विद्युत्य-विद्ध
३६५
विद्य त्य (स त्रि०) ग्द्युिति भव विद्युत्-यत् (पा] विद्युन्मालो उमो विमान पर चढ़ कर सूर्याके पोछे घूमा
४११०)। विद्युदुत्पन्न, विद्युत् या विजलीसे उत्पन्न ।। करता था। इससे रात के समय मी उस विमानको दीप्तिसे
विद्य त्वत् (सत्रि०) विद्युतः सन्त्यस्मिन्निति विद्युत् | अन्धकार नहीं होने पाता था। इससे घबरा कर सूर्याने
मतुप मस्य चत्वम् । १ विद्युद्विशिष्ट, जिसमें विद्युत् । अपने तेजसे यह विमान गला कर जमीन पर गिरा दिया
या विजलो हो, मेघ। (पु.)२ पर्वतविशेष। था। रामायणमें कहा है, कि धर्म के पुत्र सुषेणफे साथ
(इरिषश २२८७५) इंसका युद्ध हुआ था। २ महाभारतके अनुसार एक
विद्यु दक्ष ( स० पु० ) १ विद्युन्नेत्र । २ दैत्यभेद ।। असुरका नाम। ३ एक छन्दका नाम । इसके प्रत्येक
(हरिवंश) चरणमें एक भगण, एक मगण गौर अन्तौ दो गुरु होते
विद्य दुगौरी ( स० स्त्री० ) शक्तिमूर्तिभेद।
हैं। ४ पर्जन्य, मेघ। .
विद्यु होता (स स्रो०) यसन्तसेन राजाको पन्याका विद्युन्मुख (स. त्रि०) १ विद्युत्के समान मुफविशिष्ट,
नाम। (कथासरित्सा० ३३१५५ )
जिसका मुंह विजलोके समान हो। (पु०)२ एक प्रकार-
विद्युद्धस्त ( स० पु०) मरुमे । (मृक् ८७७२५) | के उपनह ।
विधु ध्वज (स० पु०) १ असुरभेद । २ विद्य त्पताक देखो। विद्युलता ( स स्त्री० ) विद्युत, बिजली।
विद्य द्रय (संहि०) १ विद्योतमानपानोपेत, दीप्तिमान् विद्युल्लेखा ( स० स्त्रो०) १ विद्युत्, विजली । २ एक
' यानयुक्त। (ऋक ३।११) २ दीप्तिविशिष्ट रथयुक्त ! | वणिकपत्नीका नाम । (कथासरित्सा० ६६।१२५ ) ३ एक
(भूक २०५४।१३) वृत्तका नाम । इसके प्रत्येक चरणमें दो मगण होते हैं।
विद्यु वर्चस् ( स० त्रि.) १ विद्युत्फे समान दीप्ति- | इसे शेषराज भी कहते हैं।
शाली। (पु०) २ देवगणमेद। (भारत १३ पर्व) विधेन्द्र सरस्वती-वेदान्ततरससारफे रचयिता । पे
विद्युन्मत् ( स० लि.) विशिष्ट दोप्तियुक्त।
कैग्ल्येन्द्रश्चानेन्द्र के शिष्य थे।
विद्यन्महस् ( स० नि०) विद्युत् थियोतनं मह. तेजो विधेश ( स० पु०) १ शिवमूर्तिभेद। २ मुकात्मसम्म
यस्य । विद्योतमानतेजा, जिसकी प्रभा जाज्ज्वल्यमान | दायविशेष ।
| विद्यश्वर ( स० पु०११ पेन्द्रजालिकभेद, एक जादुगर.
विद्युन्मापक ( स० पु.) एक विशेष प्रकारका यन्त्र ।। का नाम । (दशकुमार ४५११) २ विद्यश देखो।
• इससे यह जाना जाता है, कि यिद्युत्का दल कितना विद्योत् ( स० स्रो०) विद्युत् विच् । १ विद्युत्,
और प्रयाद किस ओर है। . .
बिजलो
विधु माल (स० पु०) १ विद्युन्माला दं ।। २ वानरमे । विद्योत (स० वि० ) १ दीप्ति, प्रभा, चमक। २ एक
(रामायण ॥३॥१३) राजाका नाम । ३ एक अप्सराका नाम ।
विद्युन्माला (स. स्त्री०) विद्युतां मेघज्योतीनां माला ! विद्योतक (.स. त्रि.) प्रभाषिशिए।
१ विजलोका समूह या सिलसिला। २ एक छन्द । विद्यातन (स०नि०) दोतिगोल।
इसके प्रत्येक वरणमें आठ गाठ गुरुवर्ण मधया दो | विद्यातिन् ( स० वि०) विद्योत-इनि । प्रमाशील ।
मगण और दो गुरुवर्ण होते हैं और चार यणों पर यति विद्र ( स० क्ली०) ध्यघ-रक दान्तादेशः सम्प्रसारणञ्च ।
होती है। ३पक यक्षिणीका नाम । ४ चोनराज सुरोह । छिद्र, छेद। । . . .।
, की कन्या का नाम । (कथासरित्सा mive) चिद्रप (सलो०) सामभेद । ।
विद्यन्माली (संयु.) १ पुराणानुसार एक राक्षसका / विद्ध (सनि.) १ स्थूल, मोटा ताजा ।२ हद मज-
• माम ।। यह शियका परम भक-या। देवादिदेव महादेवने | - बूत, पका । ३ जो किसी काम के लिपे अच्छी तरह तैयार
इसे एक मत्युग्रवल सुवर्ण विमान प्रदान किया था।' हो। (पु०) ४ विघि देखो। . .
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४७७
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
