पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६७

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५७ वाणिज्य पक्षादसे काश्मीर हो कर यारकन्द कासघर और सीमान्तवनी नगर हो कर वर्ष पर खुश्कीको राइसे चोनाधिकृत भूटान राज्यमें देशीय पणिक विस्तृत रूस राज्यमें माया करते हैं। कोई कोई दल यहांसे वाणिज्य करते हैं। ये लोग अमृतसर और जालन्धरसे यारकन्द हो कर पश्चिम बोनमें, कोई मसेद होते हुए पपपद्रम्प संप्रद फेरके उत्तर-पश्चिमाभिमुख हिमालय पर्वत फारस तथा को कावुल और पेशावर पथसे भारत आया लांघ कर तथा कागड़ा शोर पालमपुर हो कर लेइ प्रदेशमें | करते हैं। . पडुनने हैं। यहां पण्यद्रष्य लाने में पहाड़ी ककरा और नील काबुलके पश्चिम बोखारेका पथ--यह पथ धामिपान, गायके अलावा और कोई यान पाहन नहीं है। अगरेज | शैघान, दोआव, हिक, हसराक, सुलतान, कुलम, वाहन, सरकार इस पयसे रातकार्यको परिचालनाको सुविधाके | किलिफ फार्द और कर्वि हो कर चला गया है। बोखारे. लिये.श्चरसे काम लेती हैं । १८६७ ई० में लेह नगरमें एक का विस्तीर्ण वाणिज्यंका भाग लेने के लिये समरकन्द, मंग्रेज राजकर्मचारी नियुक्त हुआ। उसने वाणिज्यकी ब्रोकन्द और तासकन्दका वणिक्दल हमेशा यहाँ जाता उन्नतिके लिये उसी साल पलानपुरमें एक मेला लगाया। आता है तथा कावुलसे वह फिर यह सब पण्य ले यह मेला भवता लगता है, जिसमें यारकन्दवामी सैकड़ों फर पेशावर, कोहाट, डेराइसमाइल खां और बग्नू जिले में षणिक भाते हैं। साधारणतः दक्षिण अफगानिस्तानको ] आता है । स्वर, ताताप, भावनाना और गएडाल पायो जाति, गुलेरी स'कटके पोविन्दा लोग, तुर्किस्तानको गरिपथ हो कर पश्चिमदेशको सय दिशा से यणिक पराछा जाति तथा पारकन्दके करियाकास गण बडे । पेशावरम तथा फोहाटसे धुल और फूरम गदोको उत्साहसे वहां वाणिज्य चलाते हैं। उनके मुख से हर | उपत्य हो कर दूसरे रास्तसे पण्यद्रव्य ले जाते हैं। साल नये नये ‘पर्यटनका विवरण, विभिन्न जाति और गोमाल पहाड़ोके रास्ते से डेराइस्माइल खाँ हो कर शिवि- नगर तथा रास्तेके नाना पलेशीको कथा सुनो जाती है। स्तानमें पहुंचते हैं। इस प्रकार कुलु हो कर लोदक- ' मफगानिस्तान के प्रधान वाणिज्यकेन्द्र कावुल, केन्द 'मैं अमृतसर हो कर यारकन्द तथा पेशावर और हार और हिराट नगर है। इन तीन स्थानोंसे यूरोप, हजारा हो कर वजीरमें पण्ययद्रष्य का कारवार हुआ फारस और तुर्किस्तानके साथ भारतका वाणिज्य चलता करता है। है। बोखारा और खोटानका रेशम, फिर्मान और हिन्दुस्तान तिव्वत नामक भूटान राज्यमें जाने के मुख्य लोकन्दका पशम प्रधानतः उक्त तीन स्थानों में याता है।| रास्तेसे यहाँका बाणिज्य चलता है। बगह नामक पूरोपीय पनिये अपने अपने देशोंका वन तथा भारतीय स्थानमें शतद् नदी इस पथको पार कर चली गई है। बनिये मोल और मसाला ले कर यहां मापसमें अदल बदल तिष्यत के अन्तर्गत गारतोकनगरमें वर्ष में दो बार बड़े व ले है। माओवका समतल मान्तर तथा उजवक | मेले लगते हैं। इस मेले में लदाख, नेपाल, काश्मोर गीर सामन्त राशिको अतिकम कर पणिक दल उत्तरपश्चिमा. हिन्दुस्तानफे बहुतेरे धनिये पपयदश्य को खरोद विक्रांक भिमुख यामियान शैलमालामें और कुन्दुज जोतिफे अधि | लिये जाते है। इनके अलावा गढ़वाल राज्य के अन्तर्गत कृतं प्रदेशोंमें आ कर यूरोपीय बणिक दल पदकसानको | नोलनघाट, माना और नोतिसंकट तया कुमायू के अन्त. चुभो भौर कोकचा उपत्यकाका पदुर्य ( Lapi viazuli) | र्गत ययान, धर्म मौरजोहर गिरिसकट हो कर थोड़ा मामक मूल्यवान् प्रस्तरका संग्रह करने में लग जाता है। बहुत वाणिज्य चलता है। . . .. . यहासे यह मषसास, जाकजातेस, मामु मरिया और कुमायू, पिलिभित, खेरो, महोय, गोंडा, यस्तो सैर-दरिया नामक चार नदियों के निकटवतों समतल भू- मोर गोरखपुरसे पणिक् नेपालराज्यमें आ कर पण्य- मागमें आता है। वोखारा राजधानीसे यालंख और समर द्रश्य बदला करते हैं । काठमाण्डू राजशानोंसे दो पहाडी कन्दमे वाणिज्य चलता है। रास्ते हिमालय पार कर ग्रह्मपुत्र (तसान्यू नदी) की समरकन्दसे पनि ओरेनवर्गमे मोर अन्यान्य | उपत्यकाममि तक पहुंच गये हैं। इन पोसे भो नेपाल Vol. XxI, 15