगर, आधुनिक पिएक, पीठो। ४ दाडिम्ययोज, अनारका दाना । बड़ा नागपुरका प्राचीन नाम । - , ५चना । ६ यशादिस्त पानविशेष, घांसफा बना हुमा __"विगता दर्भाः यतः" इसकी व्युत्पत्तिमूलक किम्बदन्ती दौरा या और कोई पान । (नि.) ७ विकसित, बिला यह है, कि कुशफे आघातसे अपने पुत्रको मृत्यु हो जाने । हुआ। ८ दलहीन, विना दलका। . से एक मुनिने अभिशाप दिया जिससे इस देशमें अब कुन विदलन ( स० लो०) र मलने दलने या दवाने. आदिको नहीं उत्पन्न होता है। फ्रिया । २ टुकड़े टुकड़े या इधर उधर करना, फाइना । - कोई कहते हैं, कि विदर्भ देशका नाम येरार है। विदला (स. स्त्री०) । वित्, निसोध । २ पानशून्या । V, xx. 89