पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५०८

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विनियोक्तृ-विनिवार्य किसी काममें लगाया हुमा । २ गति । ३ प्रेरित भयरहित, भयशून्य, निर्भय । (०)२ साS विनियोफ्त (स.नि.) वि.नि-युज तृच । नियोगकारी, | विशेष, देययोनिभेद। - किसी काममें लगानेवाला। विनिर्भोग (स० पु०) कल्पभेद । - .. विनियोग (सं० पु०) वि.नि-युज-घन । किसी फलके विनिर्मल ( स० त्रि०) विशेपेण निर्गला। बहुत निर्गल. उद्देश्यसे किसी वस्तुका उपयोग, किसी विषय में लगाना | या खच्छ । प्रयोग । २किसी चैदिक कृत्यमें मन्त्र का प्रयोग । ३पण, विनिर्माण (सलो०) पि.निर-माल्युट । विशेषरूप- भेजना। ४ प्रवेश, घुसना । . . . . | से निर्माण, अच्छी तरह पनाना। विनियोजित (स० लि०) वि-नि-युज-णिच् त । १ विनि-विनिर्मित ( स० वि०) विशेषरूपसे निर्मित, खूब अच्छो . युक्त । २ अर्पित । ३ स्थापित । ४ नियुक्त । ५ प्रेरित । | तरह बना हुआ। ६ प्रवर्तित। यिनिर्मिति (स स्त्री० ) निरमा ति निर्मिति, विशे.. विनियोज्य (स. त्रि०) यिनि-युज णिच्-यत् । विनिः | | पेण निर्मितिः । विशेषरूपसे निर्माण, भच्छी तरह योगाई, नियोगके उपयुक्त। बनना। विनिर्गत (स. त्रि०) वि.निर-गम क । १ मिास्त, यिनिक (संत्रि०) वि.निर मुनक्त । १ यहिर्गत, . ' घहिर्गत, जो बाहर हुमा हो। २ निष्क्रान्त, गया हुआ, वाहर निकला हुआ । २ मनाच्छन्न, जो खुला हो या जो चला गया हो। ३ अतीत, योता . हुआ। ढका न हो। ३ उद्ध त, धन्धनसे रहित, छूटा हुआ। विनिर्गम ( स० पु०) वि-निर्गम-अप्। १ विनिर्गम, | यिनिमुक्ति ( स० स्त्री०) १ उद्धार। २ मोक्ष। पहिर्गमन, थाहर होना, निकलना। २प्रस्थान, चला विनिर्मोक (स० पु०) १ प्यतिरेक, अभाव । (नि०) विगता जाना। विनिर्घोप (स'० पु०) बि-निर्घुप धम्। विशेषरूपसे निर्मोको यस्य । २ निर्मोक रहित, विना पहनावेका, वस्त्र- रहित परिधानशून्य । निर्घोप, घेर शब्द । । विनिर्जय ( स० पु०) वि.निर:जि-धन। विशेषतपसे विनिर्मोक्ष (स० पु०) १ निर्वाणमुक्ति। २ उद्धार । जय, पूरा फतह । विनिर्यान (स'० लो०) वि-निर्-या व्युट । गमन, जाना। विनिर्जित (स० नि०) यि-निर्-जि-क । विशेषरूपसे | (रामा० १।४।११६) . निर्जित, पराजित, पराभूत । . . . विनिर्वहण (सलो० ) ध्वंसकर । विनिई हनी (स स्त्रो०) वि-निर्दह ल्युट, स्त्रियां ङोप्। चिनिच ( स० लि. ) वि.निर-गृत-क। सम्पन्न, .१ आरोग्यका उपाय, गोपध । २ दहनकारिणी । ३ दहन. समाप्त। कर्म द्वारा चिकित्सा । (सुश्र त) विनिवर्त्तन (स' फ्लो०) वि निर्-त ल्युट् । प्रत्यायन, घिनिद्देश्य (स० वि०) वि.निर्-दिश-यत् । विनिदिए, लौटना । विशेषरूपसे निदिए। विनिर्शित (स.नि.) विनि वृतक्त। प्रत्यावर्तित, विनि—त (स० वि०) वि-निर् धू.क्त । दुर्दशाग्रस्त, जिस- लौटा हुआ। को हालत बड़ी धुरी हो गई हो। . . विनियर्शिन् ( स० त्रि०) विनिवर्तयति, वि-निवृत. विनिन्धि ( स० पु०) विनिर बन्ध-घम् । विशेषरूप- णिनि । विनिवर्शनकारक, लौटानेवाला । से निधि, अतिशय निर्गन्ध । विनिवारण ( स० लो०) विनि-वृ-णिच् न्युट्। विशेष- यिनिहु ( स० पु० ) यह जिसकी भुजा लड़ाई में कट गई। रूपसे निधारण, विशेष निषेध । (रामायण श६६।२२) | घिनिवार्य (स' स्रो० ) विनि-य-प्यत् चार निवारणाई.. विने ( स० वि०) विशे पेणं निर्नास्ति भय यस्य। ' निपेधके योग्य। . . : . . . . .