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विनिगृहित-विनियुक्त
तरावधारणा; सन्दिग्ध स्थलमें विविध युक्ति.या प्रमाण- | विनिध्यस्त,(सं० लि.) ध्वसप्राप्त, जो नष्ट हो गया हो।
प्रदर्शनपूर्वक विचार करके जिस एक पक्षकी निश्चयता- विनिनीषु (सं० त्रि०) विनेतुमिच्छः घि-नी-सन् 'सना.
को जाती है, उसीका नाम विनिगमना है अर्थात् दो मांसेति' उ । विनय करने में इच्छुक, विनती करने.
पक्षोंके सन्देवस्थलमें जिन सब युक्तियों या प्रमाणों द्वारा वाला।
पक्षमा निर्णय किया जाता है, पैशेषिक दर्शनकार लोग विनिन्द (io त्रिक) वि-निन्द-भच । निन्दाकारक, शिका-
उसोको विनिगमना कहते हैं।।
यत करनेवाला। .
"पक्षद्वपसन्देहे एकतरपक्षपातिनी युक्तिर्विनिगमना ।" चिनिन्दक (सं० वि०) विनिन्दयति गिन्दि ण्वुल । विशेष.
. . (पैशेषिकदर्शन ) | रूपसे निन्दाकारक, अत्यन्त निन्दा करनेवाला ।
उक्त विनिगमना या पतरपक्षपातिप्रमाणका | विनिन्दा (सं० वि०) अतिशय निन्दा,।
भाव होने पर विरोधकी जगह किसी दूसरे उपायले | विनिन्दित ((सं० वि०) लाञ्छित, जिसकी बहुत निन्दा
कार्य करना होता है। जैसे किसी अनिदिए सीमा- हुई हो। ,
चन्छिन्न प्रदेशमें सुवर्णादिकी खान उत्पन्न होने पर वह | विनिन्दिन् (सं० स्त्री०) वि.निन् णिनि । निन्दाकारक।
खान किसको सीमामें पड़ती है तथा उस पर किस विनिरतित (स.नि.) अधाक्षिप्त ।
. व्यक्तिका अधिकार होगा, यह पिनिगमनाभाय अर्थात् विनिपात (सं० पु०) विशेषेण निपतनं दिन-पत-धम् ।
किसी एकपक्ष विशेष प्रमाणभाव में पैशेषिक व्यवहारमें | १ निपात, विनाश, घरवादी । २ वध, हत्या । ३ अपमान,
(घेशेषिकके मतसे सम्पत्तिके विचारानुसार) विभागका | मनादर, नज़रसे गिरना। ४ देवादि व्यसन ।
अयोग्य होने के कारण गुटिकापातादि अन्य उपाय अवल. | यिनिपातक (सं० लि.) यिनि पत णिच् ण्युल ।
म्यन करके उसका विभाग करना होता है।
१ यिनिपातकारो, विनाश करनेवाला। २ संहारकर्ता ।
२ निश्वयोगय । ३ सिद्वान्त, नतीजा। | ३ अपमानकारो। .. ।
विनिहित (सं० लि. ) गोपक, छिपानेवाला। .. . विनिपातित (सं० त्रि०) १ मिक्षिप्त, फेका हुभा।
विनिप्रद ( स० पु.) १ नियमन, घंधोज, प्रतिवन्ध । २ २ विशेषरूपसे विनए। (दिल्या. ५५.१६)
संयमन, मानी किसी पृत्तिको दवा कर अधीन करना। | विनिपातिन् (सं० वि०) घि-णि पत-णिनि । चिनिपात-
३ अवरोध, कायर। जैसे–'मूत्रविनिप्रह' ( सुश्रुत०) शोल, विनाशकारी। ।
४ प्याघात, वाधा।
[विनिवर्ति ( स० लो०) विराम । (दिव्या० ४१६।१६)
विनिप्राह्य ( स० वि०) अवलीलाकमसे निग्रह करनेके विनिवारण (० वि०) विशेषरूपसे निवारण ।
• उपयुक्त, निपीड़नके योग्य ।
विनिवर्पण (सं० त्रि०), ध्वसकर, नाश करनेवाला ।
पिनिन (सं० वि०) १ नष्ट, वरवाद । २ गणित, गुण | विनिवहिन् (सं० नि०) व सकारी।
किया हुआ।
विनिमय ( स० पु० ) विनि-मी-अ। १ परिदान, परि-
विनिद्र (सं० वि०) विगता निद्रा मुद्रणा पंस्य । १ उन्मो पर्शन, एक वस्तु ले कर बदले में दूसरी यस्तु देनेका
लित । २ निद्रारहित । (फ्लो०) ३ अस्त्रका पक संहार व्यवहार, अदल बदल । २ बन्धक, गिरयो। ,
- जिससे मस्त्र द्वारा निद्रित या मूर्छित व्यक्तिको नींद | विनिमेप (२० पु०) निमेषरादित्य । ,
'या बेहोशी दूर होती है।
विनियत (स.नि.) विनियमता १ निवारित,
विनिद्रक ( स० वि० ) निद्वारहिस, जिसकी नींद खुल | निरुद्ध ।२ संयत । ३ बद्ध । ४ शासित ।।
गई हो, जागरित ।., . . . . . विनियम (Ei० पु०) पि-नि-यम-धन । निधारण, निरोध,
चिनिद्रव्य (को०) यिनिद्स्य मायः त्य । १ यिनिद्रका | निषेध ।
भाव या धर्म, प्रबोध, जागरण । २ निद्रारहितत्व!: ! विनियुक (स० निक) वि.नि-युज-क्त। १ नियोजित,
. Vol. XxI, 108
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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५०७
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