पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४७६

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विद्यत्-विद्य प्रिय निर्घात नामक एक और प्रकारका नैसर्गिक ध्यापार | ७ विशेष दीप्तिशाली, जिसमें बहुत अधिक दीप्ति हो। है। बृहत् साहिताकारका फहना है, कि एक पवन दूसरे . . . . (मृक् १।२३।१२) पवनसे ताडित हो कर जब पृथियो, पर गिरता है, तब विधु ता (स' स्रो०) १ विद्युत्, विजली। २ महाभारत निर्घात होता है । उसका शब्द भैरव और जर्जर है । उस के अनुसार एक अप्सराका नाम । (भारत १३ १) . . अनिलसे उत्पन्न निर्घात के पृथियो पर गिरनेसे भूमिकम्म विद्यु ताक्ष ( स० पु०).१ यह जिसकी आखें विजलीफ - होता है। जिस निर्धातके गिरनेसे सारी पृथियो काप समान उज्वल हो । २ कार्तिकेयके एक अनुचरका . उठतो है विचार कर. देखने से मालूम होता है, कि वह | नाम । 'a sudden clap of thunder' है। यह यथार्थमें घायुके | विद्युत्केश (स'. पु०) विद्युत इव दीप्तिगालिनः केशा सहसा माकुञ्चन और प्रसारणसे उत्पन्न होता है। ! यस्य । रामायणके अनुमार देवि नामक राक्षसका ज्योतिःशास्त्र प्रहरणार्धाक वनके दो प्रकारके आकार | पुत्र । महामति हेतिने कालकी कन्या भयासे विवाह किया पतलापे हैं। एक भाकार विष्णुवकको तरह गोल और | जिसके गर्भसे विद्युत्केशका जन्म हुमा। विद्युत्केश- . दुसरेका आकार गुणक चित्र (x) जैसा है। धन देखो। । ने सन्ध्याको कन्या पौलोमीको व्याहा। इसो पोलोमो हम लोगों का विश्वास है, कि मेघ जलीय वापसे गौर विद्युत्केशसे राक्षसोंके गंशकी, पृद्धि हुई थी। उत्पन्न होता है। वही मेघ क्रमशः घनीभूत हो कर , . , (रामायण उत्तरफायड ७ अ०) - आकाश मार्ग में परिभ्रमण करता है। जब यह मेघ किसो | विद्य त्केशिन (सपु०) राक्षसराजभेद। शीतल यायुस्तरमें पहुंचता है, तब धोरे धीरे शीतल हो विद्य त्त (स.नि.) १ उयल आलोकविशिष्ट, सम.. कर घना होता है और पीछे उसीसे पृष्ठि होती है। कोलो रोशनीवाला ।, (पु०)२ विद्य त्का भाव था। वृष्टि देखो। धर्म, विजली-पम । जब ये सब मेघ एक जगह जम कर क्रममा घनीभूत | विद्य पताक (सपु०) प्रलयके समयके सात मेघोंमेंसे होते हैं और वात् वृष्टि नहीं होतो, तव उन मेघोंके | एक मघका नाम । यापममें टकरानेसे अग्निस्फुलिङ्ग उत्पन्न होता है। यही विद्युत्पर्णा ( स० स्त्रो०) एक अप्सराका नाम। इसका . विद्युत् है। इस विद्युत्के भइस्पर्श करते ही उसी उल्लेया महाभारतमें आया है। समय मृत्यु हो जातो है। विद्युत्पात (सं० पु० ) विजलीका गिरना, पजपात। . ___अनपढ़ लोगों का विश्वास है, कि विद्युद्दे यो स्वर्गः विधु पुज्ञ (सपु०) १ विद्युन्माला । २ विद्गाधरमे । पालाशों के मध्य अनुपमा सुन्दरी है। मेवसे जब यह - ' (कथासरित्सा० १०८११७७) संसार अधिकाराच्छन्न हो जाता है, तब यह देवाला विद्युत्पुझा (स. स्त्रो०) विद्युत्युञ्जको कन्या। . मेधको आडमें रह कर अपनो कनिष्ठाङ गुलीको सञ्चालन | विद्युत्मंग ( स० वि०) १ विद्युत्के समान प्रभाविशिष्टं। . करती हैं। उसो उगलोको दाप्ति हम लोगोंको विदयुत् (पु.)२एक ऋषिका नाम । ( भारत १३ पर्व ) ३ एक दैत्यका नाम। है। अमेरिकायासो धैज्ञानिक पण्डित वैज्ञामिन झाकलिनने, विध प्रभा ( स० स्त्री०) १ दैत्योंके राजा बलिको पोतो. " का नाम। २ अप्सराओंका एक गण । ३ रखवयं मोमक विशेष गयेपणा द्वारा यह स्थिर किया.है, कि विद्युत् | रक्षराजकन्या। .. . (Lightning) और तड़ितालोक (electric spark) एक विध प्रिय (स.नि.) विद्युत् प्रिया यस्य । १ जिसे हो यस्तु है। साड़ित देखो। विद्युत् या विजली अच्छी लगती हो । (क्लो०) विद्युता । (पु.)५ एक प्राचीन ऋषिका नाम । (नि०) प्रियं, तदाकर्षकत्वान्। २ कास्य धातु, कोसा नामक विगता दुयुत्कान्तिपस्य। ६ निष्पम, जिसमें किसी धातु-या उसका कोई पररान जिसकी थोर विजली जरदो। कारकी दीप्ति या प्रभा न हो। विशिष्टा घुस् दीप्तिर्यस्य ।। खिंचती है। . . . . । ।