पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६८६

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. विशानदेश-विशालाक्षी दोद्वार प्रदेशमे जिन बड़े बड़े प्रामोंका उल्लेख किया। आवाद किया। ये बड़े ही कर्मनिष्ठ और संधारित गया है, ये प्राम आज भी इस दोघवारा प्रामक है। निकट ही पूर्वोक्त शीतलपुर प्राम है। यहां एक.. इर्द गिर्द ही अपने प्राचीन नामसे वर्तमान है । जैसे- सारसे आ कर पराशर गोलीय ब्राह्मणोंका आवास है। आमो, गङ्गाजल, परशा. हरिहरक्षेत्र, दुग्धल (दुधैला) मढ़ौरा गाम भी इस समय बहुत हो उन्नत प्राम है। गोविन्दचक, मकर, कश्मर, (थप यह कोई खास प्राम | यहां मनजो का एक चोमीका कारखाना है । चौनीक .. नहीं, पर इसी नामका यहां एक प्रगना है) । विस्वहर, व्यवसायम यह नाम बहुत हो उन्नति कर रहा है। : । यसन्तपुर आदि । दोर्टाद्वार या दोघबारेमें घो० एन० विशालनगर ( स० लो० ) विशालराजनिर्मित नगर। उबल्यु रेलका स्टेशन भी है। इसके निकट ही कुछ विशालदेश देखो। मीलकी दूरी पर दक्षिण ओर स्टीमर स्टेशन भी मौजूद विशालनेव ( स० त्रि०) १ वृहत् चक्षु:विशिए, बड़ी बड़ी .. है। यहां दो स्टेशनोंक रहनेसे यहांकी उत्पन्न चीजोंकी | मनोवाला । (पु.)२ वोधिसत्वभेद। . रफ्तनी तथा घाहरको वस्तुओं की आमदनी होती रहती विशालपन (स० पु०) विशालानि पत्राणि यस्य । . है। अतः यह प्राम आज भी व्यवसाय याणिज्यमें बढ़ा ! १श्रीतालवृक्ष । २हिताल | ३ मानकच्यू, मानकंद। । चढ़ा है। इसके निकट ही और भी कई ऐतिहासिक विशालपुरी ( स० स्त्री० ) नगरभेद। . । .. ), प्राम भी हैं। शिल्हौरी, यकरो, शीतलपुर आदि। विशालफलिका (सं० स्त्री०) विशाल फलं यस्याः ततः शिल्दौरीक सम्वन्धमें प्रवाद है, कि यहां शोलनीधि- स्मार्थे कन् टापि मत इत्वं । निष्पाठो, वरसेमा । ... ' राजा एक समय राज्य करते थे या उन्होंके द्वारा यह यिशाला (सं० स्त्री०) विशाल-टाए। '१ इन्द्रवारुणो प्राम बसाया हुमा था। इसीसे इन्ही शीलनीधि राजा- नामक लता, इन्द्रायन । २ उज्जयनी । (मेदिनी ) ३ उपो. के नाम पर इस प्रामका नाम शिल्हौरी हुआ। यहां | दको, पोइका साग । .३ महेन्द्रवारुणो। ( राजनि०) उक्त राजा द्वारा प्रतिष्ठित पक शिवलिङ्ग माज भी मौजूद | ४ तीर्थविशेष । शास्त्रानुसार समो तीर्थों में मुण्डन और । है। यहां हर शिवरालिफो दूर दूरसे यानी शिवजीको | उपवासका विधान है, परन्तु गया, गङ्गा, विशाला और जल चढ़ाने के लिये माया करते हैं। खासकर फाल्गुन ) विरजातीर्थमें मुण्डन तथा उपवास निषिद्ध बताया गया और धैशाखको शिवरात्रिको तो यहां मेला लग जाता है। है। ५ दक्षको कन्या । ६ मुरामांसी, एकाङ्गो । ७ लगा गाय घेल और अन्यान्य चीजे भी विकती हैं। इसके नामक घास। ८ गोरक्षकर्कटी, ग्यालककड़ी। '. . . निकट एक पकरी प्राम है। इस पकरी प्रामके निकट हो । विशालाक्ष (० पु०) विशाले मक्षिणी यस्य समासे उक्त शीलनाधि राजाका महल था। जिसका, धूसा- पच । १हर, महादेव । ( भारत १२।५8150 ) २ गरुड़े। वशेष आज भी मौजूद है। यह बीघोंमें फाय ३ गरुड़वंशधर । ४ विष्णु। ५ धृतराष्ट्र के एक पुत्रका था, किन्तु किसानों ने चारों तरफसे वांट ६. नाम । (भारत १११०१।६) (नि.) ६ सुनेत्र, विशालवक्षन लिया है। आज भी यह एक वोधेमे फैला है। जिसकी आँखें बढ़ो और सुन्दर हो। .... इस पर घरसातके दिनों में कभी कभी प्राचीन सिक विशालाक्षी ('स' स्त्री० ) विशालाक्ष डोप। १ उत्तमा (मुद्रा ) पापे जाते है। परोक सम्बन्धमें कहा जाता नारो। (विश्य ) २ नागदन्ती । (राजनि०) ३ पाती, है, कि-पहले यहां कोई घर न था| एक पाकरका बहुत | दुर्गादेवो । . ... . पदा पक्ष था। शोलनीधि राजाका आवास होनेसे तन्वसारमें विशालाक्षी देवीको पूजा तथा मन्वादिक यहां भी एक शिवलिङ्गको प्रतिष्ठा हुई थो। राजा स्वयं | विषयमें ऐसा लिखा है- यहां उपस्थित होकर उक्त शिवलिङ्गको पूजा किया करते " हो विशालाक्ष्यै नमः यही विशालाक्षी थे; किन्तु कालक्रमसे भयवारसे कुछ भरद्वाज गोत्रीय देयीका अष्टाक्षर मन्त्र है। यह मन्त्र आठ तरहको सिद्धि द्विवेदों (बे): उपाधिधारी ब्राह्मणेने आ कर इसे प्रदान करता है। इसमक्षक अषि सदाशिव, पंकि