पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६५

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'वाणिज्य पक्षासे काश्मीर हो कर मारकन्द कासघर और सीमान्तधनी नगर हो कर घर्ष घर्ग पर खुश्कोकी राइसे चोनाधिकृत भूटान राज्यमें देशीय यणिक विस्तृत रूस राज्य में आया करते है। कोई कोई दल यहांसे वाणिज्य करते हैं। ये लोग अमृतसर और जालन्धरसे | यारफन्द हो कर पश्विम चीनमें, कोई मसंद होते हुए पण्यद्रम्प संप्रद फेरके उत्तर-पश्चिमाभिमुलं दिमालय पर्वत फारस तथा कोई कावुल और पेशावर पधसे भारत माया लांघ कर तथा काङ्गड़ा गौर पालमपुर हो कर लेह प्रदेशमें करते हैं। . पहुबने हैं। यहां पण्यद्रष्य लाने में पहाड़ी वकरा और नील काबुल के पश्चिम घोसारेका पथ-यह पथ घामियान्, गायके अलावा और कोई यान वाहन नहीं हैं। अगरेज शैघान, दोभाव, हिर्वाक, हसराक, सुलतान, कुलम, पालन, सरकार इम'पयले राजकार्यको परिचालनाको सुविधाके | किलिफ फार्द और कार्य हो कर चला गया है। घोखारे. लिये सबरसे काम लेती है । १८६७ ई० में लेह नगरमें एक का विस्तीर्ण वाणिज्यका भाग,लेनेके लिये समरकन्द, अप्रेज राजकर्मचारी नियुक्त हुभा। उसने वाणिज्यकी ब्रोकन्द और तासकन्दका वणिक्दल हमेशा यहां जाता उन्नतिके लिये उसी साल पलानपुर में एक मेला लगाया|| माता है तथा कायुलसे वह फिर यह मय पण्य ले यह मेला अबतक लगता है, जिसमें यारकन्दवासो सैकड़ों कर पेशावर, कोहाट, डेराइसमाइल वां और बन्नू जिलेमें दणिक आते हैं। साधारणत: दक्षिण अफगानिस्तानकी ___आता है। खैबर, तातार, भावनाना और गएडाल वायो जाति, गुलेरी सकटके पोयिन्दा लोग, तुर्किस्तानको गिरिपथ हो कर पश्चिमदेशकी सह दिशाओस यणिक पराछा जाति तथा यारकन्दके करियाकास गण बड़े पेशावरम . तथा कोहाटसे थुल और फूरम नदीको उत्साहसे यहाँ वाणिज्य चलाते हैं। उनके मुखसे हर ! उपत्य हो कर दूसरे रास्तसे पण्यद्रष्य ले जाते हैं। साल नपे नये पर्यटनका विवरण, विभिन्न जाति और गोमाल पहाड़ों के रास्ते में डेराइस्माइल खाँ हो कर शिवि- नगर तथा रास्तेके नाना पलेशीको कथा सुनो जाती है।। स्तानी पहुंचते हैं। इस प्रकार कुलु हो कर लोदक- अफगानिस्तान के प्रधान वाणिज्यकेन्द्र काबुल, कन्द- | 'में ममृतसर हो कर यारकन्द तथा पेशावर और हार और हिराट नगर है। इन तीन स्थानोंसे यूरोप, । हजारा हो कर वजीरमें पण्ययद्रष्य का कारवार हुमा फारस और तुर्किस्तानके साथ भारतका वाणिज्य चलता करता है। है। बोखारा और खोटानका रेशम, किर्मान और । हिन्दुस्तान तिम्वत नामक भूटान राज्यमें जाने के मुख्य गलोकन्दका पशम प्रधानता उक्त तोन स्थानों पाता है। रास्तेसे यहाँका बाणिज्य चलता है । बङ्ग नामक यूरोपीय पनि अपने अपने देशीका घम्न तथा भारतीय स्थानमें शतद्र नदी इस पथको पार कर चली गई है। पनिपे नील और मसाला ले कर वहां मापसमें अदलं बदल | तिम्बत के अन्तर्गत गारतोकनगरमें दोधार बड़े पर है। मार्धाय का समतल प्रान्तर तथा उजवक मेले लगते हैं। इस मेले में लदान, नेपाल, काश्मीर और सामन्त राज्यों को अतिक्रम कर पणिक दल उत्तरपश्विमा हिन्दुस्तानके बहुतेरे धनिये पण्यद्रथ को खरोद यिकाके भिमुख बामियान शैलमालामें और कुन्दुज जातिके अधि ) लिये जाते हैं। इनके अलावा गढ़वाल राज्यके अन्तर्गत - छत प्रदेशों में आ कर यूरोपीय वणिक दल बदकसानको नोलनधाट, माना और नीतिसंकट तथा कुमायूं के अन्त. . चुनो और कोकचा उपत्यकाका घेदुर्य ( Lupi -luzuli) | र्गत यपान, धर्म मौर जोहर गिरिसकट हो कर थोड़ा ____ मामक मूल्यवान् प्रस्तरका संग्रह करने में लग जाता है। बहुत वाणिज्य चलता है। .. .. यहासे यह . अषसास, जामातेस, मामु दरियां और । कुमायू, पिलिमित, खेरी, भड़ौच, गोडा, यस्तो सैर दरिया नामक चार नदियोंके निकटयों समतल भूः मोर गोरखपुरसे पणिक नेपालराज्यमें मा कर पण्य. मागमें आता है। बोखारा राजधानीस यालंख और समर द्रष्य बदला करते हैं। काठमाण्डू राजशानोसे दो पहाड़ी कन्दमें वाणिज्य चलता है। रास्ते हिमालय पार कर ब्रह्मपुत (स्सान्यू नदी) की समरकन्दसे पनिये भोरेनवर्गमे मीर मेन्यान्य ] उपत्यकाममि तक पहुंच गये हैं। इन पयोंसे भो नेपाल Vol. XXI. 15