पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६४

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५८ वाणिज्य .. उन,लोगोंने पाणिज्य-प्रमायके साथ साथ उपनिवेश | जीवन यापन करते हैं। इस समुद्रयातासे वे लोग । स्थापन कर जितने छोटे छोटे राज्य अपने दखलमें किये . जातिच्युत वा समाजभ्रष्ट नहीं हुए। थे, घे भी नष्ट हो गये। ... " : . . ' ' . इसके अतिरिक्त भारतवासियोंके साथ उत्तर तथा .. तदनन्तर मोटो रकम पानेको माशासे पण्यद्रष्यका मध्य-एशियाखंडका याणिज्यकार्य के परिचालनार्थ और वाणिज्य छोड़ कर जब पुर्तगीज लोग मानव विक्रय एवं भी कई एक पार्वत्य पथोंका परिचय पाया जाता है। . मनुष्य पकड़नेके लिपे दिन रात परिश्रम और अध्यव. अफगानिस्तान, : फारस, पश्चिम तुर्किस्तान प्रभृति सायमें निमग्न रहने लगे, तभीसे पुर्तगाल राज्य पापकर्म देशों में पपयव्य ले जानेमें घणिकोको प्रधानतः सुले. धुरी तरह फंस गया और उसो पापसे उन लोगोंका मानो पर्वतमालाके सफट समूह, पेशावरके पानत्यप, पाणिज्य भी विलुप्त हो गया। वास्तवमें पुर्तगोजोंके गएडाबाके निकटवत्ती, मूलासंशट तथा घोलन गिरि प्राचीन मानचित्रों में जो सय स्थान सौधमालापूर्ण नगरों. पथसे जाना होता है । सिन्धुसे कन्दहार ( गान्धार) से परिशोभित एवं अलंकृत दृष्टिगोचर होते हैं, पापी राजधानी में प्रवेश करनेके लिये बोलनके अगम्यपथसे पुर्तगीजोंफे घृणित भाचरण तथा घृणित गुलाम बेचनेके प्रायः ४०० मील भूमिको पार करना होता है।. रा. व्यवसाय ( Capture and Sale of Slave ) से वे सब इस्मालखांकी विपरीत दिशामें गुलेरीके संकरपथसे हो स्थान जनहोन मरुभूमिमें परिणत हो गये। परवत्तों कर अफगानिस्तान और पंजायका वाणिज्य चलना है। फालके मानचित्र में फिर उन सय स्थानों के नाम सन्नि. पेशावरसे काबुलकी राजधानी प्रत्यागमन फरनेके लिये वेशित नहीं हुए। वे सष स्थान इस समय "अज्ञात- यावखाना और तातारा नामक दो गिरिपयाँको पार . करना पड़ता है। सिन्धप्रदेशके शिकारपुर नगरसे आरण्य" प्रदेश कहलाते हैं। पण्यद्रव्य खरीद कर षणिकगण धीरे धीरे घोलनका... 'पशियावासी वणिक-सम्प्रदायके मध्य भारत के उत्तर- गिरिपथ पार कर फन्ददार वा फलात् नगरमें पश्चिम उपकूलवासी विभिन्न श्रेणीके हिन्दू वाणिज्य माते हैं। इस शेपोक्त स्थानक थणिको के साथ मध्य प्रभावमें बहुत पूर्वकालसे ही विशेष प्रभावान्वित हैं। - एशियावासी चणिोंका व्यापार चलता है। गजनोले' उनके लिये कोई नहीं कह सकता, कि किस समयसे थे | गोमाल पथको पार करके डेराइस्मालखा में माना होता लोग अफ्रिका उपकूल में याणिज्य करने आ रहे हैं। है। इस पथसे पोविन्दाजाति पैदल चल कर व्यापार उन सयोंमें कोई किसी समय अफ्रिकामें स्त्रीपुत्र के साथ किया.करते है। वेदस्यप्रकृतिक और यणिक वृत्तिधारी नहीं आये। ये लोग कुछ वर्षों तक कार्यस्थानमें रह है। खैयरकी घाटी पास हो कर काबुल जानेका एक ओर कर अपने देशको लौट जाते थे. एवं फिर जब कभी | सुविस्तृत रास्ता है। प्रति वर्ष भारतमें जिस पण्यद्रव्यकी मावश्यकता होती थी, तब वे विदेशको यात्रा करते थे, आमदनो रपतनी होती है, उसका मूल्य दो करोड़ रुपयेसे नहां तो अपने देशमें ही दूकान करके. वाणिज्य : काये कम नहीं है। . . . सम्पादन करते थे। ... . . . . . . । · पुर्तगीज लोगोंने जिस समय अफ्रिका एवं भारत' 1. • "The Bhatia and Banya who form a large और पूर्व भारतीय द्वीपोंके उपकूलमागमें अपना अधि- कार जमा लिया था, उस समय उक्त पणिकासमायोnumber of these traders are Hindus and are | very strict ones ; yet it is remarkable that • कितने ही लोग अफ्रिकासे भगा दिये गये। इस 'श्रेणीके| | they may. leave India and lire in Africa lor : लोगों में भाटिया और बनिया जाति के लोगोंकी संख्या ही years without incurring the penalty ot . loss of • अधिक थी। ये लोग इस समय भी सुदूर अफ्रिका भूमिमें caste which is enforced against Hindus leaving , "अपनी जातीय निष्ठा तथा विशुद्धताको रक्षा करते हुए" India in any other direction." (Cyclo. India ) ese traders are Hindus and are. . .. . ' .