पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४७२

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३६० विद्यारण्यस्खामो मठ जगद्गुरु हुए। उन्होंने अराजक विजयनगरमें। बुक्क और हरिहर काम करते थे। सन् १३१०ई० में , भा कर किसी राजवंशका सन्धान न पा कर उस अहोर द्वारसमुद्र के होयराल घलाल राजाओंके विरुद्ध प्रेरित के पुत्र बुफाको हो राजसिंहामन पर बैठाया! . मालिक काफूरके साहाय्यार्थ औरङ्गाल के शासनकत्ताने (२) योगी माधवानार्यको विजयनगरमे बहुत गुप्तधन उनको भेज दिया। वहां दलाल राजाओं से पराजित . प्राप्त हुआ। उन्होंने कुरुवंशीय पफ मनुष्यको यह हो कर थे दोनों भाई सदलबल मानगुण्डो राज्यमें भाग : धन दे दिया। इसी व्यक्तिने पोछे एक नये बेशकी आये । यहाँ एक गुहा में विद्यारण्य सामोसे उनका परिचय प्रतिष्ठा की। हुआ। साधूत्तमने विद्यानगर स्थापनमें उनको सहायता __(३) हुक और बुक्क नामक दो भ्राता वरङ्गलके दी थी। प्रतापगददेवके राजकोषाध्यक्ष थे। वे अपने गुरु घिधा-1 ___(७) उक्त दोनों भाई दाक्षिणात्यके शासनकर्ता रण्यके समीप शृङ्गरो मठमें भाग आये और उनके मुसलमानों के अधीन काम करते थे। मालिकको मन प्रभावसे उन्होंने सन् १३६ ई०में विजयनगर साम्राज्य स्तुष्टि के लिये वाध्य हो कर उनको धर्मनोतिविरुद्ध कितने " स्थापित किया। हुक पहले और उनके बाद बुक राजा ही कार्य करने पड़े। इससे मनमें निर्वेद उपस्थित हुए। होने पर वे भाग कर पार्वत्य भूमिमें आये। उनके दलमै (४) सन् १३३३ ईन्भे इवन वतूना भारतमं माये। यहां बहुत आदमो मिल गये। विदुपारण्यस्वामीके परा. . उन्होंने विजयनगर राज्यस्थापनके सम्बन्धमें लिखा है, कि मई से वे यहां विजयनगर स्थापन करनेमें समर्थ हुए थे। .', सुलतान महम्मद के भतीजे यहाउदोन घासताप कापिल्यः (८) हुक और युक्त दोनों ही होयसल बल्लाल : राज के यहां आश्रय लेने पर सुलतान उसको दण्ड देने नृपतियों के अधीनमें मामन्तराजे थे। राजादेशसे उनको . के लिये मदलबल अग्रसर हुए। यह काम्पिल दुर्ग| भानगुण्डी और उसके समीपयती प्रदेशों में घूमनको . . तुङ्गभद्राक किनारे आनगुण्डीले ४ फोस पूर्व में अय सुविधा मिलो। यहाँ विद्गारण्यके साथ भेंट हो जाने ... स्थित है। कापिलराजने भोत हो कर. यहाउद्दीनको पर उनके परामर्शसे विजयनगर राज्य तथा राजय'शको . . निफरबत्ती एक सरदारके पास भेज दिया। इसी | प्रतिष्ठा हुई । रूसोपोटक निकिरिन १४७४ ई० भारत सूत्रसे भानगुण्डोराजके साथ मुसलमानी सेनाओं का भ्रमण करने आये थे। उनका कहना है, कि थुक और युद्ध हुआ। राजा युद्ध में मारे गये और उनके ११ पुत्र | हरिहर वनवासीके कादम्बवंशसम्भूत है । विज पनगर कैद कर लिये गये। सुलतानने उन्हें मुसलमान बना ही उनका राजपाट था। उन्होंने उनको "हिन्दुसुलतान लिये । सुलतानको आशासे आनगुण्डी राजमलो देवराय • कदम" कहा है। ' ' वहां के अधीश्वर हुए। इसके बादक विषय पर इबन , उपयुक्त किम्बदन्तियो'को स्थूलता आलोचना करने । बतूता और नुनिजको अनेक बातें मिलती है। . पर मालूम होता है, कि विद्यारण्य स्वामो रङ्गरो . (५) युक्त और हरिहर (हुक) यरङ्गलराजके मठमें आचार्य होने के बाद भानगुण्डो राज्य मन्त्री थे। सन् १३२३ ई० में वरङ्गलराज्य मुसलमानों में अराजकता देख कर ये तुङ्गभद्राको किनारे मा पहुचे। . . द्वारा तहस नहस होने पर घे घोड़े की सवारीसे मान- यह एक पर्वत-गुदामें ये योगसाधन कर रहे थे। उन्हो । गुण्डो चले आये। यहां माथ्याचार्यासे जान पह.. को वासे घुक्कराय और हरिहर विद्यानगर राज्यका... चान हो जाने पर उनके साहाय्यसे ही उन्होंने विजय । प्रतिष्ठा करने में समर्थ ६५ । यद्यपि श्रृक्षरो मठको विव नगरराज्यको स्थापना को। रणीमें और रायबंशावली में विदुधारण्यके द्वारा विद्या.' (६) सन् १३०६ ई० में मुसलमानोंने वरङ्गाल पर नगर प्रस्थापनकी बात लिखी है, तथापि यह स्वाकार घेरी डा । इसके याद यहां मुमलमान शासनका करना होगा, कि उनके अनुगृहीत. राजा बुकरायने : नियुक्त हुभा। इस मुसलमान शासकको अधीनतामें उन्हींके परामर्शसे इस विस्तीर्ण राज्यका विशष ,