पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४४८

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१७८ विधानगर रायालु विजयनगरफे सिंहासन पर बैठे। सदाशिषके शैशन विजयनगरकं प्रकृत राजा समझे जाते थे। सदाशिक कालम सध्युनका देहान्त हुमा था। अच्युनके साथ शाद ही नरसिंह राजवंशका नाम विलुप्त हुना। हम - सदाशिवका क्या सम्बंध था, इस विषयमें भी बहुत याद रामराजका घंश विजयनगर राजवंशफे इतिहास में मतभेद दिखाई देता है, काञ्चीनगरकी एक प्राचीन लिपि देखा जाता है। यही रामराज मंत्री थे, यह पहले हो से जाना जाता, कि यरदादेयो नामको अच्युतको एक स्रो लिग्वा जा चुका है। रामराजफे पितामह रामराम मामसे थी, उस स्त्रीक गर्भसे घेड्डटाद्रि नामक उनके एक पुत्र भी परिचित थे। इनके पुत्रका नाम श्रीरङ्ग था। और . उत्पन्न हुआ। वेङ्कटादिने अल्प काल तक राज्य किया का एक दूसरा नाम था धीरङ्ग रामराजा । पोरङ्ग भी था। उनको मृत्युक दाद सदाशिव नामक उनके एक मंत्रो थे। तिगमल वा तिरुमलाम्यिका देवी के साथ । भारमीयन राजसिंहासन पर दखल जमाया । सदाशिव रङ्ग, इनका विवाह हुआ था। इनके तीन लड़के थे, बड़े का । रायफ पुन थे। उनको माताका नाम था तिम्माम्या देषो। नाम रामराज था । रामराज हो पितृसिंहामनके अधिः .. एसन नामक स्थानमें जो प्राचीन लिपि पाई गई है, उसे कारो हुए। इनमे पक भाईका नाम निम्म पा तिरमल देख कर मि० राइसने स्थिर किया है, कि सदाशिव और दुसरेका घेङ्कट या वेङ्कटाट्रि था । तिम्म या तिरुमल.. गच्युतके पुत्र थे। का हाल पीछे लिखा जायेगा। .. . . जो हो, सदासिय जय तक बालोग न हुए थे, तब ___रामराजने आदिलशाहफे साथ एक धार संधि को तक उनके मन्त्रियोंने राजकार्य चलाया था। इन सब थी। किन्तु समय और सुविधा देख उन्होंने सन्धि तोड़ मस्त्रियों के मध्य रामराय सर्वाप्रधाम थे। रामरायको आदिलशाहीफे अधिकृत राज्यके कुछ अशोको अपने कुछ लोग रामराजा मी कहते थे। रामराय सदाशियको राज्य में मिला लिया। परन्तु इसका परिणाम यहुन पराग सर्पदा नजरबंधी रप कर अपना मतलव गांठ लिया | निकला। अली आदिलशाह गोलफुएडा, महमदनगर फरते थे। सदाशियफे मामा तथा गन्यान्य सचियोको | और घिदर्भ राजामोंके साथ मिल कर रामरायफ विड यह अच्छा न लगा और ये सबके सप रामरायके विरुद्ध तालिकोटमें आ धमके। उन लोगोंने कृष्णा नदी पार परयन्त करने लगे। रामरायने अपनेको विपदस घिरा कर दश मील दूर रामराजको सेनामों पर माक्रमण का देख कुछ दिनका अवकाश ले लिया। इस समय सदा. दिया। सारी शक्तिके प्रबल माफमणसे भी चतुर राम- शिष मामा तिम्मराजने शासनभार अपने हाथ लिया। राय बहुत देर तक युद्ध करते रहे थे, किन्तु मान्दिर निय. किन्तु उनके लौशासनसे थोड़े दो दिनों मध्य प्रजा पाय देख घे भाग चले । मुसलमान सेनाने उनका पीछा तंग तंग आ गई । यह देख सामन्त राजाओंने उनका काम किया। पालकी होनेवाले पातकीको छोड़ चम्पत हुप । तमाम करने की साजिश की। तिम्राजने इस समय ये वन्दी हो कर आदिलशाहके सामने लाये गये । आदिल. विजयपुर फेश्यादिम भादिल शाहकी सहायता देना रोकार • शाहने उनका शिर काट डाला । १५६०६०को तालि• . किया मुसलमानों का प्रादुर्भाय देख कर सामन्तराज कोरामें यह घटना घटी थी। इधर मुसलमानी सेनाक राण कुछ दिन यमत मस्तकसे प्रतीक्षा कर रहे थे। विद्यानगरमें प्रवेश करनेसे पहले ही सदाशिय रायालु frतु मुसलमानोंफे चले जाने पर ही सामन्तोंने तिम्मराज पेनाएडाको भाग गये। को राजप्रासाद कैद रखा। तिम्मराजसे यह कष्ट सहा रामरायफ पतनके मम्यन्धर्म और भी एक वृत्तात ग गया और उसने मारमहत्या कर ली। इस घटनाफे ! सुनने में माता है। कैशर फ्रेडरिक नामक एक गर्याटक पार रामराज पुनः सदाशिवफे नाम पर विजयनगर तालिकोटा युद्धके दो वर्ष बाद घटना स्थलमै मापे थे। सामन-परिचालन कार्य करने लगे। उन्होंने लिया है कि रामराजको सेनामें दा मुसलमान रामराज। सेगानायकको विश्वासघातकतासे हो रामरायको परा• सदाशिय नाममातफे राजा थे। फलत रामराज हो । जय हुई थी।