पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५५३

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विभीपण-विभुवरी ४७३ रामचन्द्र रावणके वलावलका हाल जागने में समर्थ हुए विभीषणा (सं० सि० )१ भयानक, डरावनी ( स्त्री०) थे। इसके फलसे उनको भयिष्यमें वही सुविधा हुई थी।. २एक मुद्वर्तका नाम । इसके बाद रामचन्द्र ने लडामें गा कर पड़ाय डाला। विभीपा (सं० स्त्री०) विभेतुमिच्छा, मो सन, विभीप.. विभीषण सदा उनके पाश्च र दो कर रहे । लङ्काम महा टाप । भय पानेको इच्छा। समर उपस्थित होने पर विभीषण एक भात्री, सेनापति 'विमीपिका (सं० स्त्री०) विभीषा म्याथै-कन-स्त्रियां-टाप और सन्धियिप्रोका काम देखने लगे। जय लक्ष्मणको । अत इत्वञ्च । १ भयमदर्शन, उर दिखाना।२ भयङ्कर बात, शक्ति लगी थी, उस समय विभीषणने ही सुपेण वैद्यका भयानक दृश्य । पता पतला औषधि कराई थी। इसके बाद मायासीताको विभु (सं० पु०) वि.भू (विसंप्रसंभ्योडु संज्ञायां । पा ३२२१८०) दिखा इन्द्रजित्ने जय फपिसैन्यको मोहित किया था और इति दु । १ प्रभु, स्वामी। २ शङ्कर, महादेय। (भारत रामचन्द्र सीताका मृत्यु-संपाद सुन कर यहुत कातर हो | १२१११६) ३ ग्रह्म । (मदिनी) ४ भृत्य, नौकर । (त्रिका) गये, उस समय भो विभायणने इन्द्रजितका मायाजाल ! ५विष्णु । (भारत १३१४६।१०७) ६ जीवात्मा, आत्मा। वतला उनका भ्रम निवारण किया था। फिर विमोपणके | श्वर। (भृक 18R) (त्रि०) ८ सयापक, जो सर्वत्र ही साहाय्यसे निकुम्भिला यक्षागारमें इन्द्रजित्को मार यरीमान हो। जोधको जाप्रत शादि चारों अस्थागोफ सालने में लक्ष्मण समर्थ हुए थे। किन्तु महायोर दशानन चार विभु माने गये हैं। जाप्रतका घिभु विश्व, स्वप्नका रामचन्द्र के भाराघातसे जब भूपतित हुआ तब विभीषण तेजस, सुपुस्तिका प्राश और तुरीयका ब्रह्म कहा गया है। भ्रातृशोक विभोर हो उठा। धार्मिकप्राण ज्येष्ठ भाईका सर्वन गमनशील, जो सब जगह जा सकता हो । अधणात सह्य न सके। कविगुय यामोफिने विभीषणके । १० नित्य, सब कालमें रहनेवाला । ११ अंह, रात दिन । इस समयका विलाप पेसा सुन्दर चित्रित किया है कि ! १२ अत्यन्त विस्तृत, बहुत बड़ा । १३ हृढ़, चिरस्थायी। उसको पढ़ कर पापाणहृदय भी द्रवीभूत हो जाता । १४ महान, ऐश्वर्ययुक्त। है। अन्तमें ज्येष्ठ भ्राताके उपयुक्त प्रेशरत्य समाप्त कर विभुनातु (स.त्रि०) बलशाली, शतु को परास्त करने. रामचन्द्रकी माशास विमोपण हो लङ्काफे अधिपति हुए। | घाला। पमपुराणके मतसे-विभीषणकी माताका नाम विभुन (स.नि.) यि-भुज-क्त । ईपत् भग्न, कुछ टूटा- निकपाश है। हाल के वड़ोय कृतियासी रामायण में यिभो. हुमा। पणके तरणीसेन नामक एक पुत्रका नाम दिखाई देता है। विभुज (सं.लि.) १ विवाहु । २ वक्र । भूमविभुज देखो। जैनोंके पमपुराणमें विभीपणका चरित्र भिन्नभावसे विभुता (स० स्त्री०) १ विभु होनेका भाव, सर्वव्यापकता। चित्रित है। उसके अनुसार विभीषण एक प्रसिद्ध जिन २ऐश्वर्य, शक्ति । ३ प्रभुता, ईश्वरता। ४ अधिकार। भक्त, परमधार्मिक और संसारविरक्त पुरुप माने गये हैं। - पहले ही कद आये हैं, कि यिभीषण अमर हैं। महा- विभुत्व (स' क्लो०) विभर्भािव त्य । विभुका भाव या धर्म, भारतसे जाना जाता है कि ये युधिष्ठिरके राजसूय यज्ञमें | विभुका कार्य। उपस्थित थे। उत्कलफे पुरुषोत्तम जनसाधारणका घिभुदत्त-गुप्तवंशीय, महाराज हस्तिन्का सान्धिविन। विश्वास है, कि आज भी विभीषण गंभीर निशा। इनके पिताका नाम सूर्यादत्त था। जगन्नाथ महामभुकी पूजा करने के लिये आते हैं। विभुप्रमित (२० वि०) विभुके समान । - ४ माम्जनेय-स्तोत्रके रचयिता। - विभुमत् (स'०नि०) विभु अस्त्यर्थे -मतुप। विभुत्य. युक्त, महत्त्वयुक्त । (ऋक् १८१६) पा माल्मीकीय रामायणके युद्धकापडमे भी विभीषण 'निकपा | विभुवरो (स' स्रो०) विम्वन् । ( पाठक ३५॥३) नन्दन' रूपमें अभिहित किये गये है। (यु०का०६२ स०) विम्वन् देखो। Vol. XXI 119,