पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६८१

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. । विशाखपचन ५६३ रानि-पाठशाला भी है। धीरे धीरे यहांके वालक और २ मन्द्राज प्रेसिडेन्सीके अन्तर्गत विशाखपत्तन बालिकायें शिक्षामें उन्नत हो रही हैं। यह बात मनुष्य- महकमेका एक तालुक। भूपरिमाण १४२ वर्गमोल है। गणनास सपए है। ३मन्द्राज प्रसिडेन्सीके गधीन विशाखपत्तन जिले- . विशाखपत्तन नगप विमलोपत्तन, विजयनगरम् और का प्रधान शहर। यह अक्षा० १९४१५० उ० तथा अनाकपल्ली जिले में चार अर्थात् एक म्युनिसपल कार्या- देश ० ८३ २०१० पू०में अवस्थित है। यह म्युनिस. .लय है। विशाखपरान शहरके उपकाठमें प्रसिद्ध वाल्टि- पलिरीके अधीन एक प्रसिद्ध धन्दर है। यहां एक प्रधान पर (वेलतक) नामक स्थान है। यह स्थान प्रधानत: सेनानिग्रासका कार्यालय, जज साहब, मजिस्ट्रेट और श्वेताडोंके राधिकारमें है। इस स्थानकी चौड़ाई तीन सब मंजिष्ट्रेटको कचहरियां, जेलखाना, पुलिश दफ्तर, मोल है। इस स्थानका जलवायु बहुत ही अच्छा है । पोए, और टेलिग्राफ आफिस, गिरजा, स्कूल, अस्पताल, विशानपत्तन नगरमें म्युनिसपलिटोका एक बहुत बड़ा अनाथाश्रम, पागल-गारद इत्यादि बहुतेरी इमारने .आफिस है। इसके अधीन एक पुस्तकागार, पाठागार मौजूद हैं। और स्थानीय समितिका कार्यालय भी प्रतिष्ठित है। • विशाखपत्तन शहर बङ्गापसागरके किनारे स्थापित यहां एक बड़ा अस्पताल और बाकरवाना है। इसकी | है। एक नदी शहरसे होती हुई सागरकी भोर गई है। उन्नति के लिये विजयनगरम्के महाराजको भोरसे बहुत ____ यह शहर दुर्ग की तरह है। साधारणत: इसको अर्थ-व्यय किया जाता है। अस्पतालके निकट ही एक विशाखपत्तन-दुर्ग भी कहते हैं। यहां बहुसंख्यक यूरो. अनाथाश्रम और इसके समीप हा सरकारी पागलोंकी पीय पैदल सैन्य हैं। गारद है। व्यवसाय वाणिज्यमें विमलीपत्तन विशेष म्युनिसपलिटीकी चेष्टा और अर्थक साहाय्यसे यहां- विख्यात है।, यहां अगरेज. और फ्रान्सीसियोंके. कई ! क. कई का सास्थ्य और रास्ता, घाट आदिकी यथेट उन्नति कारखाने हैं और कलकत्तेसे ब्रह्मदेश . तक जो टोमर है। सिवा इसके म्युनिसपलिटीफे साहाय्यसे एक दौड़ता रहता है, उसका एक स्टेशन है। विमलीपत्तनमें | पाठागार, पुस्तकालय और कई स्कूल तथा पाठशालायें एक अस्पताल, एक गिरजा, एक विद्यालय और एक | स्थापित हैं। शहरकी उन्नतिफै लिये विजयनगरफे पाठागार है और इनके सिवा विजयनगरम् जिलाकी । देशीय पैदल सेनाओंके रहने के लिये एक गट है। महाराज अकातरभावसे ' अर्थ-व्यय करते है। जलवायु-स्थानको विभिन्नताके अनुसार सन ' प्रयाद है, कि चौदहवीं शताब्दीके मध्यभागमै अन्ध्र एक तरहका स्वास्थ्य नहीं। समुद्र किनारे संथानोराजने इस नगरको मिति डाली थी। मुसलमानोंकी का स्वास्थ्य साधारणतः मृदुमधुर और 'ग्लानिहारक विजयके समय कलिङ्ग प्रदेशका अपशिष्ट भाग ले कर है। कुछ दूर प्रामके भीतर जाने पर बहुत गर्म मालम' यह नगर मी मुसलमानोंके मधिकारमें आया। १७वीं होने लगता है। पूर्णघार पर्वतमालाके निकटके स्थान , शताब्दीके मध्यभागमें इष्ट-इण्डिया कम्पनोने यहां एक

बहुत ही दे हैं और मलेरिया प्रधान है। शहर में कोठी निर्माण की। सन् १६८६ ई० में इस कारखाने पर

मलेरिया ज्वरका प्रादुर्भाव अधिक है। पहाडी, माक्रमण कर मुसलमानोंने यहांके कर्मचारियोंको मार प्रदेशों में अगली ज्यर या आवरामपित्त स्वरका प्रकोप डाला। इसके दूसरे वर्ष अङ्गारेजोंने इस पर पुनः अधि. मत्यधिक है। इसके सिया जा और चेचका मो. कार कर लिया और यहां शीघ्र ही एक किला बनवाया। कमी कभी प्रादुर्भाव होता रहता है। समतल, विशेषतः १८षों शताब्दीम जाफर अली या उसका 'मराठा दल सेतसेरा स्थानों में वरिपरि नामक एक प्रकारका रोग विमलीपत्तन और उसके चारों ओरके स्थानों को टूट- भी होता है। उसके निकट प्रदेश चतरोगपोल पार करके भो विशाम्पत्तनका विशेष अनिष्ट नहीं कर पाष और गलगएडा प्रभाव भी कम नहीं। जो हो,'. सका था। सर्वोपरि विमानपत्तनको स्वास्थ्य उत्कृष्ट है। इसके बाद सेनापति बुशीने कुछ दिनोंके लिपे इस Vol xx. 149