पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५४०

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४६० विभाग देखे । ' शंतलिखित सुष्यकरूपसे कहा है-'पिताके । 'मातृकमसे उससे छोटो.भाई उससे छोटा यमय अशक्त हो जाने पर ज्येष्ठ पुत्र विषयफार्या निर्याह फरे अषया बैल ले। ज्येष्ठा नाका गर्भज ज्येष्ठ पुत्र वृषभ और दा कार्याशील' दूसरा भ्राता उनकी आशा ले कर उसका गाय ले। इसके बाद अन्यान्य पुत्र अपने अपने माद कार्य करे। किन्तु पिता वृद्ध, विपरीतचित्त अधया दीर्घ | फमसे लें। रोगी होने पर भी उसको इच्छा न होने पर विभाग नहीं मनु और दम्पतिका कहना है, कि द्विजातियोके हो सकता। ज्येष्ठ ही पिताको तरह गन्यान्य भ्राताओं पुत्र सवर्णा स्त्रीको गसे उत्पन्न हुए हों, उनमें अन्यान को विषयरक्षा करे, ( क्योंकि ) परिवारका पालन भाई ज्येष्ठको उद्धार दे कर अपने सम भाग ले। . धनमूलक है। पिताके रहते वे स्वाधीन नहीं हैं, माता- वहस्पतिका मत-दायादों में दो तरहका विभाग है के रहते भी नहीं।' इस पचनसे पिताका कर्माक्षम एक ययोज्येष्ठ कमसे और दूसरा समम शकी कल्पना अथवा दीगो होने पर भी विभाग निषिद्ध है। जन्म, विद्या मोर गुणसे जो ज्येष्ठ है, ये दायरूप धनके र ज्येष्ठ पुत्र हो विषयको चिन्ता करे या उसका छोटा अंश पायेंगे गौर अन्यान्य भाई सम भाग मागीदा भाई यदि कार्यादक्ष हो तो यही उसकी अनुमतिसे होंगे। ज्यष्ट उनके पितृतुल्प है। कार्या चलाये। मतपत्र पिताकी इच्छा न होने पर वशिष्ठका कहना है-भाइयों में दायका दो म विभाग नहीं हो सकता', यह कहे जानेसे पिताके कर्माक्षम और प्रत्येक दश दश गाय और घोड़ी में एक पक ज्येष्ठ होने पर जो धन विभाग होगा, वह भ्रान्ति धशतः और वारा भेड़ा, और एक घर गिष्ठ तथा कृष्णलौद भी लिखागया है। गृहके उपकरण या द्रव्यादि मध्यम ले।' पिष्णुके मतसे- सवर्ण भ्राताओंका विभाग उद्धारपूर्वक या समान 'सवर्णा स्रोका गर्भज पुत्र समान भाग लें किन्तु ज्येष्ठ इन दोनों तरहसे कहा गया है। । श्रेष्ठ दम्य उद्धार कर दें। . मनुके मतसे "विंशोद्धार और सब द्रव्यों में जो श्रेष्ठ है। ___ हारोतके मतसे-गो आदि पशुओं का भाग करने के वह ज्येष्ठका है, उसका माधो मध्यमका, भोर तृतीयांश समय ज्येष्ठका एक परम दे अथया श्रेष्ठ धन ने शोर सर्थात् गस्सी भागमें १ माग कनिष्ठका है। ज्येष्ठ गौर उन्हें विना तथा पितृयह दे कर मत्य भ्राता बाद कनिष्ठ कथितरूपसे ही विमाग ले । ज्येष्ठ और कनिष्ठ निकल कर गृहनिर्माण करें। एक गृह रहने पर उसफ के सिवा अन्यान्य भ्राता मध्यमा उद्धार पायेगे। उत्तमांश ज्येष्ठको दें और अन्य भ्राता मसे ( उत्तम सब तरह के धनमें जो श्रेष्ठ और जो सब उत्कृष्ट है, गश ) ले चे और गाय आदि दश पशुओं में जो श्रेष्ठ , यह ज्येष्ठ । ___आपस्तम्यने कहा है-'देशविशेषों सुवर्ण, काल पुत्रको लेना चाहिये। जो भाई अपने कर्त्तव्यमें निपुण | गाय, भूमिका कृष्ण शस्य और पिताके सभी पार हैं, उनमें दश घस्तुओंसे श्रेष्ठोद्धार नहीं, कयल । ज्येष्ठ के है। मानयनुनके लिये ज्येष्ठको किञ्चित् अधिक देना होगा। शङ्कलिखित मतसे-'ज्येष्ठको एक वृषम भी यदि उद्धार उद्धत न हो, तो इमी तरहसे उनके अशकी कनिष्ठको पिताके अवस्थान के सिमा अन्य घर भी दिय कलाना करनी होगो । ज्येष्ठ पुत्रको दो माग और उससे / जा सकता है।' छोटेको डेढ़ भाग देना चाहिये और उससे सभी छोटे : गौतमको व्यवस्था है, कि (दायका) बोस भाग भाई समान पक-एक अंश ले। यही धर्मशास्त्रको । एक जोड़ा (गाय), दोनों जबड़ों में दांत हो ऐसे

घ्यवस्था है। ज्येष्ठा स्त्रोके गर्भसे कनिष्ठ पुत्र उत्पन्न पशुओंत जुना रथ और गुचिणी करनेके लिये गुप

होनेसे और कनिष्ठ स्त्रोके गर्भसे ज्येष्ठ पुत्र उत्पन्न होने : ज्येष्ठको और भन्या, चूहा, सिंग टूटा, घएडा पशु मध्यम से किस प्रकार विभाग,करना होगा। इस तरह के संशय भाईको । यदि ऐसे पशु बहुत हो तो बांध, धान्य, लौह, होने पर ज्येष्ठ एक वृषभका : उद्धार कर ले, अपने अपने गूह, गाहो और प्रत्येक चौपामि एक एक कनिष्ठों को