पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६०४

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५२० विलम्पिन्-विलायतो कीकर विलम्पिन (स.लि.) १ विलम्बकारी, देर करनेवाला पिलाता (सं० रो) एक प्रकारको घिलिया। . विशेषेण लम्बते इति विलम्य-णिनि । २ लम्बमान, लर. | बिलाना (हि. क्रि०) यिनाना देखो। कता हुशा । (को०) ३ प्रभवादि साठ संवत्समिसे ३यां विलाप (सं० पु० ) यि-लप धम् । १ अनुशोचन, परिः संघत्सर। देवन। २ दुःखजनक बात । . ., विलम्म (स' पु०) बिल्लभ-धम् नुम् । १ अतिसर्जन, विलापन (सं००) विल ल्युट । १ विलाप, विलन अत्यन्त दान । २ उदारता। ३ उपहार, भेद। पिलख कर या विकल हो कर रोनेको किया, आर्तनाद । विलय (स० पु०) विशेषेण लीयन्ते पदार्थ अस्मिन्निति, विलो-गिच क्युट । २ योभाय, गलना। , वि-लो-अच् (एरच । पा ३।३।०६) १ मलय । विनाशविलापना (हिं. कि०) शोक करना, विलाप करना। ३ मृत्य। ४ विलीन होनेको क्रिया या भाय, लाप, २ पृक्ष रोपना या लगाना । . . अन्त । ५ विम्मापन । पिलापिन् (सं०नि०) पि-लप णिनि । यिलापकारी, पिलयन (सं० लि०) १ लयविशिष्ट, लयको प्राप्त होना । शारीनाद करनेवाला। (को०) २ दूरीकरण, अलग करना। ३ यिनाशन, विलायक (स.नि.) पि-ली-णिच-वुल । १ द्रयंकारक, :. नाश। . आईकारक। २ लयकारक, लीनताकारक । पिलला (सं०को०) श्वेतपला, मफेद सुगंधयाला "मनमोऽणि रिलायक" (शुक्सया २०३४) यिलयर-आदिम जातिविशेष । 'मनसो दिलायकश्चासि पिलाययति विषयेम्पो नियरो.. विलवास (सं० पु०) विले पासो यस्य । जादक जन्तु, रमनि स्थापयति पिलायका यात्मशानप्रदोऽसीत्यर्थ: यद्या, विलमें रहनेवाला जानवर। लो लेपणे यिलायति चक्षुराविमिः सह श्लेपयंति पिलयासिन (सं० पु. ) विले यसतीति यस णिनि विलायका सन्द्रियैः सह श्लेपयति विलायका सब १ सर्प, सांप । (त्रि०)२ गर्तघासो, विलमें रहनेवाला। रिद्रयः सह मनः संयोजयतीत्यर्थः। (महीधर ) . . विलय (सं० पु०) पिले शेते विल-शी अव । १ स।विलायत (म0पु0), पराया देश, दूसरोंका देगा २ (त्रि.) २ पिलवासी, माद में रहनेवाला। । दूरस्थ देश, दूरका देश, विशेषतः भाजकलको दोल. विलसत् (सं० लि. ) यि-लस्-शत् । पिलासयुक्त, घालमें यूरोप या अमेरिकाका काई देश। विलासी। पिलसन (सं० क्ली०) विलस ल्युट् । १ पिलास, प्रमोद । विलायती ( म० वि० ) १ विलायतका, विदेशो। २ भन्य, २ चमकनेको किया। देशका रदनेवाला, परदेशी । ३ दूसरे देशर्म बना हुगा । विलसर-युकप्रदेशके पटा जिलान्तर्गत एक नगर । मुसल- विलायती गनानास (हि. पु०) रामदास, रामधान । मानी इतिहासमें यह यिलसन्द या तिलसन्द नाममे . मस देखो। परिनित है। यहां अनेक ', बौद्धमठ गोर कुमारगुप्त पिलायती कडू (दि. पुं० ) एक विशेष प्रकारका कह स्तम्भ तथा मन्दिरादियो स्मृतिचित विद्यमान है। : जो तरकारीके काम में माता.हे। विलक्ष्यंदो (हि० वी०) जिलेका वन्दोवस्तका संक्षिप्त विलायतो कासनी (हि.सी.) एक प्रकारको कासनी पोरा। इसमें प्रत्येक महालका नाम, काश्तकारों के नाम / जिसकी पत्तियां दयाफे काममें लाती हैं। और उनके लगान आदिका ध्योरा,लिसा होता है। पिलायती कोकर (हि पु० ).पहाड़ी कीकर जो हिमालय विलहर-मध्यप्रदेशके जबलपुर जिलान्तर्गत एक नगर में पांच हजार फुटकी ऊंचाई तक होता है। यह बाढ - इसका प्राचीन नाम पुष्पावती थी। यहां अनेक प्राचीन लोगानेके काम में भाता है। जाड़े के दिनों में यह खूब मन्दिरादिका ध्वंसायशेष दिनाई देता है। : ......, फूलता है और इसके फूलोंसे बहुत अच्छी महक निकलतो विलदरिया-युक्तप्रदेशके घान्दा, जिलान्तर्गत पक ग्राम है। यूरोपी इन फूलोंसे कई प्रकारके इल आदि पनाये यहाँ,बहुतसे प्राचीन मन्दिर है। ' जाते हैं। इसे परसो क्यूल भी कहते हैं।.....