पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४६०

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२८४ विद्यानन्द-विद्यापति ___ शिक्षाविधानके लिये नाना प्रकारकी चतुष्पाठी। विद्यानिधि-१ अत'नचन्द्रिका नामक नाटकफे 'प्रणेता। .. और विद्यालय थे। पाणिज्य-व्यवसायको उन्नति २एक विख्यात न्यायवागोश .पे काव्यवनिकाके रन के लिये विद्यानगराधिोने अच्छा प्रबन्ध कर दिया था। यता सुप्रसिद्ध पण्डित थे। .. . . . विलासी उपकरण द्रव्य के साथ शिल्पकी उन्नति अवश्य-विधानिधितीर्थ-माध्यसम्प्रदायके ग्यारहवें गुरुं।. . मायी है। विद्यानगरमें शिल्पवाणिज्य और कृषिको रामचन्द्रतीर्थ के शिष्य थे। १३७७ ई० में रामचन्द्र के मरने यथेष्ट उन्नति हुई थी। राज्यको समृद्धि और जनसंख्या पर . गद्दो पर धैठे। १३८४ ई० में इनकी मृत्यु हुई। . . को अधिकता हो इसका अकाट्य प्रमाण है। स्मृत्यर्थसागर में इनका गौर इनके शिष्यों का परिचय है। । इस विशाल नगरमें चार हजार सुन्दर और विपुल-विद्यानिवास-१ दोलारोहण-पद्धतिके प्रणेता। २ मुग्धः .:. देवमन्दिर मनायायसे हमेशा गूजा करते थे। इसके , घटीका रचयिता। ३ नवोपचासो एकविण्यात । मिया धर्मचर्चा के लिये और भी कितने छोटे छोटे मन्दिर पण्डित । ये भाषापरिच्छेदके प्रणेता विश्वनाथ तथा .. धनाये गये थे, उसको शुमार नहीं। विद्यानगरके तत्वचिन्तामणिदीधितिव्याख्या रचयिता रुद्रके पिता . राजाकी पालकीको संख्या थो २०००० 1 जब इतनो पारकी | थे। इनके पिताका नाम था भवानन्द सिद्धान्तयागोश : हुई, तब पाको ढोनेवालोंकी संख्या कितनी हो सकती विद्यानिवास भट्टाचार्य-सचरितमीमांसाक प्रणेता। .. है स्वयं गनुमान कर सकते हैं। विद्यानगरकी विशाल | यिद्यानुलोमालिपि (सं० स्त्रीलिपिविशेष । . . ममृद्धि कविको कल्पना वा उपन्यासकारको असार | . . . (ललितविस्तर) जसपना नहीं है। इसकी प्रत्येक यात प्रत्यक्षदशी इति- | विद्यापति-यिख्यात ग्राहाण - कवि और अनेक प्रयोक हामकारके सुदृढ़ प्रमाणके ऊपर प्रतिष्ठिन है। रचयिता । इन्होंने उपयुक्त पण्डितवंशमें जन्मप्रहण किया विजयनगर शब्द देखो।। था। इनके पूर्वपुरुष सबके सब विद्वान् और यशस्वी विद्यानन्द-१ सुधि । क्षेमेन्द्ररत कयिकएठाभरणम इन ! थे। पूर्वपुरुषों के वीजपुरुषसे पुत्रपौत्रादिकममें इनकी का उल्लेख है । २ पक चैयाकरण। भाषशर्माने इनका घंशधारा नीचे लिखी जाती है। . , ... नामोल्लेख किया है । ३जैनाचार्यभेद । ४ असाहस्रोफे प्रणेता । मका अपर नाम पात्रकेपारो था। , .१ विष्णुशर्मा, २ हरादित्य, ३ धर्मादित्य, ४ टेयादित्य, . विद्यानन्दनाथ-लघुपद्धति और सौभाग्यरत्नाकर नामक | ५ चोरेश्वर, ६ जयदत्त, ७ गणपति, ८ विद्यापति ठाकुर, तन्त्रमन्त के रचयिता। हरपति, १० रतिघर, ११ रघु, १२ विश्वनाथ, १३ पीता. विद्यानन्द नियन्ध-एक प्राचीन तन्त्रसंग्रह । तन्त्रसारम | बर, १४ नारायण, १५ दिनमणि, १६ तुलापति, १७ एक- इस प्रन्यका उल्लेख मिलता है। नाथ, १८ भाइया, १६ मानु और फनिलाल । नानुलालके विद्यानाध-१ प्रतापगदपशोभूपण नामक अलडार और पुत्र बनमाली और फगिलालके पुत्र बदरीनाथ हैं। . . प्रतापगद्र कल्याण नामक संस्कृत प्रम्यक रचयिता । इन्हें विद्यापति ठाकुरके पिता गणपति ठाकुर मिथिलापति कोई कोई विद्यानिधि भी कहा करते हैं। कवि भोरङ्गाल गणेश्वरके एक परम मित और, संस्कृतचित् महा. फे काकतोपवंशीय राजा २य प्रतापरुद्र के आश्रयमें प्रति पण्डित थे। गणपतिने स्वगीय राजाके पारित्रिक मङ्गल .. पालित हुए थे। (१३१० ई०)। २ रामायणटीकाके के लिये अपना रचित "गङ्गामक्तितरङ्गिणो" नामक प्रन्य प्रणेता । इन्हें कोई कोई तामिल कधि चैदुयनाथ कद कर। उत्सर्ग कर दिया था। विद्यापतिके पितामह जयदत्त सन्देह करते हैं । ३ ज्योत्पत्तिसारके प्रणेता। पे धीनाथ. भी एक असाधारण पण्डित थे । 'योगोश्वर' नामसे उनकी सूरिक पुत्र थे। इन्होंने राजा अनुपसिंहके अनुरोधसे | प्रसिद्धि यो। जयदत्त के पिता योरेश्वरको उनके पाण्डित्य एकपलिया था। ४ घेदान्तकलातरुमारोफे प्रणेता: गुण, पर मिथिलापति कामेश्वरने यथेष्ट वृत्ति दी थी। . विद्यानाथ कपि-दोमायवासी एक कवि । इनका जा। वीरेश्वरको वनाई हुई प्रसिद्ध 'पोरेश्वरपद्धति' के अनुसार १६७३ ६० हुमा था। आज मी मिथिलाके ब्राह्मण 'दशकर्म किया करते हैं।