विभूतिमत्-विभेद्य
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कर विभूति लाभ फरेंगे। जो इस व्रतका अनु। विभूष्य ( स० वि०) १ विभूपित करने योग्य, सजाने
छान करता है, वह सब पापोंसे मुक्त होता और उसके | लायक। २ जिसे गहनों आदिसे सजाना हो ।
पितृगणका उद्धार होता है । शतसहन वर्ष उनके शरीर- | विभृत (सं०नि०) वि-भृक्त । धृत, पकड़ा हुमा। २ पुष्ट,
में कोई व्याधि न होगी और न शोक दारिद्रा ही होगा। | मोटा ताजा।
बहुत दिनों तक वह स्वर्गसुख भोग करेगा। विभृत (स० वि०) १ नाना स्थानों में विकृत (शक १६५२)
(माविष्यपुराण) | २ अग्निहोत्रकर्शमें विहरणकारी।
विभूतिमत (सं० त्रि०) १ ऐश्वर्यवान्, शक्तिसम्पन्न ।।
(ऋक् १७१३ भाप्यमें सायण)
२ संपत्तिशाली, धनवान् ।
। विभृत्यन् ( स० पु०) यह जो धारण या भरणपोषण करे
विभूतिमाधव-एक प्राचीन कधि ।।
(ऋक ARE )
विभूतिमान् (सं० वि०) विभत्मित् देखो।
विमेनथ्य (सं०नि०) भौतिक योग्य, डरने लायक ।
विमुदायन (सं० वि०) ऐश्वर्यादाता। ।
विभेत्तु (सं० पु०) १: विभेदकर्ता, विभेद करनेवाला।
विभूमन् ( स० वि०) १ शक्तिशाली, ऐश्वर्यायान् । (पु०) । २ ध्वंसकर्ता, नाश करनेवाला।।
विशिष्टो भूमा कर्मधा० । २ श्रीकृष्ण ।
| विभेद (सं० पु.) १ विभिन्नता, अन्तर, फरक । २ अप.
विभूमा-विभूमन देखो।
गम, वियोग। ३ विभाग, दो या कई खण्डो में करना ।
विभूरसि (सं० पु०) अग्गिमूर्तिभेद। ( महाभारत घनप०) ४ मिश्रण, मिलाना। ५ विकाश, । पक रूपतासे अनेक
विभूवसु (सं० लि. ) यहु ऐश्वर्या वा धनविशिष्ट। रूपताकी प्राप्ति । ६ यिदलन, काटना, तोड़ना या छेदना ।
. .' (अफ ८६।१०) ७ विदारण, फाड़ना। ८ छेद कर घुसना, धंसना ।
विभूषण ( Eio क्लो. ) विशेषेण भूपयत्यनेनेति बि-भूप । १० छेद, दरार।
णिच ल्युट्। १ आभरण, अलङ्कार, जेवर । २ अलंकृत विभेदक (सं०नि०) १ भेदकारी, दो वस्तुगो में भेद
करनेकी क्रिया, गहने आदिसे सजानेका काम। किसी प्रकट करनेवाला । २ घुसनेवाला, धंसनवाला । ३ भेदन
किसी शब्दफे आगे लग कर यह शब्द श्रेष्ठलायाचक करनेवाला, काटगे या छेदनेवाला। (पु०) ४ घिमीतक,
हो जाता है। जैसे-रघुवंश-विभूषण । (पु.) मञ्जु यहेड़ा।
श्रीका एक नाम । ( त्रिका० १।१२२)
विभेदकारी ( म० त्रि०) १ छेदने या कारनेवाला । २ भेद
विभूषणयत् (सं० लि० ) भूरणके सदृश । | या फर्क करनेवाला ३ दो व्यक्तियों में विरोध करने.
(मृच्छकटिक ६११२) वाला, फूट डालनेवाला।
विभूषणा (सं० स्त्री०) १ भूपा, गलङ्कार । २शोभा! विभेदन (i० पु.) १ मिन्न करण, मेद या फर्क दालना
विभूषा (सं० स्रो०) वि भूष इ-अ (गुरोच हसः। पा या तोड़ना। ३ छेद कर घुसना, धंसना, ४ काट कर
३६३६१०३ ) ततष्टाप् । १ शोभा ।। २ आमरण, गहना। या कई खण्डों में करना। ५पृथक्करण, अलग अलग
___३ गहनों' आदिको खूब सजायट।
! करना। ६ मिश्रण, मिलाना ।
विभूषित (स' नि०) वि भूप-क्त ; यद्वा विभूषा संजा- विभेदिन (सं०नि०) १ विभेदकारी, भेद या फर्क डालने
ताम्य इति विभूषा इतच्। १ अलङ्कत, गहनों आदिसे | वाला। २ विच्छेदकारी, जुदा करनेवाला। १पृथक:
समाया हुमा। '२ शोभित । ३ अच्छी यस्तु, गुण, कारो, अलग अलग करनेवाला ।
मादिसे युक्त।
| विमेदिनी (सं० लि.) १ छेदन या भेदन करनेवालो।
विभूपिन् (सं० वि०) विभूप णिनि । १विभूषणकारी। २ छेद कर घुमनेवाली। ३.भेद या फर्क करनेवाली।
- २ अलंकृत, शोभित ।
विभेदी (सं०नि०).विमेदिन देखो।
विभूष्णु (सं० वि०) विभूतियुक्त। (०) २ गिय विभेद्य(सं० वि० ) मेदन या छेदनयोग्य ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५५५
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