पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४८

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बाटो दक्षिण ता पश्चिमकी ओर रहनेसे धन, पुन और लक्ष्मी | अप्रहण, पीप और माघ मासमें दक्षिणको ओर, फागुग, प्राप्त होती है, ईशानकोणम होनेसे सुख प्राप्त होता है। चैत्र गौर वैशाख मासमें पश्चिमकी ओर एवं ज्येष्ठ, एवं इसके अलाये गे वृक्ष किसी भी स्थानमें रहनेसे मापाढ़ और धावण मासमें उत्तरकी और शिर करके मंगलकारक होते है | मकानफे सभी स्थानों में चम्पक वृक्ष शयन करता है। गृहारम्भ काल में यदि नागका मस्तक रोपा जा सकता है । यह वृक्ष गृहस्थोंको मंगल खोदा जाय, तो मृत्यु होती है, पृष्ठमें खोदनेसे पुन मौर. करनेवाला है। इनके अतिरिक्त अलावु, फूष्माण्ड, मायाम्नु भार्याका नाश होता है एवं जंघा पोदनेस धन क्षय होता मुकामुक, खजूर, कटो, पास्तुफ, कारयेल, या कु और है। किन्तु नागयो उदर प्रान्तम मोदनसे सभी तरहसे लताफल ये सय पक्ष शुभप्रद हैं । भयनमण्डपमें रोपे जाने-/ मंगल हो मंगल होता है; इसलिये लोगोंको गृह-निर्माण- के लिये ये समो वृक्ष प्रशस्त .. . फे समय नांगशुद्धिको .ओर अच्छी तरह ध्यान देना . इनके अलावे कितने ही अशुभ वृक्षोंके गाम भी चाहिये। उल्लेख किये जाते हैं, यथा-किसी प्रकारका जंगली वृक्ष गृहका मुम्न पूर्व, पश्चिम, उत्तर या दक्षिण जिम गोर प्राम तथा मकान में नहीं रहने देना चाहिये । वरवक्ष शियिर हो गर्थात् गृहका प्रधान दरवाजा जिस मोर किया जाय के.पास रोपना उचित नहीं , इससे चारोंका भय रहता उसीके अनुसार पूर्व या उत्तरादि मुख स्थिर करके नागः है। पटवृक्षके दर्शन करने से पूण्य होता है; यह वृक्ष । शुद्धिका निर्णय करना चाहिये। ...... नगरमें लगाना चाहिये। भरवृक्षसे धन और प्रमाका गृह-निर्माण करनेके समय ईशान कोणमें देवता निश्चय क्षय होता है, इस लिये यह घन शिविरों का घर, अग्निकोणमें रसोईघर, नैऋतकोणमें शय. लगाना बिल्कुल ही निषेध है; किन्तु हो, नगरमें रहनेसे नागार एवं घायुकोणमें धनागारका निर्माण करना विशेष क्षति नहीं। मूल बात यह है कि यह वृक्ष चाहिये। ग्राम या शहरमें रोपना निषिद्ध नहीं है, वरं ठीक हो नागशुद्धि होने पर भी सभी महीने में घर नहीं बनाना है। घाटोके सम्बन्धमे जो विलकुल हो निषिद्ध है। चाहिये, ज्यातिपक्ति मास, पक्ष, तिथि तथा नक्षत्र अभिश व्यक्ति उसका त्याग करेंगे । वजूरका पेड़ मकान में आदि निर्णय कर भवन निर्माण करनेमें प्रवृत्त हाना रोपना निपिन्द्र है, ग्राम वा नगरमें यह वृक्ष लगानेसे चाहिपे । वैशाख मासमे गृहारम्भ फरनेस धगरत्न लाम हानि नहों। इन स्थानोंमें यह वृक्ष लगाये जा सकते हैं। होता है; ज्येष्ठ मानमे मृत्यु, आपादने धनरम पयं नमा गौर घान मंगलप्रद है । प्राम, : नगर श्रावण मासमें गृहनिर्माण परनेसे पाचन तथा पुतको तथा शिविरमें इश्यक्षका होना बहुत ही मंगलजनक है। प्राप्ति होती हैं। भाद्रपद मासमें घर बनाना अशुभ है, भाशोक और हरांतको वृक्ष प्राम तथा नगरमें रोपनेसे माश्विनमें गृह निर्माण करनेसे पतोनाग, कार्तिक माममें मंगल होता है । मकान मायलेका पेड़ लगाना अशुम है। धनसम्पत्तिलाम, ग्रहण मास मद्धि , शेप मासमें मकानके पास कदम्य वृक्ष नहीं लगाना चाहिये, किन्तु चोरका भय, माघमासमें अग्निभय, फाल्गुन मासमें धन- मकान में यह वृक्ष रोपना शास्त्र में शुमजनदा कहा गया है। पुनादिका लाम एवं चैत्रमासमें गृह निम्माण करनेसे इसके अतिरिक्त मूली, सरसों शाक भी नहीं लगाना | गोड़ा होती है। इस नियमसे मासका निर्णय करके चाहिये, ऐसा हो प्रयाद है, किन्तु शास्त्रमें इसका विधि, नागशुदि देखनी होती है । शुमक्ष गृहारम्भ पा गृह निषेध नहीं देखा जाता। .... ... .प्रवेश करना चाहिये। कृष्ण पक्षमें गृहारम्म या गृहप्रवेश ___ इस प्रणालीसे वृक्षादि लगा कर, पहले नागशुद्धि करनेसे चारोंका.मय रहता है। भाद्रपद आश्विन तथा स्थिर करफे तय गृहादि निर्माण करना चाहिये। कार्तिक माममें उत्तर मुष्पका, अन्नदण, पाप और, माघ नाग घाएतु प्राण गान द्वारा वाम पार्श्व में शयन करता मासमें पूर्वमुपका, चैत्र शोर वैशामामासमें दक्षिण मुन्न ६ भाद्रपद, माश्विन और कार्तिक मासमें पूर्वको गोर! का, ज्येष्ठ, भापद नया धायण मासम पश्चिम मुखका