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· विधुना-विधेय
विधुना-युक्तप्रदेशके इटावा जिलान्तर्गत एक गण्डप्राम, विधुलि-विन्ध्यपादमूलस्थ एक प्राम! .
विधुना तहसीलका सदर। यह रिन्द नदीके किनारे ... . (भविष्यब्रह्मा ८६५).
अवस्थित है। गाँवसे एक मील दूर नदी पर एक पुल | विधुघदनी ( स० स्त्री० ) चन्द्रमाके समान मुखवाली
है। इष्ट इण्डिया रेलपथके भाचालदा स्टेशनसे गांव स्त्री, सुन्दरी स्त्री।
तक गई एक पक्की सड़कसे यहाँका बाणिज्य चलता विधुवन (सं० क्ली) विधु ल्युट् कुरादित्वात् साधु।
है। यहां एक प्राचीन दुर्गका खंडहर देखा जाता है। कम्पन, कांपना।
विध न्तुद (संपु०) विधुतुदति पोड़यतीति विधुतुद विधूत (स.लि.) वि-धूक्त । १ कम्पित, कपिता हुआ।
(विध्यरसोस्तुदः । पा ३२२६३५) इति खस् मुम् । चन्द्रमाको | २ हिलता हुमा, डोलता हुमा । ३त्यत, छोड़ा हुमा।।
दुःख देनेवाला, राहु ।
।' ! ४ दूरोकन, हटोया हुआ । ५निःसारित, निकाला हुमा,
विधुपक्षर (संपु०) विधी पार इव तत्सादृश्यात् ।। बहार किया हुमा। '
खड़ ग, खोड़ा।
विधूति ( स० स्त्री० ) वि.धू-क्तिन् । कम्पन, कापना। ।
विधुप्रिया (स' स्रो०) विधोश्चन्द्रस्य प्रिया। १ चन्द्रमा. विधूनन ( स० क्ली) वि.धू-णिवं ल्युट । कम्पन,
की स्त्री, रोहिणी। २ कुमुदिनी ।
कापना । पर्याय- विधुवन, विधुनन ! :
विधुवाँधु (सं० पु० ) कुमुदका.फूल ।।
विधूप ( स० त्रि०) धूपरहित । ( मार्फ पु० ५२१०५)
विधुर ( स० क्लो०) विगतापूर्भारो यस्मास्, समासे । विधूम (स नि०) विगतो धूमो यस्मात् ।. धूमहि, .
१ कैवल्य, मोक्ष। २ कष्ट, दुह। ३ वियोग, जुदाई। धिना धूपं का।।
४ अलग होनेको किया या भाष। (पु.)५शत : विधून ( स० त्रि०) धूसंरयर्ण, धूमिल या मटमैले
दुश्मन।
रंगका। . ..
(त्रि०) विगता धूः कार्यमारो यस्मात् । ६ विकल, विधूरता ( स० स्त्री०) विधूरस्य माया तल टाप् । विधु-
प्याकुल । ७ दुःखो। ८ मसमथ, असक । परि- रत्व, विधुरका भाव या धर्म ।
व्यक्त, छोड़ा हुमा। १० विमूढ़। ११ घबराया हुआ, | विधृत ( स० क्ली० ) वि धृ.क्त । विशेषरूपसे 'धृत, ..
डरा हुआ।
माकान्त । ।
विधुरता ( स० स्त्री० ) विधुर-तल टाप । 'विधुरका विधृति ( स० स्त्री० ) विधृ तिन् । १ विधारण।
भाव, क्लेश।
| २ देवता।
विधुरत्व ( स० लो० ) विधुरता; लश।
• भागवतमें लिखा है, कि सभो, देवता विधुतिके पुत्र
विधुरा ( स० स्त्री०) विधुर-टाप । १ रसाला । २ हैं; इसलिये उनके नाम वैधृतय हुए हैं। एक समय
कानोंके पीछेको एक स्नायु-प्रन्थि । 'जाद्ध मर्माणि | जब वेद नष्ट हो गया था, तब उन्दोंने अपना तेजोवल ,
चतम्रो धमन्योऽटी मातृका छै ककाटिके द्वे विधुरे' धारण
..... .. . . (सुश त ३६) ., (पु०.) ३ सूर्यवंशीय एक राजाका नाम । विधृतिके...
भावप्रकाशमें लिखा है, कि दोनों कानों के पीछे नीचे पुन हिरण्यनाभ थे। (भागवत ६।१२।३)........
आध आध अगुलकं विधुर नामक दो स्नायुमर्म हैं। ये विष्टि (सं० स्त्री०) प्रणाली, व्यवस्थित नियमादि । '
मर्ग कल्यकर हैं । इनके पीड़ित या खराब होनेसे श्रवण . . .. .. (गाया शो० १२४१३ )
शक्तिका हास हो जाता है । ३ कातर, ज्याकुल, पाड़ित । | विधेय ( स० नि०) विधा (मचो यत् । पा ३२१६५) इति ..
विधुरिता (सं० त्रि०) विधुर तारकादित्यादितच । विरह- यत् ( इत-यति । पा६६५) इति गति ईत् । १ विधानके
यितला, विरक्षकातर। . . . . . . . .'.-/ योग्य, जिसका विधान या अनुष्ठान 'उचित हो।
विधुरीकृत (सं० वि०) निष्पिष्ट ।।.. | २ जिसका विधान हो या होनेवाला हो, जो किया जाय .
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४९८
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