पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५०४

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विनयपहादेवी–पिनष्ट पाली भाषामें लिखे गये हैं । भोट और नेपालसे महा। विनयादित्य-पश्विम चालुपयवशीय एक राजा पूर्ण. . पस्तु नामक एक संस्कृत वौद्ध-अन्धका आविष्कार हुआ। नाम-विनयादित्य सत्याश्रय श्रोपृथ्वीवलम है। इस प्रन्थ के मुत्रबन्धके बाद "भार्यमहासांघिकानां इन्होंने ६६६ ई० में अपने पिता रम विक्रमादित्य सिंहा. लोकोत्तरवादिनां मध्यदेशिकानां पाठेन विनयपिट- | सन पर मारोहण किया था। अपने राजत्वकाल में फस्य महायस्तु आदि पाक्य लिखा है- अर्थात् मध्य- ग्यारहसे १४ वर्ष के बीच इन्होंने द्वितीय नरसिंह यम: देशवासो लोकोत्तरवादी आर्य महासांघिकोंके पढ़नेके परिचालित पलवोंको और फलन, केरल, दय, विनं. लिये विनयपिटकको महावस्तु गादि । इस तरह लिखा मालय, चोल, पाण्ड्य आदि जातियोंको पदानत किया। रहनेसे महायस्तुको भी लोग विनयपिटकके अन्तर्गत हो ये उत्तर देश जीत कर सार्वभौग या चक्रवती राना समझते हैं। किन्तु इस प्रन्यमें विनयपिटकका प्रति बन बैठे। सन् ७३३ ई० में इनकी मृत्युमें पाद इनके पुत्र पाच विषय विवृत न होनेसे बहुतेरे इसको विनयपिटक विजयादित्य राजा हुए। . .. .. के अन्तर्गत मानने पर तय्यार नहीं हैं। विनयादित्य-होयशलवंशीय एक राजा । इन्होंने पश्चिम विनयमहादेवी-त्रिकलिङ्गके गगवंशीय नरपति कामार्णव- चालुक्यराज ६ठे विक्रमादित्य के अधीनस्थ सामन्तरूपसे की महिषो। ये घेदुभ्यवंशीय राजकन्या थो। .. कोकण प्रदेश और भदययल, तलकाड़ और सावियल विनययत् ( स० वि०) विनय अस्त्यर्थे मतुप मस्य व । जिलेके मध्ययत्ती प्रदेशों पर शासन किया। पे गङ्ग, विनयविशिष्ट, विनीत । वशीय कोहनियाके समसामयिक थे । इस समय । विनयवती (सं० स्त्रो० ) वह स्त्री जो नन्न हो । - मैसूरका गङ्गवाही जिला इनके अधिकारमें था। पे सन् . विनयवान ( स० वि०) विनयवत् देखो। ११००ई० तक जीवित थे। इनकी पत्नीका नाम केलेयल विनयविजय-हेमलघुप्रक्रियावृत्तिके प्रणेता तथा तेजपाल-| देवी था। के पुत्र । ये जैनमतावलम्यों थे। विनयित (संपु०) विष्णु ।। (भारत १३/१४६६८) पिनयशील ( स० त्रि०) विनययुक्त, नम्र, सुशील, शिष्ट । विनयिन ( स०नि०) वि-नी-इन् । विनययुक, विनीता, विनयसागर-एक पण्डित । इनके पिताका नाम भीम शिष्ट, नम्र। . .. " और गुरुका कल्याणसागर था !.. इन्होंने कच्छके भोज विनहिन् ( स०नि०) १ सामगानसम्बन्धी। २ उच्च , राजके लिये भोजव्याकरण लिखा। शब्दकारी, बहुत गरजने या चिल्लानेवाला। विनयसिंह-चम्पापो अन्तर्गत नयनी नगरके राजा।। विनवन (हिं० फि) यिनपना देखो। - (भविष्य ००० ५२।६५) विनशन (स फ्लो० ) विनश्यति अन्तई धाति सरस्वत्य- विनयसुन्दर-किरातार्जुनीयप्रदीपिकाके रचयिता। ये ति, विनश-अधिकरणे ल्युट । १कुरुक्षेत्र । धि- यिनयराम नामसे भी प्रसिद्ध थे। नश भावे ल्युट । २ विनाश, नट होना। विनयसूत्र ( स० लो० ) बौद्धोंकी विनय और सूत्रविधि ।। विनय समति-दर्शकालिंकसूत्रवृत्ति के रचयिता। विनश्वर (सं० त्रि०) वि-नश वरच् । अनित्य, सब विनयस्थ (स० वि०) विनये तिष्ठतीति स्था-क । आशा. दिन या बहुत दिन न रहनेवाला, नष्ट होनेवाला, ध्वंस. शील, अचिरस्था यो। कारी। पर्याय-विधेय, आश्रय, वचनस्थित, पश्य, प्रणेय । (हेम) विनश्वरता ( स० स्त्री०) विनश्वरस्य भावः तल टाप । . विनयस्वामिनी ( स. स्त्री०) एक राजकुमारीका नाम । चिनश्वरत्व, अनित्यता, अचिरस्थायित्वं । । ..." .(कथासरि० २४१४) विनष्ट ( स० लि. ) विनशत, ततो पत्वं तस्य घिनया ( स० स्रो०) चाटयालक, परियारी।। ट। १नाशाश्रय, नाशको प्राप्त, जो घरवाद हो गया विनयादित्य ( स० पु०) कांशमोरराज जयापोड़की एक | 'हो, - जिसका अस्तित्व मिट गया हो ।' २ पतित,.. , नाम । (राजतरङ्गियो ४३५१६ ). ......... | जिसका आचरण विगड़ गया हो, भ्रष्ट। ३ मृत, मरा,