पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६८०

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५६२ . विशाखदत्त-विशाखपत्तन . विशाखायो जातः । (वि) २ विशाखजात, जो | उत्तर पश्चिमांगमें कन्ध गौर शयर जातिको वस्ती है। विशाखा नक्षत्र में उत्पन्न हुआ हो। ... उत्तर प्रतिमें नीलगिरि पर्वतश्रेणो अवस्थित है। नील. विशाखदत (सपु० ) प्रसिद्ध मुराराक्षसके रचयिता गिरिसे दक्षिण-पूर्या शमें जो स्रोतस्वती प्रशाहित होती है, के पिताको नाम पय और पितामहका नाम घटेश्वर | उसने शोकाकोल और कलिङ्गात्तन नामक स्थानो में दत्त या। सदुक्तिकर्णाभूतमें इनकी कविता उद्धत हुई । नदीका भाकार धारण किया है। . . . . . . . है। १०वों शताब्दी में ये विद्यमान थे! विमलोपत्तन और कलिङ्गपचन • नगा ध्यासाय- विशाखदेव ( स० पु० ) ११वीं सदीके पूर्ववचों एक वाणिज्यमें क्रमशः उन्नत हो रहे हैं। समुद्र के तौरस्थित प्राचीन संस्शत कवि। समतलभूमि अधिकांश ही पर्वतमय है। समुद्रकी प्रान्त विशाखपत्तन-मन्द्राज प्रेसिडेन्सीको अन्तर्गत एक जिला।। भूमि और विशाखातन धन्दरका प्रवेशपथ या ही रम यह अक्षा० १७१५ से २०७३० तथा देशा० ८१.२४/ णीय हैं। यहां सरकार के कई वनविभाग हैं। सिया से ६४३ पू०के मध्य अबस्थित है । जनतांगमा प्राय: । इसके अन्यान्य स्थान जमींदारी सम्पत्ति है। जयपुर ३० लाख और भू-परिमाण १७२२२ वर्गमील है। भू । राज्यके अधिकांश स्थलमें जङ्गल है। पालकुण्डा धनमें विस्तृति और जनसंख्याके आधिक्य में यह जिला मन्द्राज और गोलकुण्डा तालुकके वनविभागमे बहुतेरे चांस प्रेसिडेन्सीम प्रधान गिना जाता है । विशानपत्तन, उत्तर और पृक्ष देखे जाने हैं। मर्वसिद्धि तालुकमें बहुत गाम जिला, पूर्व वक्षोपसाग, दक्षिण घनोपसागर और जमीन परती पड़ी हुई है। पार्घतीपुर इलाके में बहुतेरे पश्चिम मध्यप्रदेश द्वारा घिरा हुआ है। यह जिला चौदह | शालवृक्ष मिलते हैं। विजगापम् भौर विजयनगरम् शब्दों में जमोन्दारियां, ३७ भूसम्पत्ति और तीन सरकारी. तालुकके विस्तृत विवरण द्रष्टव्य । . . . . . . समाएसमवायसे गठित हुआ है। इस जिले में १२ शहर विशाखपत्तन शहरके बाहर स्वास्थ्यकर स्थानविशेष- गौर १२०३२ प्राम लगते हैं। विशालपत्तन मन्द्राजफे में जेलखाना स्थापित है। इस जेल में १७२ भादमी रह .. उत्तर सामुद्रिक प्रदेशका एकांश है। इतिहास में यह सकते हैं। जो फेही अधिक दिनके लिये सजा पाते उत्तर सरकारके नामसे प्रसिद्ध है। यह स्थान अत्यन्त । हैं, घे राजमहेन्द्रोफे सदर जेल में रखे जाते हैं। पहाडी पर्वत संकुल और स्मरणीय है। किन्तु बहुत ही मस्या- जातियोंके लिये पार्वतीपुरम एक नया जेलखाना बना स्थ्यकर है। पूर्व घाट नामको शैलश्रेणीका एक अंश है। इसमें १००से अधिक हो नहीं रखे जा सकते। . इस नगरको विभाग कर वझभायसे इसके उत्तर पूर्वाश , कैदीको अवस्थामें इस जातिको मृत्यु संख्या अत्यधिक से दक्षिण-पश्चिमांश तक फैला हुआ है। विभक्त भूमि बढ़ जाती है।, . . का एकांश पर्वतमय और दूसरा अंश सु-समतल है। . कई वर्ष पहले पिशाखपत्तनम शिक्षाका नामोनिशा : शैलश्रेणोका सर्वोच्च शृङ्ग प्रायः ५००० फीट ऊंचा है। भी न था। विजयनगरम् नगर में महाराजके द्वारा प्रति- पर्वतके ढालुप अशी तरह तरह के पौधे और बड़े बड़े ठित एक पहली श्रेणीका कोलेज है। यहां वो, ५, त.. पक्ष उत्पन्न होते रहते हैं । उपत्यका भूमिमें बहुतेरे सुन्दर . की पढाई होती है। विशाम्पत्तनमें एक मई सरकारी यांस दिखाई देते हैं। कितने ही जलप्रवाह नालाको तरह । दूसरे दर्जे का कालेज है। सिया इसके यहां और भी परिभ्रमण कर वनोपसागरमें मिल गये हैं और कई जल : तीन अचे अरंजी, ११ मध्य भङ्गरेजी और ८१२ प्राय. प्रयाह शाखा नदोके रूपसे गोदावरी गौर महानदीका , मरी स्कूल है। विशाखापत्तन, पाल फुएडा और इला. फलेवर पुष्ट कर रहे है। मचिलो नामके तोन स्थानों में पक पक नार्मल स्कूल पूर्व घार शैलधे णोके पश्चिमांशमें जयपुर-जमी- हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न स्थानों में बालिका-- न्दारीका अधिकांश विस्तृत है। यह साधारणतः पर्वत | विद्यालय और विशाखपत्तनमें कई युवकों द्वारा स्थापित संकुल और जङ्गलमय है। इस 'जिलेके उत्तर और और परिपोषित कृषक सन्तानों के लिये एक अवैतनिक