पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५०७

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४२१ विनिगृहित-विनियुक्त तरावधारणा; सन्दिग्ध स्थलमें विविध युक्ति.या प्रमाण- | विनिध्यस्त,(सं० लि.) ध्वसप्राप्त, जो नष्ट हो गया हो। प्रदर्शनपूर्वक विचार करके जिस एक पक्षकी निश्चयता- विनिनीषु (सं० त्रि०) विनेतुमिच्छः घि-नी-सन् 'सना. को जाती है, उसीका नाम विनिगमना है अर्थात् दो मांसेति' उ । विनय करने में इच्छुक, विनती करने. पक्षोंके सन्देवस्थलमें जिन सब युक्तियों या प्रमाणों द्वारा वाला। पक्षमा निर्णय किया जाता है, पैशेषिक दर्शनकार लोग विनिन्द (io त्रिक) वि-निन्द-भच । निन्दाकारक, शिका- उसोको विनिगमना कहते हैं।। यत करनेवाला। . "पक्षद्वपसन्देहे एकतरपक्षपातिनी युक्तिर्विनिगमना ।" चिनिन्दक (सं० वि०) विनिन्दयति गिन्दि ण्वुल । विशेष. . . (पैशेषिकदर्शन ) | रूपसे निन्दाकारक, अत्यन्त निन्दा करनेवाला । उक्त विनिगमना या पतरपक्षपातिप्रमाणका | विनिन्दा (सं० वि०) अतिशय निन्दा,। भाव होने पर विरोधकी जगह किसी दूसरे उपायले | विनिन्दित ((सं० वि०) लाञ्छित, जिसकी बहुत निन्दा कार्य करना होता है। जैसे किसी अनिदिए सीमा- हुई हो। , चन्छिन्न प्रदेशमें सुवर्णादिकी खान उत्पन्न होने पर वह | विनिन्दिन् (सं० स्त्री०) वि.निन् णिनि । निन्दाकारक। खान किसको सीमामें पड़ती है तथा उस पर किस विनिरतित (स.नि.) अधाक्षिप्त । . व्यक्तिका अधिकार होगा, यह पिनिगमनाभाय अर्थात् विनिपात (सं० पु०) विशेषेण निपतनं दिन-पत-धम् । किसी एकपक्ष विशेष प्रमाणभाव में पैशेषिक व्यवहारमें | १ निपात, विनाश, घरवादी । २ वध, हत्या । ३ अपमान, (घेशेषिकके मतसे सम्पत्तिके विचारानुसार) विभागका | मनादर, नज़रसे गिरना। ४ देवादि व्यसन । अयोग्य होने के कारण गुटिकापातादि अन्य उपाय अवल. | यिनिपातक (सं० लि.) यिनि पत णिच् ण्युल । म्यन करके उसका विभाग करना होता है। १ यिनिपातकारो, विनाश करनेवाला। २ संहारकर्ता । २ निश्वयोगय । ३ सिद्वान्त, नतीजा। | ३ अपमानकारो। .. । विनिहित (सं० लि. ) गोपक, छिपानेवाला। .. . विनिपातित (सं० त्रि०) १ मिक्षिप्त, फेका हुभा। विनिप्रद ( स० पु.) १ नियमन, घंधोज, प्रतिवन्ध । २ २ विशेषरूपसे विनए। (दिल्या. ५५.१६) संयमन, मानी किसी पृत्तिको दवा कर अधीन करना। | विनिपातिन् (सं० वि०) घि-णि पत-णिनि । चिनिपात- ३ अवरोध, कायर। जैसे–'मूत्रविनिप्रह' ( सुश्रुत०) शोल, विनाशकारी। । ४ प्याघात, वाधा। [विनिवर्ति ( स० लो०) विराम । (दिव्या० ४१६।१६) विनिप्राह्य ( स० वि०) अवलीलाकमसे निग्रह करनेके विनिवारण (० वि०) विशेषरूपसे निवारण । • उपयुक्त, निपीड़नके योग्य । विनिवर्पण (सं० त्रि०), ध्वसकर, नाश करनेवाला । पिनिन (सं० वि०) १ नष्ट, वरवाद । २ गणित, गुण | विनिवहिन् (सं० नि०) व सकारी। किया हुआ। विनिमय ( स० पु० ) विनि-मी-अ। १ परिदान, परि- विनिद्र (सं० वि०) विगता निद्रा मुद्रणा पंस्य । १ उन्मो पर्शन, एक वस्तु ले कर बदले में दूसरी यस्तु देनेका लित । २ निद्रारहित । (फ्लो०) ३ अस्त्रका पक संहार व्यवहार, अदल बदल । २ बन्धक, गिरयो। , - जिससे मस्त्र द्वारा निद्रित या मूर्छित व्यक्तिको नींद | विनिमेप (२० पु०) निमेषरादित्य । , 'या बेहोशी दूर होती है। विनियत (स.नि.) विनियमता १ निवारित, विनिद्रक ( स० वि० ) निद्वारहिस, जिसकी नींद खुल | निरुद्ध ।२ संयत । ३ बद्ध । ४ शासित ।। गई हो, जागरित ।., . . . . . विनियम (Ei० पु०) पि-नि-यम-धन । निधारण, निरोध, चिनिद्रव्य (को०) यिनिद्स्य मायः त्य । १ यिनिद्रका | निषेध । भाव या धर्म, प्रबोध, जागरण । २ निद्रारहितत्व!: ! विनियुक (स० निक) वि.नि-युज-क्त। १ नियोजित, . Vol. XxI, 108 1-51