पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५१२

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यिन्दुघृत-विन्धुघारी "भासीहिन्दुस्ततो नादो नादाच्छक्तिः समुद्भवा । . | तोला, सैन्धव ४ तोला, मिसाथ ८ तोला, गायलेका रस नादरूपा महेशानी चिद्रू पा परमा फलो ॥ ३२ तोला, जल ४ सेर। धीमी भांचम पका कर पूर्वोक्त । नादाच्चैय समुत्पन्नः अदविन्दु महेश्वरि । .. अवस्थामै उतार रग्वे । प्लीहा बीर गुल्मरोगमे २ तोला । साद रितयविन्दुभ्यो भुजली फुफ पहली ॥" सेयन किया जाता है। इससे अन्यान्य रोगका भी उप. ' विन्दु हो पहले एकमात्र था, उसके बाद नाद तथा | कार होता है। ... नादसे शक्तिको उत्पत्ति हुई है। विपा परमा फला | बिन्दुभित्रम् ( स० पु.). विन्दुमिरिचविशेषभित्र जो महेश्वरी है, घे ही नादरूपा हैं। नादसे अदविन्दु ! इव। मृगमेइ, यह मृग जिसक शरीर पर गोल गोल निकला है। माढ़े तीन बिन्दुसे हो कुलफुण्डलिनी, सफेद युदिकयां होती है. मफेद चित्तियों का हिरन । भुजङ्गी हुई हैं। | विन्दुजाल (स० की० ) विन्दूना जालम् ! सफेद फिर क्रियासारमें लिखा है- विदियों का समूह जो हाघीके मस्तक और सूड पर "विन्दुः शिवात्मकस्तत्र पोज शक्त्यात्मक स्मृतम् । यनाया जाता है। .. तयोयोगे भयेन्नादस्ताभ्यो जातास्त्रिशक्तयः॥" विन्दुमालक (स छी० ) विन्दुमा जालकम् । हाथियों- विन्दु हो शिवात्मक और धीज दो शपत्यात्मक है। का पाक नामक रोग। दोनों के योगसे नाद तथा उनसे त्रिशक्ति उत्पन्न हुई है। बिन्दुतरत ( स० पु०) विन्दुनिद्र' सन्न' यस्य । १ तुर. ८ एक यूद परिमाण | मान्य। १० रनोंका एक नक। २ अक्ष, चौपड़ गादिको विसात, सारिफलक । शेष या धमा । यह चार प्रकारका कहा गया है-मावर्त/. पिन्दतन्त्रः पुमान शारिफटके न तुरझके" (गोल), चर्स ( लम्या ), भारत (लाल) गौर यय विन्दुनीर्थ-काशोके प्रसिद्ध पञ्चनद तीर्थका नामान्तर (जौके साकारका)। ११ छोटा टुकड़ा, कर्ण, फनी। १२, जहां विन्दुमाधवका मन्दिर है, पञ्चगङ्गा मज या सरकडेका धूमा। . विन्दु माधन और विन्द सर देखो। . (त्रि०) विद शाने उ. नुमागमश्व (विन्दुरिछुः । पी | विन्दुत्रिवेणी ( स० स्त्री.) गानों स्वरसाधनको एक . ३२२१६६)। १३ शाता, घेत्ता, जानकार ।१४ दाता । १५ / प्रणाली। इसमें तीन बार एक स्वरका उच्चारण करके . वेदितव्य, जानने योग्य। पक धार उसके बाद स्वरका धारण करते हैं । फिर विन्दुघृत (स' फ्लो०) उदर रोगको एक औषध ।। तोन वार उस दुसरे एयरका उच्चारण करके तीसरे पर प्रस्तुतप्रणालो-यो चार सेर, अकयनका दूध १६ तोला, का उच्चारण करते हैं और मातमें तान वार सातवे स्वर थूहरका दूध ४८ तोला, हरीतकी, कमलाचूर्ण, श्यामा | का उच्चारण करके एक बार उसके अगले सप्तक के पहले . लता अमलतासके फलकी मजा, श्वेत अपराजिताका | स्वरका उच्चारण करते हैं। मूल, नीलवृक्ष, निसोथ, दन्तोमूल और वितामूल, विधुधारो-उत्कलवासी वैशवसम्प्रदाय विशेष। यह प्रत्येक ८ तोला ले कर कुछ चूर्ण करे। पीछे उक्त घृत विप्रहसेवा, मच्छयदान, और बङ्गालपासी गन्यान्य तथा उसमें १६ सेर जल डाल कर एकन पाक करे। गौड़ीय वैष्णयों के मनुष्ठेय सब धर्मानुयान ही करते हैं। जल निःशेष हो जाने पर नीचे उतार कर छान ले गौर | तिलफवाको विभिन्नतामे कारण हो इस सम्प्रदायका एक मिट्टीफे परसनमें रण छोड़े। इस घृतके जितने नाम विन्दुधारी पड़ा। इस सम्प्रदायक लोग ललारको बिन्दु संघा कराये जायगे उतनो पार विरेचन होगा। दोनों भौंहों के बीचके कुछ ऊपर गोपीचन्दनका एक छोटी . इससे सभी प्रकारके उदरो तथा अन्याय रोग नष्ट होते. विन्दु धारण करते हैं। ... .. ... विन्दुधारियों में ग्रामण, खण्डत ककार आदि . महाबिन्दुघृत - वनानेका तरीका इस प्रकार है, घो| जातियां हैं। इस सम्प्रदायो यूद्र जातीय लोग भेक ले २ सेर, शृक्षरका द्ध १६ तोला, कमला नीबूका चूर्ण ८ कर होरकोपीन धारण कर सकते हैं । इसके बाद तीर्थ